ETV Bharat / state

खजाने की सेहत सुधारने के लिए सुखविंदर सरकार का नया कदम, 50 लाख से अधिक के जमीन सौदे में 8 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी की तैयारी

हिमाचल प्रदेश सरकार 50 लाख रुपए से अधिक के जमीन सौदों पर स्टांप ड्यूटी को 8 प्रतिशत करने की तैयारी में है. वर्तमान में, हिमाचल प्रदेश में महिलाओं से 4% स्टांप शुल्क लिया जाता है, जबकि पुरुषों से 6% शुल्क लिया जाता है. पढ़ें पूरी खबर... (Himachal Government News).

Himachal Government News
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (फाइल फोटो).
author img

By

Published : Aug 6, 2023, 7:58 PM IST

शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है. पहले से ही कर्ज के बोझ तले हिमाचल प्रदेश में इस साल मानसून सीजन ने भारी कहर बरपाया है. राज्य सरकार को खाली खजाने से राहत व बचाव कार्य सहित पुनर्वास कार्यों के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार खजाने की सेहत सुधारने के लिए कई मोर्चों पर काम कर रही है. पहले वाटर सेस से कमाई का जरिया तलाशा गया और अब स्टांप ड्यूटी बढ़ाकर खजाने को सांस प्रदान करने की कोशिश शुरू की गई है.

हिमाचल सरकार 50 लाख रुपए से अधिक के जमीन सौदों पर स्टांप ड्यूटी को 8 प्रतिशत करने की तैयारी में है. राजस्व विभाग को इस बारे में कसरत करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. इससे पहले कैबिनेट मीटिंग में स्टांप ड्यूटी बढ़ाने को लेकर गहराई से विचार-विमर्श किया गया. कैबिनेट इस बात पर एकमत थी कि स्टांप ड्यूटी बढ़ाने के लिए आगामी सत्र में बिल लाया जाए. ऐसे में राज्य सरकार भारतीय स्टांप अधिनियम में दो बदलाव करना चाहती है. इसके लिए सरकार को दो विधेयक लाने होंगे. पहले एक विधेयक आने वाले मानसून सेशन में लाया जाएगा. उसके बाद विधानसभा के विंटर सेशन में एक विधेयक पेश किया जाएगा.

सुखविंदर सिंह सरकार रेवेन्यू सर्विसिज फीस में रेशनेलाइजेशन के लिए भारतीय स्टांप अधिनियम-1899 में दो संशोधन करने का विचार रखती है. वैसे तो भारतीय स्टांप अधिनियम एक केंद्रीय कानून, लेकिन इसमें दिए गए एक शेड्यूल में बदलाव करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है. मौजूदा समय में हिमाचल में जमीन के सौदों में रजिस्ट्री के समय महिलाओं को स्टांप ड्यूटी पर दो फीसदी छूट है. महिलाओं के नाम से रजिस्ट्री होने पर स्टांप ड्यूटी 4 फीसदी लगती है.

वहीं, पुरुषों के नाम से होने वाली रजिस्ट्री में स्टांप ड्यूटी 6 फीसदी है. राज्य सरकार चाहती है कि जो भूमि सौदे पचास लाख रुपए से अधिक के हों, उनमें स्टांप ड्यूटी को 8 फीसदी किया जाए. उदाहरण के लिए यदि कोई जमीन सौदा एक करोड़ रुपए में होता है तो स्टांप ड्यूटी 8 लाख रुपए बनेगी. इस संशोधन के आशय का बिल इसी मानसून सेशन में लाया जाएगा. खजाने में ये राजस्व नॉन टैक्स रेवेन्यू के रूप में जुड़ता है.

वर्ष 2021-22 में राज्य सरकार को स्टांप ड्यूटी व रजिस्ट्रेशन फीस के तौर पर 327 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी. औसतन राज्य सरकार को 250 करोड़ से 400 करोड़ रुपए के बीच नॉन टैक्स रेवेन्यू के तौर पर कमाई होती है. इस बिल के पारित होने के बाद यह राजभवन की मंजूरी के लिए जाएगा. वहां से मंजूरी मिलते ही ये कानून बन जाएगा. वहीं, राज्य सरकार इसी सिलसिले में दूसरा बिल शीतकालीन सत्र में लाएगी. चूंकि भारतीय स्टांप अधिनियम-1899 में जो विषय राज्य के लिए तय हैं, उनमें संशोधन करने के बाद मंजूरी के लिए बिल को केंद्र सरकार को भेजना पड़ता है. दूसरे संशोधन में हिमाचल सरकार खनन लीज और कंपनी एक्ट के तहत होने वाली पार्टनरशिप डीड आदि के लिए अलग से स्टांप ड्यूटी ले पाएगी.

एक्ट के वर्तमान प्रावधान के तहत जब खनन लीज व पार्टनरशिप डीड में इसे लागू किया जाता है तो कारोबारी समूह अदालत चले जाते हैं. इस तरह कोई स्पष्ट प्रावधान न होने के कारण राज्य सरकार अदालत में केस हार जाती है. हिमाचल सरकार के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के सचिव आईएएस ओंकार शर्मा का कहना है कि खनन लीज व कारोबारी समूहों में पार्टनरशिप डीड पर स्टांप ड्यूटी वाले मामले में कैबिनेट से विभाग को हरी झंडी मिल चुकी है. राजस्व विभाग इस मसले पर कसरत शुरू कर चुका है. मानसून सीजन में लाए जाने वाले बिल को लेकर राजभवन से आधिकारिक पत्राचार हो गया है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल प्रदेश के राशन कार्ड धारकों को अगस्त यानि इसी महीने मिलेगा जुलाई का बचा हुआ चीनी का कोटा

शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है. पहले से ही कर्ज के बोझ तले हिमाचल प्रदेश में इस साल मानसून सीजन ने भारी कहर बरपाया है. राज्य सरकार को खाली खजाने से राहत व बचाव कार्य सहित पुनर्वास कार्यों के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार खजाने की सेहत सुधारने के लिए कई मोर्चों पर काम कर रही है. पहले वाटर सेस से कमाई का जरिया तलाशा गया और अब स्टांप ड्यूटी बढ़ाकर खजाने को सांस प्रदान करने की कोशिश शुरू की गई है.

हिमाचल सरकार 50 लाख रुपए से अधिक के जमीन सौदों पर स्टांप ड्यूटी को 8 प्रतिशत करने की तैयारी में है. राजस्व विभाग को इस बारे में कसरत करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. इससे पहले कैबिनेट मीटिंग में स्टांप ड्यूटी बढ़ाने को लेकर गहराई से विचार-विमर्श किया गया. कैबिनेट इस बात पर एकमत थी कि स्टांप ड्यूटी बढ़ाने के लिए आगामी सत्र में बिल लाया जाए. ऐसे में राज्य सरकार भारतीय स्टांप अधिनियम में दो बदलाव करना चाहती है. इसके लिए सरकार को दो विधेयक लाने होंगे. पहले एक विधेयक आने वाले मानसून सेशन में लाया जाएगा. उसके बाद विधानसभा के विंटर सेशन में एक विधेयक पेश किया जाएगा.

सुखविंदर सिंह सरकार रेवेन्यू सर्विसिज फीस में रेशनेलाइजेशन के लिए भारतीय स्टांप अधिनियम-1899 में दो संशोधन करने का विचार रखती है. वैसे तो भारतीय स्टांप अधिनियम एक केंद्रीय कानून, लेकिन इसमें दिए गए एक शेड्यूल में बदलाव करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है. मौजूदा समय में हिमाचल में जमीन के सौदों में रजिस्ट्री के समय महिलाओं को स्टांप ड्यूटी पर दो फीसदी छूट है. महिलाओं के नाम से रजिस्ट्री होने पर स्टांप ड्यूटी 4 फीसदी लगती है.

वहीं, पुरुषों के नाम से होने वाली रजिस्ट्री में स्टांप ड्यूटी 6 फीसदी है. राज्य सरकार चाहती है कि जो भूमि सौदे पचास लाख रुपए से अधिक के हों, उनमें स्टांप ड्यूटी को 8 फीसदी किया जाए. उदाहरण के लिए यदि कोई जमीन सौदा एक करोड़ रुपए में होता है तो स्टांप ड्यूटी 8 लाख रुपए बनेगी. इस संशोधन के आशय का बिल इसी मानसून सेशन में लाया जाएगा. खजाने में ये राजस्व नॉन टैक्स रेवेन्यू के रूप में जुड़ता है.

वर्ष 2021-22 में राज्य सरकार को स्टांप ड्यूटी व रजिस्ट्रेशन फीस के तौर पर 327 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी. औसतन राज्य सरकार को 250 करोड़ से 400 करोड़ रुपए के बीच नॉन टैक्स रेवेन्यू के तौर पर कमाई होती है. इस बिल के पारित होने के बाद यह राजभवन की मंजूरी के लिए जाएगा. वहां से मंजूरी मिलते ही ये कानून बन जाएगा. वहीं, राज्य सरकार इसी सिलसिले में दूसरा बिल शीतकालीन सत्र में लाएगी. चूंकि भारतीय स्टांप अधिनियम-1899 में जो विषय राज्य के लिए तय हैं, उनमें संशोधन करने के बाद मंजूरी के लिए बिल को केंद्र सरकार को भेजना पड़ता है. दूसरे संशोधन में हिमाचल सरकार खनन लीज और कंपनी एक्ट के तहत होने वाली पार्टनरशिप डीड आदि के लिए अलग से स्टांप ड्यूटी ले पाएगी.

एक्ट के वर्तमान प्रावधान के तहत जब खनन लीज व पार्टनरशिप डीड में इसे लागू किया जाता है तो कारोबारी समूह अदालत चले जाते हैं. इस तरह कोई स्पष्ट प्रावधान न होने के कारण राज्य सरकार अदालत में केस हार जाती है. हिमाचल सरकार के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के सचिव आईएएस ओंकार शर्मा का कहना है कि खनन लीज व कारोबारी समूहों में पार्टनरशिप डीड पर स्टांप ड्यूटी वाले मामले में कैबिनेट से विभाग को हरी झंडी मिल चुकी है. राजस्व विभाग इस मसले पर कसरत शुरू कर चुका है. मानसून सीजन में लाए जाने वाले बिल को लेकर राजभवन से आधिकारिक पत्राचार हो गया है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल प्रदेश के राशन कार्ड धारकों को अगस्त यानि इसी महीने मिलेगा जुलाई का बचा हुआ चीनी का कोटा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.