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अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला 2020: मेले में पर्यटन की विविधता से हिमाचल ने आकर्षित किए पर्यटक - सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला

देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने और राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग हर सम्भव प्रयास कर रहा है. राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटन मेलों, प्रदर्शनियों में भाग लिया जा रहा है और सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला 2020 भी इसी दिशा में एक कदम है.

Surajkund International Crafts Fair 2020
सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला 2020
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Published : Feb 13, 2020, 8:36 AM IST

शिमला: प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हिमाचल प्रदेश ने 34वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में पर्यटन की विविधता से लाखों लोगों एवं पर्यटकों को आकर्षित किया है. थीम स्टेट के रूप में भागीदारी हिमाचल प्रदेश के लिए सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का मंच पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक लाभदायक अवसर साबित हो रहा है.

हिमाचल प्रदेश की विभिन्न भौगोलिक स्थिति, विविधता भरी संस्कृति, लोक परम्पराएं, रीति-रिवाज पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हैं. इसके अतिरिक्त बर्फ से ढकीं पहाड़ियां, सुंदर घाटियां, झीलें, हरे-भरे जंगल, कल-कल बहती नदियां और झरने पर्यटकों के लिए प्रदेश में मुख्य आकर्षण हैं.

देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने और राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग हर सम्भव प्रयास कर रहा है. राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटन मेलों, प्रदर्शनियों में भाग लिया जा रहा है और सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला 2020 भी इसी दिशा में एक कदम है.

इस तरह का अंतरराष्ट्रीय स्तर का मंच प्रदेश के पर्यटन, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, लोक गायन, हथकरघा-हस्तशिल्प, कांगड़ा पेंटिंग व व्यंजनों सहित प्रदेश के अन्य उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक लाभदायक अवसर है और पर्यटन से संबंधित ऐसे उत्पाद पर्यटकों व लोगों के लिए आकर्षण होते हैं.

सूरजकुंड शिल्प मेले में राज्य के विभिन्न उत्पादों को दर्शाकर पर्यटन विभाग ने पूरे मेला मैदान को हिमाचल के रंग में रंगा है, जिससे मेले में आने वाले लोगों में हिमाचल प्रदेश का भ्रमण करने के लिए उत्सुकता भी दिख रही है. पर्यटन विभाग पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए राज्य में पर्यटन क्षमता के नए व अनछुए क्षेत्रों में गतिविधि आधारित पर्यटन को प्रोत्साहित करने पर भी बल दे रहा है.

‘नई राहें नई मंजिलें’ योजना के अंतर्गत मंडी जिला के जंजैहली को ईको पर्यटन गंतव्य या कांगड़ा जिला के बीड़-बिलिंग को ऐरो स्पोर्ट्स, शिमला जिला के चांशल को स्की गंतव्य के रूप में विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके अतिरिक्त प्रदेश के जलाशयों जैसे पौग बांध झील (कांगड़ा), लारजी व तत्तापानी (मंडी) में वाटर स्पोर्ट्स को भी प्रोत्साहित करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

राज्य की पारंपरिक लोक संस्कृति व व्यंजन भी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण हैं और पर्यटन से संबंधित इन उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के मंचों पर प्रदर्शित कर पर्यटकों को हिमाचल की संस्कृति से अवगत करवाया जा रहा है. इसके अलावा हथकरघा-हस्तशिल्प व अन्य उत्पादों को एक ही जगह पर प्रदर्शित करने से राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर सहित पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

पर्यटन उद्योग से जुड़े उद्यमियों व कलाकारों को ऐसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेलों, मार्ट व प्रदर्शनियों में भाग लेने से काफी प्रोत्साहन मिलता है. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न पर्यटन गंतव्यों सहित नए पर्यटन स्थलों को मेला प्रदर्शनी में आकर्षक रूप से स्टॉल में प्रदर्शित किया है और सोशल मीडिया सहित प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के पर्यटन का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: रिज मैदान के आएंगे 'अच्छे दिन', 7 करोड़ रुपये से बचेगी शिमला की शान

शिमला: प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हिमाचल प्रदेश ने 34वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में पर्यटन की विविधता से लाखों लोगों एवं पर्यटकों को आकर्षित किया है. थीम स्टेट के रूप में भागीदारी हिमाचल प्रदेश के लिए सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का मंच पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक लाभदायक अवसर साबित हो रहा है.

हिमाचल प्रदेश की विभिन्न भौगोलिक स्थिति, विविधता भरी संस्कृति, लोक परम्पराएं, रीति-रिवाज पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हैं. इसके अतिरिक्त बर्फ से ढकीं पहाड़ियां, सुंदर घाटियां, झीलें, हरे-भरे जंगल, कल-कल बहती नदियां और झरने पर्यटकों के लिए प्रदेश में मुख्य आकर्षण हैं.

देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने और राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग हर सम्भव प्रयास कर रहा है. राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटन मेलों, प्रदर्शनियों में भाग लिया जा रहा है और सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला 2020 भी इसी दिशा में एक कदम है.

इस तरह का अंतरराष्ट्रीय स्तर का मंच प्रदेश के पर्यटन, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, लोक गायन, हथकरघा-हस्तशिल्प, कांगड़ा पेंटिंग व व्यंजनों सहित प्रदेश के अन्य उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक लाभदायक अवसर है और पर्यटन से संबंधित ऐसे उत्पाद पर्यटकों व लोगों के लिए आकर्षण होते हैं.

सूरजकुंड शिल्प मेले में राज्य के विभिन्न उत्पादों को दर्शाकर पर्यटन विभाग ने पूरे मेला मैदान को हिमाचल के रंग में रंगा है, जिससे मेले में आने वाले लोगों में हिमाचल प्रदेश का भ्रमण करने के लिए उत्सुकता भी दिख रही है. पर्यटन विभाग पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए राज्य में पर्यटन क्षमता के नए व अनछुए क्षेत्रों में गतिविधि आधारित पर्यटन को प्रोत्साहित करने पर भी बल दे रहा है.

‘नई राहें नई मंजिलें’ योजना के अंतर्गत मंडी जिला के जंजैहली को ईको पर्यटन गंतव्य या कांगड़ा जिला के बीड़-बिलिंग को ऐरो स्पोर्ट्स, शिमला जिला के चांशल को स्की गंतव्य के रूप में विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके अतिरिक्त प्रदेश के जलाशयों जैसे पौग बांध झील (कांगड़ा), लारजी व तत्तापानी (मंडी) में वाटर स्पोर्ट्स को भी प्रोत्साहित करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

राज्य की पारंपरिक लोक संस्कृति व व्यंजन भी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण हैं और पर्यटन से संबंधित इन उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के मंचों पर प्रदर्शित कर पर्यटकों को हिमाचल की संस्कृति से अवगत करवाया जा रहा है. इसके अलावा हथकरघा-हस्तशिल्प व अन्य उत्पादों को एक ही जगह पर प्रदर्शित करने से राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर सहित पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

पर्यटन उद्योग से जुड़े उद्यमियों व कलाकारों को ऐसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेलों, मार्ट व प्रदर्शनियों में भाग लेने से काफी प्रोत्साहन मिलता है. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न पर्यटन गंतव्यों सहित नए पर्यटन स्थलों को मेला प्रदर्शनी में आकर्षक रूप से स्टॉल में प्रदर्शित किया है और सोशल मीडिया सहित प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के पर्यटन का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.

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