शिमला: हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में ब्लैक फंगस से पीड़ित महिला का मंगलवार को सफल ऑपरेशन किया गया है. ऑपरेशन करीब दो घंटों तक चला है. ऑपरेशन के बाद महिला डॉक्टरों की निगरानी में हैं.
महिला की हालत स्थिर
महिला के नाक और गले के तालू में चिपके फंगस को निकाला गया. बताया जा रहा है कि महिला के तालू में डेंटल विभाग के चिकित्सक एक प्लेट डालेंगे, जिससे कि वह पहले की तरह बोल सके. हालांकि, इसमें अभी कुछ और समय लगेगा. मौजूदा समय में महिला की हालत स्थिर है.
दो घंटों में पूरा हुआ ऑपरेशन
हिमाचल प्रदेश में बीते सप्ताह ब्लैक फंगस का पहला मामला सामने आया था. हमीरपुर के खगल गांव की रहने वाली महिला में यह फंगस पाया गया था. कई बार महिला का ऑपरेशन तय किया गया, लेकिन शुगर अधिक होने के चलते ऑपरेशन टालना पड़ा. फिर, मंगलवार दोपहर 2:30 बजे के करीब महिला को आइसोलेशन वार्ड से इमरजेंसी ऑपरेशन थियेटर लाया गया. यहां पर एनेस्थीसिया विभाग और ईएनटी के डॉक्टरों ने मिलकर दो घंटों में यह ऑपरेशन पूरा किया.
गम्भीर बीमारी वाले लोग रखें विशेष ख्याल
आईजीएसमी के प्रशानिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता का कहना है कि ब्लैक फंगस बीमारी हाई एस्ट स्टेज पर जाकर जानलेवा हो जाती है. शुरुआती लक्षणों के समय पर जांच करने से इस बीमारी का दवाइयों व इंजेक्शन से इलाज संभव है. पहले से गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों में ब्लैक फंगस होने की संभावना अधिक रहती है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि ऐसे लोग अपना विशेष ख्याल रखें. अपने शरीर व चेहरे को अच्छे तरीके से साफ करते रहें.
जानलेवा हो सकता है ब्लैक फंगस
इस प्रकार का फंगस बनाने वाले कीटाणु वातावरण में मौजूद होते हैं, लेकिन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण होने पर ही वह फंगस का रूप धारण कर शरीर में काले निशान बनाने लगती हैं. पहले यह नाक और आंख सहित त्वचा में फैलता है. इस स्थिति में दवाई, इंजेक्शन या फिर सर्जरी से इसका इलाज संभव है, लेकिन अगर या इन्फेक्शन दिमाग तक चला जाता है तो यह जानलेवा हो सकता है.
ये भी पढ़ें- राजगढ़: 4 माह के बच्चे समेत परिवार के पांच सदस्यों ने जीती कोरोना से जंग