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SPECIAL: लॉकडाउन के बीच घर बन गए पाठशाला, टेक्नोलॉजी छात्रों की पढ़ाई को जारी रखने में आ रही काम

शिक्षकों अध्यपाकों के लिए टैक्नोलॉजी वरदान बन गई है. तकनीक ने सारी दूरियों को मिटा दिया है. व्हाट्सएप और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छात्रों की कक्षाएं लगाई जा रही हैं. बच्चे घर पर ही पाइथागोरस और आर्कमिडीज का सिद्धांत पढ़ रहे हैं. छात्र भी इस माध्यम से पढ़ाई में खासी रूचि ले रहे हैं और अब एक टाइम टेबल सेट हो चुका है जिसके हिसाब से घर में ही अपनी पाठशाला लगा रहे हैं.

students learning online during lockdown
लॉकडाउन के बीच घर बन गए पाठशाला
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Published : Apr 20, 2020, 7:01 PM IST

शिमला: 2020 की शुरुआत में ही कोरोना ने पूरी दुनिया का गणित बिगाड़ दिया है. कोई भी इस महामारी से अछूता नही है. पूरी दुनिया लॉकडाउन है. मंदिर, गुरुद्वारे, मस्जिद, सरकारी दफ्तर, स्कूल फैक्ट्रियां सब बंद हैं. सड़कों, गलियों में बस पुलिस का पहरा है. अप्रैल समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, लेकिन बच्चों के स्कूल अभी खुल नहीं पाए हैं.

ऐसे में छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है, लेकिन इस संकट की घड़ी में अब घर ही पाठशाला बन चुके हैं. टेक्नोलॉजी इस समय एक वरदान साबित हो रही है, खासकर उन शिक्षकों और छात्रों के लिए जिन्होंने घर बैठे ही इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पढ़ाई को शुरू कर दिया है. सबसे पहले निजी स्कूलों की ओर से इसकी शुरुआत की गई है. निजी स्कूलों ने घर बैठे ही छात्रों को पढ़ाना शुरू कर दिया है.

वीडियो रिपोर्ट

व्हाट्सएप और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छात्रों की कक्षाएं लगाई जा रही हैं और उन्हें रोजाना इंग्लिश, मैथ, साइंस जैसे विषय लगातार पढ़ाए जा रहे हैं. छात्र भी इस माध्यम से पढ़ाई में खासी रूचि ले रहे हैं और अब एक टाइम टेबल सेट हो चुका है जिसके हिसाब से घर में ही अपनी पाठशाला लगा रहे हैं.

शिक्षक भी घर से ही कक्षाएं लगा रहे हैं. वहीं, बच्चे भी घर बैठे ही अपनी पढ़ाई को जारी रख पा रहे हैं. रोजाना दिन में 3 से 4 घंटे की पढ़ाई इस ऑनलाइन तकनीक के माध्यम से ही संभव हो पा रही है. निजी स्कूलों को फॉलो करते हुए प्रदेश के सरकारी स्कूलों ने भी ऑनलाइन माध्यम से छात्रों की पढ़ाई शुरू कर दी है. सभी छात्रों तक पहुंच बनाई जा सके इसके लिए शिक्षा विभाग दूरदर्शन को भी एक माध्यम बना रहा है. जिससे कि जिन छात्रों के अभिभावकों के पास इंटरनेट और मोबाइल की सुविधा नहीं है. उनकी पढ़ाई भी जारी रह सके.

नर्सरी से लेकर जमा दो तक के छात्रों की सारी कक्षाएं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगाई जा रही हैं. ज्यादातर ऐसे विषय छात्रों को बढ़ाए जा रहे हैं, जिन्हें समझने में और जिन का सिलेबस कवर करने में छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लोग भले ही घरों में कैद हों लेकिन तकनीक ने सभी को आपस में जोड़ कर रखा है.

ये भी पढ़ें: प्रदेश में 2,553 व्यक्तियों की हुई कोरोना जांच, 39 मामले पॉजिटिव

शिमला: 2020 की शुरुआत में ही कोरोना ने पूरी दुनिया का गणित बिगाड़ दिया है. कोई भी इस महामारी से अछूता नही है. पूरी दुनिया लॉकडाउन है. मंदिर, गुरुद्वारे, मस्जिद, सरकारी दफ्तर, स्कूल फैक्ट्रियां सब बंद हैं. सड़कों, गलियों में बस पुलिस का पहरा है. अप्रैल समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, लेकिन बच्चों के स्कूल अभी खुल नहीं पाए हैं.

ऐसे में छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है, लेकिन इस संकट की घड़ी में अब घर ही पाठशाला बन चुके हैं. टेक्नोलॉजी इस समय एक वरदान साबित हो रही है, खासकर उन शिक्षकों और छात्रों के लिए जिन्होंने घर बैठे ही इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पढ़ाई को शुरू कर दिया है. सबसे पहले निजी स्कूलों की ओर से इसकी शुरुआत की गई है. निजी स्कूलों ने घर बैठे ही छात्रों को पढ़ाना शुरू कर दिया है.

वीडियो रिपोर्ट

व्हाट्सएप और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छात्रों की कक्षाएं लगाई जा रही हैं और उन्हें रोजाना इंग्लिश, मैथ, साइंस जैसे विषय लगातार पढ़ाए जा रहे हैं. छात्र भी इस माध्यम से पढ़ाई में खासी रूचि ले रहे हैं और अब एक टाइम टेबल सेट हो चुका है जिसके हिसाब से घर में ही अपनी पाठशाला लगा रहे हैं.

शिक्षक भी घर से ही कक्षाएं लगा रहे हैं. वहीं, बच्चे भी घर बैठे ही अपनी पढ़ाई को जारी रख पा रहे हैं. रोजाना दिन में 3 से 4 घंटे की पढ़ाई इस ऑनलाइन तकनीक के माध्यम से ही संभव हो पा रही है. निजी स्कूलों को फॉलो करते हुए प्रदेश के सरकारी स्कूलों ने भी ऑनलाइन माध्यम से छात्रों की पढ़ाई शुरू कर दी है. सभी छात्रों तक पहुंच बनाई जा सके इसके लिए शिक्षा विभाग दूरदर्शन को भी एक माध्यम बना रहा है. जिससे कि जिन छात्रों के अभिभावकों के पास इंटरनेट और मोबाइल की सुविधा नहीं है. उनकी पढ़ाई भी जारी रह सके.

नर्सरी से लेकर जमा दो तक के छात्रों की सारी कक्षाएं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगाई जा रही हैं. ज्यादातर ऐसे विषय छात्रों को बढ़ाए जा रहे हैं, जिन्हें समझने में और जिन का सिलेबस कवर करने में छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लोग भले ही घरों में कैद हों लेकिन तकनीक ने सभी को आपस में जोड़ कर रखा है.

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