शिमला: सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने हिमाचल प्रदेश की खराब वित्तीय हालात पर श्वेत पत्र लाने के लिए एक सब कमेटी गठित की है. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में गठित इस सब कमेटी की बैठक हुई. इस बैठक में प्रदेश में वित्तीय हालातों पर चर्चा की गई. बैठक में कृषि मंत्री चंद्र कुमार और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह भी शामिल रहे.
बैठक के बाद सब कमेटी के सदस्य चंद्र कुमार ने कहा कमेटी न केवल पूर्व सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन को जनता के समक्ष रखेगी, बल्कि रिसोर्स मोबिलाइजेशन को लेकर चर्चा कर इसकी सिफारिश भी करेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व भाजपा सरकार ने फिजूलखर्ची कर राज्य की वित्तीय हालात खराब की है. धर्मशाला में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हुए, लेकिन निवेश नहीं आया. इसी तरह चुनावी वर्ष में हिमाचल प्रदेश पूर्ण राज्यत्व के 50 वर्ष पूरा होने और आजादी का अमृत महोत्सव के नाम पर फिजूलखर्ची की गई. सब कमेटी इन सारे वित्तीय कुप्रबंधन को सामने लाएगी.
चंद्र कुमार ने कहा कि बैठक में वार्षिक योजना आकार की परंपरा बंद होने से पर चर्चा की गई है. केंद्र सरकार की ओर से योजना आयोग की जगह नीति आयोग का गठन किया गया, जिससे राज्य को वित्तीय नुकसान हुआ है. नए फार्मूले से बजट की सारी अलोकेशन वार्षिक बजट में होती है और राज्य को होने वाले घाटे की भरपाई नहीं हो पा रही है.
कृषि मंत्री ने कहा केंद्र की भाजपा सरकार के बड़े नेताओं ने हिमाचल में कई घोषणाएं की, लेकिन इन वादों को पूरा नहीं किया गया. पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले मंडी दौरे पर हिमाचल को टूरिज्म पैकेज देने की घोषणा की थी, लेकिन चुनाव में भाजपा हार गई और इसके बाद हिमाचल के लिए कोई टूरिज्म पैकेज नहीं दिया गया. इसी तरह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हिमाचल के लिए 69 नेशनल हाईवे देने का ऐलान किया था, लेकिन इस पर कोई अमल नहीं हुआ. आज तक मात्र दो ही 2 सड़कें ही बन पाई.
उन्होंने कहा पूर्व की भाजपा ने हिमाचल के कर्मचारी-पेंशनरों की करीब 12 हजार करोड़ रुपए की वित्तीय देनदारियां मौजूदा सरकार पर छोड़ दी. जिससे हिमाचल का वित्तीय संतुलन गड़बड़ा गया है. हालांकि, प्रदेश की मौजूदा सरकार हिमाचल की आर्थिकी स्थिति को सुधारने के लिए कदम उठा रही है.