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ट्राउट उत्पादन का 'सिरमौर' बनेगा हिमाचल, 800 मीट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित - ट्राउट मछली उत्पादन का लक्ष्य

ट्राउट मछली के उत्पादन में देश भर में सिरमौर बनने की राह पर है. राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-2021 में 800 मीट्रिक टन ट्राउट मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है.

trout fish production in Himachal
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Published : Nov 18, 2019, 3:23 PM IST

शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश ट्राउट मछली के उत्पादन में देश भर में सिरमौर बनने की राह पर है. राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-2021 में 800 मीट्रिक टन ट्राउट मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है. हिमाचल प्रदेश की बारहमासी नदियां इसमें सहायक होंगी.

पिछले कुछ वर्षों में हिमाचल प्रदेश देश में प्रमुख ट्राउट मछली उत्पादक राज्य के रूप में उभरा है. इस वित्त वर्ष के दौरान ट्राउट मछली उत्पादन रिकार्ड 685 मीट्रिक टन होने की संभावना है. राज्य सरकार ने सीएसएस-नीति क्रांति के अंतर्गत शिमला, चंबा और कांगड़ा में ट्राउट मछली के आउटलेट खोलने का फैसला किया है.

वीडियो रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश में व्यास, सतलुज और रावी नदियों की बर्फीली नदियों में मत्स्य पालन शुरु हो गया है. यह पहाड़ी राज्यों में ट्राउट के लिए सबसे अनुकूल है. प्रदेश के सात ट्राउट मछली उत्पादन जिलों कुल्लू, मंडी, शिमला, किन्नौर, चंबा, कांगड़ा और सिरमौर में वर्ष 2018-19 के दौरान 2 हजार 558 लाख रुपये का कुल 568.443 मीट्रिक टन ट्राउट मछली उत्पादन दर्ज किया गया.

मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर के अनुसार, राज्य ने वर्ष 2020-21 के दौरान ठंडे पानी में 800 मीट्रिक टन ट्राउट मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जबकि वर्ष 2021-22 के लिए 950 मीट्रिक टन ट्राउट मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

मत्स्य पालन विभाग ने ट्राउट मछली की बिक्री के लिए 940 ट्राउट इकाइयां विकसित करने के लिए महत्वाकांक्षी विपणन नीति भी तैयार की है. विभाग फिश वैन के माध्यम से ट्राउट मछली के विपणन के लिए इस वित्त वर्ष के दौरान ट्राउट क्लस्टर स्थापित करेगा. वर्तमान में राज्य में होने वाले ट्राउट मछलियों के उत्पादन में से लगभग 50 प्रतिशत की बिक्री मुख्य रूप से दिल्ली, मुंबई और चेन्नई आदि जैसे महानगरों के पांच सितारा होटलों में की जा रही है.

राज्य सरकार ने प्रदेश में ट्राउट मछली उत्पादन के कार्य से जुड़े लगभग 500 परिवारों को पारिश्रमिक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता और मात्रा दोनों को बढ़ाकर महानगरीय शहरों में विपणन पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला लिया है. मत्स्य विभाग आईसीएआर-सेंट्रल मेराइन फिशरीज़ रिसर्च इंस्टीच्यूट, कोच्चि के सहयोग से मछली बिक्री के लिए ऑनलाइन पोर्टल भी विकसित कर रहा है.

मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कुल्लू जिला के पतीकुहल, हामनी, चंबा के होली ठैला और भांदल, मंडी के बड़ोट, किन्नौर जिला के सांगला और जिला शिमला के धमवाड़ी में ट्राउट फार्म स्थापित किए गए हैं. सरकार ने ट्राउट फार्मिंग सात जिलों में निजी क्षेत्र में 29 ट्राउट हैचरी स्थापित करने का भी निर्णय लिया है. आने वाले वर्षों में सीएसएस-बीआर और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत ये हैचरी कुल्लू, मंडी, शिमला, किन्नौर, चंबा, कांगड़ा और सिरमौर जिलों में स्थापित होंगी और प्रत्येक हैचरी में प्रति वर्ष 2 लाख की ट्राउट ओवा उत्पादन क्षमता होगी.

राज्य सरकार ट्राउट मछली उत्पादन से जुड़े किसानों को गुणवत्ता वाले बीज और फीड प्रदान करने के लिए मछली बीज प्रमाणीकरण और मान्यता एजेंसी स्थापित करने की भी योजना बना रही है. ट्राउट मूल्य श्रृंखला में प्रौद्योगिकी और उत्पादन प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाने के लिए, कुल्लू जिले के ट्राउट फार्म पतलीकुहल में स्मोक्ड ट्राउट कैनिंग सेंटर भी तैयार किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें:मौसम का लुत्फ उठाने शिमला पहुंचीं प्रियंका वाड्रा, बच्चों संग अपने घर में बिता रहीं सुकून के पल

शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश ट्राउट मछली के उत्पादन में देश भर में सिरमौर बनने की राह पर है. राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-2021 में 800 मीट्रिक टन ट्राउट मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है. हिमाचल प्रदेश की बारहमासी नदियां इसमें सहायक होंगी.

पिछले कुछ वर्षों में हिमाचल प्रदेश देश में प्रमुख ट्राउट मछली उत्पादक राज्य के रूप में उभरा है. इस वित्त वर्ष के दौरान ट्राउट मछली उत्पादन रिकार्ड 685 मीट्रिक टन होने की संभावना है. राज्य सरकार ने सीएसएस-नीति क्रांति के अंतर्गत शिमला, चंबा और कांगड़ा में ट्राउट मछली के आउटलेट खोलने का फैसला किया है.

वीडियो रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश में व्यास, सतलुज और रावी नदियों की बर्फीली नदियों में मत्स्य पालन शुरु हो गया है. यह पहाड़ी राज्यों में ट्राउट के लिए सबसे अनुकूल है. प्रदेश के सात ट्राउट मछली उत्पादन जिलों कुल्लू, मंडी, शिमला, किन्नौर, चंबा, कांगड़ा और सिरमौर में वर्ष 2018-19 के दौरान 2 हजार 558 लाख रुपये का कुल 568.443 मीट्रिक टन ट्राउट मछली उत्पादन दर्ज किया गया.

मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर के अनुसार, राज्य ने वर्ष 2020-21 के दौरान ठंडे पानी में 800 मीट्रिक टन ट्राउट मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जबकि वर्ष 2021-22 के लिए 950 मीट्रिक टन ट्राउट मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

मत्स्य पालन विभाग ने ट्राउट मछली की बिक्री के लिए 940 ट्राउट इकाइयां विकसित करने के लिए महत्वाकांक्षी विपणन नीति भी तैयार की है. विभाग फिश वैन के माध्यम से ट्राउट मछली के विपणन के लिए इस वित्त वर्ष के दौरान ट्राउट क्लस्टर स्थापित करेगा. वर्तमान में राज्य में होने वाले ट्राउट मछलियों के उत्पादन में से लगभग 50 प्रतिशत की बिक्री मुख्य रूप से दिल्ली, मुंबई और चेन्नई आदि जैसे महानगरों के पांच सितारा होटलों में की जा रही है.

राज्य सरकार ने प्रदेश में ट्राउट मछली उत्पादन के कार्य से जुड़े लगभग 500 परिवारों को पारिश्रमिक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता और मात्रा दोनों को बढ़ाकर महानगरीय शहरों में विपणन पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला लिया है. मत्स्य विभाग आईसीएआर-सेंट्रल मेराइन फिशरीज़ रिसर्च इंस्टीच्यूट, कोच्चि के सहयोग से मछली बिक्री के लिए ऑनलाइन पोर्टल भी विकसित कर रहा है.

मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कुल्लू जिला के पतीकुहल, हामनी, चंबा के होली ठैला और भांदल, मंडी के बड़ोट, किन्नौर जिला के सांगला और जिला शिमला के धमवाड़ी में ट्राउट फार्म स्थापित किए गए हैं. सरकार ने ट्राउट फार्मिंग सात जिलों में निजी क्षेत्र में 29 ट्राउट हैचरी स्थापित करने का भी निर्णय लिया है. आने वाले वर्षों में सीएसएस-बीआर और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत ये हैचरी कुल्लू, मंडी, शिमला, किन्नौर, चंबा, कांगड़ा और सिरमौर जिलों में स्थापित होंगी और प्रत्येक हैचरी में प्रति वर्ष 2 लाख की ट्राउट ओवा उत्पादन क्षमता होगी.

राज्य सरकार ट्राउट मछली उत्पादन से जुड़े किसानों को गुणवत्ता वाले बीज और फीड प्रदान करने के लिए मछली बीज प्रमाणीकरण और मान्यता एजेंसी स्थापित करने की भी योजना बना रही है. ट्राउट मूल्य श्रृंखला में प्रौद्योगिकी और उत्पादन प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाने के लिए, कुल्लू जिले के ट्राउट फार्म पतलीकुहल में स्मोक्ड ट्राउट कैनिंग सेंटर भी तैयार किया जा रहा है.

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