शिमलाः सोमवार यानि 12 अगस्त को आईजीएमसी में पहली बार 2 सफल किडनी ट्रांसप्लांट किए गए. आईजीएमसी के डॉक्टरों की टीम ने यह ट्रांसप्लांट एम्स से आई डॉक्टरों की टीम की देखरेख में पुरे किए. पहला ट्रांसप्लांट सुबह नौ बजे शुरू होकर साढ़े ग्यारह बजे पूरा हुआ. जबकि दूसरा ट्रांसप्लांट 12 बजे शुरू होकर 2 बजे पूरा हुआ.
अब आईजीएमसी के लिए 12 तारीख खास बन गयी है. इससे पहले 12 दिसंबर 2005 को आईजीएमसी अस्पताल में इमरजेंसी डिपार्टमेंट के हैड डॉ. रजनीश पठानिया, एम्स से डॉ. एम वेणुगोपाल के नेतृत्व में पहली ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी.
आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने बताया कि दो मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया हैं जिसमें एक शिमला और दूसरा मंडी का है. उन्होंने कहा कि अभी एम्स के डॉक्टर 20 मरीजों के किडनी ट्रांसप्लान्ट के लिए आईजीएमसी में उनके साथ रहेंगे. उसके बाद आईजीएमसी के डॉक्टर खुद ट्रांसप्लांट करेंगे.
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बता दें कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आईजीएमसी प्रशासन ने कुल 7.25 लाख रुपये का एस्टिमेट दिया है. जिसमें से ईएसआई ने एक किडनी मरीज के लिए अब तक दिए 4 लाख 85 हजार की राशि का भुगतान पहले ही कर चुकी है.
डॉ. जनक राज ने कहा कि महीने में 4 से 5 मरीज किडनी ट्रांसप्लांट की एनओसी के लिए आते हैं जो साल का 60 मरीज के लगभग है. अब इन सभी मरीजों को आईजीएमसी में ही इलाज मिलेगा.
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आईजीएमसी में पहला किडनी ट्रांसप्लांट करने से पहले डॉक्टरों की टीम को ट्रेनिंग के लिए एम्स भेजा गया था. जिसके बाद एम्स के डॉक्टरों ने आईजीएमसी आकर तैयारियों का जायजा लिया और उसके बाद ही आईजीएमसी को ट्रांसप्लांट के लिए हरी झंडी मिली.
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