शिमला: प्रदेश में निष्ठा योजना के तहत एनसीईआरटी के प्रोफेसर्स की ओर से शिक्षकों को दी जा रही ट्रेनिंग का पहला चरण पूरा हो गया है. इस चरण में बिलासपुर, चंबा, सिरमौर, शिमला, लाहौल स्पीति, किन्नौर और सोलन जिला के 150 शिक्षकों को प्रशिक्षण एनसीईआरटी के विशेषज्ञों की ओर से दिया गया है. प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों को शुक्रवार को ट्रेनिंग के समापन अवसर पर सर्टिफिकेट एनसीईआरटी के निदेशक ऋषिकेश सेनापति की ओर से प्रदान किए गए.
निष्ठा योजना के तहत देशभर में शिक्षकों को एक समान ट्रेनिंग दी जा रही है और इसी के तहत हिमाचल में भी 354 शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिग लेने वाले शिक्षक इसके बाज 45 हजार के करीब शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का काम करेंगे. एनसीईआरटी के निदेशक ऋषिकेश सेनापति ने बताया कि शिक्षकों को एक समान ट्रेनिंग दी जा रही है उसके लिए डिफरेंट मॉड्यूल तैयार किए गए हैं. ट्रेनिंग का उद्देश्य है कि छात्रों को किताबी ज्ञान से हटाकर उन्हें वास्तविक और व्यवहारिक ज्ञान दिया जाए और उन्हें समाज से जोड़ा जाए.
छात्र कक्षाओं में प्रैक्टिकली चीजों को समझें और उनमे चीजों को जानने की जिज्ञासा पैदा हो. इसी को ध्यान में रखते हुए देशभर में शिक्षकों को यह ट्रेनिंग दी जा रही है. देशभर में कुछ रिसर्च टीचर्स का चयन किया गया है जिन्हें एनसीईआरटी के विशेषज्ञों की ओर से ट्रेनिंग दी जा रही है और यही टीचर्स आगे जाकर दूसरे टीचर्स को यह ट्रेनिंग देंगे.
ऋषिकेश सेनापति ने कहा कि पहले जो ट्रेनिंग शिक्षकों को दी जाती थी उसका उद्देश्य मात्र यही रहता था कि बच्चे परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करें, लेकिन अब बच्चों को किस तरह से एक्टिविटीज में शामिल करना है जिससे कि बच्चे खुद सीख सकें ये ट्रेनिंग शिक्षकों दी जा रही है. उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि प्री प्राइमरी के बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाया जाए और बच्चों को खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाए.