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रिज मैदान के नीचे बने पानी के टैंक को बचाने की कवायद शुरू, पंजाब से आई एक्सपर्ट की टीम - रिज टैंक में दरारें

रिज मैदान का भार उठा रहे पेयजल टैंक में दिनों-दिन दरारें बढ़ रही हैं. टैंक को बचाने के लिए शिमला जल प्रंबंधन कंपनी ने कवायद शुरू कर दी है. टैंक में पड़ी दरारों का निरीक्षण करने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एक्सपर्ट की टीम शिमला पहुंची.

ridge water tank
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Published : Sep 11, 2019, 9:12 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला में ऐतिहासिक रिज मैदान का भार उठा रहे पेयजल टैंक में दिनों-दिन दरारें बढ़ रही हैं. टैंक को बचाने के लिए शिमला जल प्रंबंधन कंपनी ने कवायद शुरू कर दी है. टैंक में पड़ी दरारों का निरीक्षण करने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एक्सपर्ट की टीम शिमला पहुंची और टीम ने टैंक के अंदर पड़ी दरारों समेत टैंक के बाहर का निरीक्षण किया.

एक्सपर्ट की टीम टैंक में पड़ी दरारों को कैसे भरा जाए इसका सुझाव जल प्रबंधन निगम को देगी. इसके बाद निगम टैंक की दरारें भरने का काम शुरू करेगी. वहीं, जल प्रबंधन निगम ने कहा कि टैंक की सफाई के दौरान दरारें देखी गई थी. इन दरारों को कैसे भरा जाए इसके लिए पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है. बुधवार को एक्सपर्ट की टीम ने टैंक का जायजा लिया है और ये अपने सुझाव देंगे जिसके बाद इन दरारों को भरने का काम शुरू किया जाएगा.

ऐतिहासिक रिज मैदान के नीचे पूरे शिमला शहर को जलापूर्ति करने वाला ब्रिटिशकालीन वॉटर स्टोरेज टैंक है. इस टैंक में 45 लाख लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है. ऐसे में रिज पर बढ़ती दरारों से वॉटर टैंक को भी खतरा हो सकता है. अब शिमला जल प्रबंधन कंपनी टैंक को बचाने की कवायद में जुट गई है, ताकि समय रहते इसकी दरारों को बढ़ने से रोका जा सके. हांलाकि कंपनी का दावा है कि रिज टैंक की दरारों का समय रहते री-स्टोरेशन वर्क पूरा कर लिया.

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ये भी पढ़ें: शपथ के बाद बोले राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय, उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ना मेरा लक्ष्य

शिमला: राजधानी शिमला में ऐतिहासिक रिज मैदान का भार उठा रहे पेयजल टैंक में दिनों-दिन दरारें बढ़ रही हैं. टैंक को बचाने के लिए शिमला जल प्रंबंधन कंपनी ने कवायद शुरू कर दी है. टैंक में पड़ी दरारों का निरीक्षण करने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एक्सपर्ट की टीम शिमला पहुंची और टीम ने टैंक के अंदर पड़ी दरारों समेत टैंक के बाहर का निरीक्षण किया.

एक्सपर्ट की टीम टैंक में पड़ी दरारों को कैसे भरा जाए इसका सुझाव जल प्रबंधन निगम को देगी. इसके बाद निगम टैंक की दरारें भरने का काम शुरू करेगी. वहीं, जल प्रबंधन निगम ने कहा कि टैंक की सफाई के दौरान दरारें देखी गई थी. इन दरारों को कैसे भरा जाए इसके लिए पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है. बुधवार को एक्सपर्ट की टीम ने टैंक का जायजा लिया है और ये अपने सुझाव देंगे जिसके बाद इन दरारों को भरने का काम शुरू किया जाएगा.

ऐतिहासिक रिज मैदान के नीचे पूरे शिमला शहर को जलापूर्ति करने वाला ब्रिटिशकालीन वॉटर स्टोरेज टैंक है. इस टैंक में 45 लाख लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है. ऐसे में रिज पर बढ़ती दरारों से वॉटर टैंक को भी खतरा हो सकता है. अब शिमला जल प्रबंधन कंपनी टैंक को बचाने की कवायद में जुट गई है, ताकि समय रहते इसकी दरारों को बढ़ने से रोका जा सके. हांलाकि कंपनी का दावा है कि रिज टैंक की दरारों का समय रहते री-स्टोरेशन वर्क पूरा कर लिया.

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Intro:: राजधानी शिमला में ऐतिहासिक रिज मैदान का भार उठा रहे पेयजल टैंक में दिनों-दिन दरारें बढ़ रही हैं. टैंक को बचाने के लिए शिमला जल प्रंबंधन कंपनी ने कवायद शुरू कर दिए है। टैंक में पड़ी दरारों का निरीक्षण करने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट की टीम शिमला पहुची ओर टीम ने टैंक के अंदर पड़ी दरारों सहित टैंक के बाहर का निरीक्षण किया ।एक्सपर्ट की टीम इन दरारों को कैसे भरा जाए इसका सुझाव जल प्रबधन निगम को देगी।जिसके बाद निगम टैंक की दरारें भरने का काम शुरू करेगी। जल प्रबंधन निगम के ने कहा कि टैंक के सफाई के दौरान दरारें देखी गई थी और इन दरारों को कैसे भरा जाए इसके लिए पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है ओर आज एक टीम आई है जिन्होंने टैंक का जायजा लिया है और ये अपने सुझाव देंगे जिसके वाद इन दरारों को भरने का काम शुरू किया जाएगा।

.Body:ऐतिहासिक रिज मैदान के नीचे पूरे शिमला शहर को जलापूर्ति करने वाला ब्रिटिशकालीन वाटर स्टोरेज टैंक है. इस टैके में 45 लाख लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है. ऐसे में रिज पर बढ़ती दरारों से वाटर टैंक को भी खतरा हो सकता है. अब शिमला जल प्रंबंधन कंपनी टैंक को बचाने की कवायद में जुट गई है ताकि समय रहते इसकी दरारों को बढ़ने से रोका जा सके. हांलाकि कंपनी का दावा है कि रिज टैंक की दरारों का समय रहते री-स्टोरेशन वर्क पूरा कर लिया जाएगाConclusion:
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