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IGMC के इतिहास में फिर दर्ज हुई 12 तारीख, पहले ओपन हार्ट सर्जरी अब किया सफल किडनी ट्रांसप्लांट

दिल्ली एम्स से आई डॉक्टरों की टीम की देखरेख में आईजीएमसी के डॉक्टरों ने 2 सफल किडनी ट्रांसप्लांट किए हैं. किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आईजीएमसी के डॉक्टरों को ट्रेनिंग के लिए एम्स भेजा गया था. किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आईजीएमसी प्रशासन ने दिया कुल 7.25 लाख रुपये का एस्टिमेट.

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Published : Aug 13, 2019, 9:43 AM IST

igmc shimla

शिमलाः सोमवार यानि 12 अगस्त को आईजीएमसी में पहली बार 2 सफल किडनी ट्रांसप्लांट किए गए. आईजीएमसी के डॉक्टरों की टीम ने यह ट्रांसप्लांट एम्स से आई डॉक्टरों की टीम की देखरेख में पुरे किए. पहला ट्रांसप्लांट सुबह नौ बजे शुरू होकर साढ़े ग्यारह बजे पूरा हुआ. जबकि दूसरा ट्रांसप्लांट 12 बजे शुरू होकर 2 बजे पूरा हुआ.

अब आईजीएमसी के लिए 12 तारीख खास बन गयी है. इससे पहले 12 दिसंबर 2005 को आईजीएमसी अस्पताल में इमरजेंसी डिपार्टमेंट के हैड डॉ. रजनीश पठानिया, एम्स से डॉ. एम वेणुगोपाल के नेतृत्व में पहली ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी.

आईजीएमसी में 2 सफल किडनी ट्रांसप्लांट किए गए.

आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि दो मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया हैं जिसमें एक शिमला और दूसरा मंडी का है. उन्होंने कहा कि अभी एम्स के डॉक्टर 20 मरीजों के किडनी ट्रांसप्लान्ट के लिए आईजीएमसी में उनके साथ रहेंगे. उसके बाद आईजीएमसी के डॉक्टर खुद ट्रांसप्लांट करेंगे.

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बता दें कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आईजीएमसी प्रशासन ने कुल 7.25 लाख रुपये का एस्टिमेट दिया है. जिसमें से ईएसआई ने एक किडनी मरीज के लिए अब तक दिए 4 लाख 85 हजार की राशि का भुगतान पहले ही कर चुकी है.

डॉ. जनक राज ने कहा कि महीने में 4 से 5 मरीज किडनी ट्रांसप्लांट की एनओसी के लिए आते हैं जो साल का 60 मरीज के लगभग है. अब इन सभी मरीजों को आईजीएमसी में ही इलाज मिलेगा.

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आईजीएमसी में पहला किडनी ट्रांसप्लांट करने से पहले डॉक्टरों की टीम को ट्रेनिंग के लिए एम्स भेजा गया था. जिसके बाद एम्स के डॉक्टरों ने आईजीएमसी आकर तैयारियों का जायजा लिया और उसके बाद ही आईजीएमसी को ट्रांसप्लांट के लिए हरी झंडी मिली.
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शिमलाः सोमवार यानि 12 अगस्त को आईजीएमसी में पहली बार 2 सफल किडनी ट्रांसप्लांट किए गए. आईजीएमसी के डॉक्टरों की टीम ने यह ट्रांसप्लांट एम्स से आई डॉक्टरों की टीम की देखरेख में पुरे किए. पहला ट्रांसप्लांट सुबह नौ बजे शुरू होकर साढ़े ग्यारह बजे पूरा हुआ. जबकि दूसरा ट्रांसप्लांट 12 बजे शुरू होकर 2 बजे पूरा हुआ.

अब आईजीएमसी के लिए 12 तारीख खास बन गयी है. इससे पहले 12 दिसंबर 2005 को आईजीएमसी अस्पताल में इमरजेंसी डिपार्टमेंट के हैड डॉ. रजनीश पठानिया, एम्स से डॉ. एम वेणुगोपाल के नेतृत्व में पहली ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी.

आईजीएमसी में 2 सफल किडनी ट्रांसप्लांट किए गए.

आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि दो मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया हैं जिसमें एक शिमला और दूसरा मंडी का है. उन्होंने कहा कि अभी एम्स के डॉक्टर 20 मरीजों के किडनी ट्रांसप्लान्ट के लिए आईजीएमसी में उनके साथ रहेंगे. उसके बाद आईजीएमसी के डॉक्टर खुद ट्रांसप्लांट करेंगे.

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बता दें कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आईजीएमसी प्रशासन ने कुल 7.25 लाख रुपये का एस्टिमेट दिया है. जिसमें से ईएसआई ने एक किडनी मरीज के लिए अब तक दिए 4 लाख 85 हजार की राशि का भुगतान पहले ही कर चुकी है.

डॉ. जनक राज ने कहा कि महीने में 4 से 5 मरीज किडनी ट्रांसप्लांट की एनओसी के लिए आते हैं जो साल का 60 मरीज के लगभग है. अब इन सभी मरीजों को आईजीएमसी में ही इलाज मिलेगा.

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आईजीएमसी में पहला किडनी ट्रांसप्लांट करने से पहले डॉक्टरों की टीम को ट्रेनिंग के लिए एम्स भेजा गया था. जिसके बाद एम्स के डॉक्टरों ने आईजीएमसी आकर तैयारियों का जायजा लिया और उसके बाद ही आईजीएमसी को ट्रांसप्लांट के लिए हरी झंडी मिली.
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Intro:

आईजीएमसी के लिए 12 की तारीख बनी खास
20 मरीजो का किडनी ट्रांसप्लांट करेंगे एम्स के डॉक्टर
शिमला
आईजीएमसी के लिए 12 तारीख खास बन गयी है। इससे पहले 12 दिसंबर 2005 को आईजीएमसी अस्पताल में पहली ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी। सीटीवीएस डिपार्टमेंट में ही यह सर्जरी हुई थी। तत्कालीन डिपार्टमेंट के हैड डॉ. रजनीश पठानिया, एम्स से डॉ. एम वेणुगोपाल के नेतृत्व में आई टीम ने पहली ओपन हार्ट सर्जरी की थी। उसके बाद यहां पर अब हर माह कई ऑपरेशन हाेते हैं। और सोमबार को भी 12 तारिक है जब पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है।


Body:आईजीएमसी में सोमवार को पहली बार दाे किडनी ट्रांसप्लांट हुए। एम्स से अाई डाॅक्टराें की टीम की देखरेख में आईजीएमसी के डॉक्टरों की टीम ने ये ट्रांसप्लांट किए। पहला ट्रांसप्लांट सुबह नौ बजे शुरू होकर साढ़े ग्यारह बजे पूरा हुआ। दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट 12 बजे शुरू होकर दो बजे पूरा हुआ। आईजीएमसी में जब पहले किडनी ट्रांसप्लांट को करने का फैसला लिया तो एम्स के डॉक्टरों को भी बुलाया गया। ताकि जरूरत पड़ने पर पहले से किडनी ट्रांसप्लांट कर रहे एम्स के डॉक्टर आईजीएमसी के डॉक्टरों को गाइड कर सकें। इस तरह एम्स के डॉक्टरों की देखरेख में आईजीएमसी में पहली बार दो मरीजों के किडनी ट्रांसप्लांट किए। आईजीएमसी ने किडनी ट्रांसप्लांट की तैयारियां शुरू कर दी थी। ट्रांसप्लांट के लिए फिलहाल नई ओटी नहीं थी तो सीटीवीएस की ओटी इस तरह तैयार की गई कि किडनी ट्रांसप्लांट भी यहां आसानी से हो सके। ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टरों को दिल्ली भेजा गया। इन डॉक्टरों की ट्रेनिंग पूरा होने के बाद एम्स के डॉक्टरों ने आईजीएमसी आकर तैयारियों का जायजा लिया। फिर आईजीएमसी को ट्रांसप्लांट के लिए हरी झंडी मिली।
आइजीएमसी के एमएस डॉ जनक राज ने बताया कि
दो मरीजो का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया हैं जिसमें एक शिमला तथा दूसरा मंडी का है ।उन्होंने कहा कि अभी एम्स के डॉक्टर 20 मरीजो के किडनी ट्रांसप्लान्ट के लिए आइजीएमसी में उनके साथ रहेंगे ।उसके बाद आइजीएमसी के डॉक्टर खुद ट्रांसप्लान्ट करेंगे।
उन्होंने कहा की महीने में 4,5 मरीज किडनी ट्रांसप्लांट के लिए एनओसी के लिए आते है जो साल का 60 मरीज के लगभग है ।अब इन सभी मरीजो को आइजीएमसी में ही इलाज मिलेगा।
सफाई कर्मी को दिए 900 रुपए
आईजीएमसी प्रशासन ने बाहर से सफाई के दाैरान इंफेक्शन न जाए इसके लिए सफाई कर्मी काे 900 रुपए खास ड्रेस लेने के लिए दिए गए। ताकि अाेटी में जाने के लिए अलग से नई ड्रेस पहन सके अाैर ओटी में जाने पर किसी तरह का कोई इंफेक्शन न जाए। अाईजीएमसी में किडनी ट्रांसप्लांट में अगर कामयाबी मिलती है ताे मरजाें के लिए बड़ी राहत हाेगी। यहां से अब काेई भी पेशेंट किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पीजीअाई चंडीगढ़ नहीं जाएगा। यहीं पर अब अाईजीएमसी के डाॅक्टराें की टीम मरीजाें के अाॅपरेशन करेगी।

ईएसआई ने अब तक दिए 4 लाख 85 हजार, 7.25 लाख का अस्टिमेट
मंडी के 31 वर्षीय नरेश की किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आईजीएमसी प्रशासन ने कुल 7.25 लाख रुपए का अस्टिमेट दिया है। नरेश शहर के मशहूर काराेबारी गेंदामल हेमराज के पास नाैकरी करता है अाैर वह ईएसआई में रजिस्टर्ड है। गेंदामल हेमराज के मालिक गाैतम जैन भी आईजीएमसी में साेमवार काे माैजूद रहे। उनसे बात की गई ताे उन्हाेंने बताया कि नरेश ईएसआई में रजिस्टर्ड है।


Conclusion: सर्जरी के लिए उन्हाेंने ईएसआई काे चिट्ठियां लिखी। जिसके बाद ईएसआई से उन्हें 4.85 लाख रुपए का चैक आईजीएमसी के नाम दिया गया। वहीं आगे भी जितना खर्चा हाेगा वह ईएसआई से लिया जाएगा। उन्हाेंने कहा कि नरेश के ईलाज में काेई कमी नहीं अाने दी जाएगी।
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