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सीएम सुखविंदर सिंह से बोला नवीं कक्षा का शशांक, 'मेरी गुल्लक में 11 हजार रुपए थे, निराश्रित बच्चों के सुख में लगा दीजिए' - student donates pocket money to Himachal CM

हिमाचल में नौवीं क्लास के छात्र शशांक ने अपनी पॉकेट मनी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को दे दी. गुल्लक में जमा किए गए 11 हजार रुपये का चेक बनाकर छात्र ने सीएम सुखाश्रय कोष में दान कर दिए. (Student Donates Pocket Money to CM sukhu) (student donates pocket money to Himachal CM)

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Published : Feb 15, 2023, 8:33 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलने के लिए दिन भर विभिन्न संगठनों, पार्टी कार्यकर्ताओं, अफसरों और मंत्रियों सहित प्रदेशभर से आए लोगों की लाइन लगी रहती है. बुधवार को शिमला में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को बताया गया कि एक नवीं कक्षा का छात्र शशांक उनसे मिलना चाहता है. मुख्यमंत्री ने शशांक को बुलाया तो उसने सुखविंदर सिंह सुक्खू के हाथ में एक चैक थमा दिया. शशांक ने कहा सीएम सर, मेरे पास गुल्लक में 11 हजार रुपए थे. ये पैसे निराश्रित बच्चों के हित में लगा दीजिए. बच्चे की ये बात सुनकर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू आश्चर्य से भर गए. कारण ये है कि बच्चों को सबसे प्यारी अपनी गुल्लक होती है, लेकिन शशांक ने अपनी पॉकेट मनी जोड़कर जो रकम बचाई थी, उसे एक झटके में सीएम सुखाश्रय कोष में अर्पित कर दिया. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शशांक की खूब तारीफ की और कहा कि ऐसे पुण्य के काम परिवार के संस्कारों के कारण ही संभव हैं. उन्होंने शशांक को उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं.
कवि मधुकर भारती की पंक्तियां हैं 'संवेदनाएं तरल होती हैं, उनका पीड़ित मानवता की ओर बहने का मार्ग प्रशस्त करना होगा'. ऐसा ही कुछ नवीं कक्षा के छात्र शशांक गौतम ने किया है. शशांक के पिता डॉ. गोपाल गौतम अकसर घर में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के संवेदनशील फैसले के तहत गठित मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष के बारे में चर्चा किया करते थे. शशांक भी घर में इस कोष के बारे में सुनता था. शशांक ने ख्याल किया कि उसे भी निराश्रित बच्चों के लिए अपने स्तर पर कुछ करना चाहिए. उसके पास सुखाश्रय कोष में देने के लिए गुल्लक में जमा राशि ही थी. शशांक ने फैसला किया कि वो गुल्लक तोड़ देगा और उसमें जितने भी पैसे होंगे, वो सीएम सुखविंदर सिंह को अंशदान के तौर पर भेंट कर देगा.

  • शशांक गौतम ने अपनी गुल्लक तोड़ कर 11000 रुपए की राशि निकाल कर मुख्यमंत्री सुख -आश्रय सहायता कोष में भेंट की।हम इस तरह के प्रयासों की सराहना करते है।#sukhvindersinghsukhu #sukhashraykosh pic.twitter.com/13nc2S6zxS

    — CMO HIMACHAL (@CMOFFICEHP) February 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

शशांक ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि माता-पिता की प्रेरणा और घर से मिले संस्कारों ने उसे ये नेक काम करने के लिए प्रेरित किया. शशांक शिमला के एक निजी स्कूल में नवीं कक्षा में पढ़ता है. गौतम परिवार मूल रूप से सोलन जिले का रहने वाला है. उल्लेखनीय है कि सत्ता में आते ही सीएम सुखविंदर सिंह ने निराश्रित बच्चों के लिए कुछ अलग से करने की ठानी थी. ये उनका सपना था कि निराश्रित बच्चों को ऐसा सहारा दिया जाए कि उन्हें परिवार की कमी महसूस न हो. सरकार ने 101 करोड़ रुपए की आरंभिक रकम से सीएम सुखाश्रय कोष की स्थापना की थी.

सीएम ने अपना पहला वेतन इस पुनीत काम में भेंट किया. सरकार के सभी मंत्रियों व एमएलए ने भी इस कोष के लिए अपना पहला वेतन दिया. विभिन्न संगठन व आम जनता भी कोष में अंशदान कर रही है. इसी बीच, नवीं कक्षा के बच्चे शशांक ने अपनी पॉकेट मनी से बचाए पैसे कोष में भेंट किए। शशांक के पिता डॉ. गोपाल गौतम सरकारी सेवा में हैं और माता गृहिणी हैं. शशांक का कहना है कि सभी को ऐसे कोष में अंशदान करना चाहिए, जिससे समाज के वंचित वर्ग की सहायता हो सके.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में चीन सीमा से सटे गांवों में पहली बार पहुंची सुकन्या समृद्धि योजना, डाक विभाग ने 25 बेटियों के खोले खाते

शिमला: हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलने के लिए दिन भर विभिन्न संगठनों, पार्टी कार्यकर्ताओं, अफसरों और मंत्रियों सहित प्रदेशभर से आए लोगों की लाइन लगी रहती है. बुधवार को शिमला में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को बताया गया कि एक नवीं कक्षा का छात्र शशांक उनसे मिलना चाहता है. मुख्यमंत्री ने शशांक को बुलाया तो उसने सुखविंदर सिंह सुक्खू के हाथ में एक चैक थमा दिया. शशांक ने कहा सीएम सर, मेरे पास गुल्लक में 11 हजार रुपए थे. ये पैसे निराश्रित बच्चों के हित में लगा दीजिए. बच्चे की ये बात सुनकर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू आश्चर्य से भर गए. कारण ये है कि बच्चों को सबसे प्यारी अपनी गुल्लक होती है, लेकिन शशांक ने अपनी पॉकेट मनी जोड़कर जो रकम बचाई थी, उसे एक झटके में सीएम सुखाश्रय कोष में अर्पित कर दिया. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शशांक की खूब तारीफ की और कहा कि ऐसे पुण्य के काम परिवार के संस्कारों के कारण ही संभव हैं. उन्होंने शशांक को उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं.
कवि मधुकर भारती की पंक्तियां हैं 'संवेदनाएं तरल होती हैं, उनका पीड़ित मानवता की ओर बहने का मार्ग प्रशस्त करना होगा'. ऐसा ही कुछ नवीं कक्षा के छात्र शशांक गौतम ने किया है. शशांक के पिता डॉ. गोपाल गौतम अकसर घर में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के संवेदनशील फैसले के तहत गठित मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष के बारे में चर्चा किया करते थे. शशांक भी घर में इस कोष के बारे में सुनता था. शशांक ने ख्याल किया कि उसे भी निराश्रित बच्चों के लिए अपने स्तर पर कुछ करना चाहिए. उसके पास सुखाश्रय कोष में देने के लिए गुल्लक में जमा राशि ही थी. शशांक ने फैसला किया कि वो गुल्लक तोड़ देगा और उसमें जितने भी पैसे होंगे, वो सीएम सुखविंदर सिंह को अंशदान के तौर पर भेंट कर देगा.

  • शशांक गौतम ने अपनी गुल्लक तोड़ कर 11000 रुपए की राशि निकाल कर मुख्यमंत्री सुख -आश्रय सहायता कोष में भेंट की।हम इस तरह के प्रयासों की सराहना करते है।#sukhvindersinghsukhu #sukhashraykosh pic.twitter.com/13nc2S6zxS

    — CMO HIMACHAL (@CMOFFICEHP) February 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

शशांक ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि माता-पिता की प्रेरणा और घर से मिले संस्कारों ने उसे ये नेक काम करने के लिए प्रेरित किया. शशांक शिमला के एक निजी स्कूल में नवीं कक्षा में पढ़ता है. गौतम परिवार मूल रूप से सोलन जिले का रहने वाला है. उल्लेखनीय है कि सत्ता में आते ही सीएम सुखविंदर सिंह ने निराश्रित बच्चों के लिए कुछ अलग से करने की ठानी थी. ये उनका सपना था कि निराश्रित बच्चों को ऐसा सहारा दिया जाए कि उन्हें परिवार की कमी महसूस न हो. सरकार ने 101 करोड़ रुपए की आरंभिक रकम से सीएम सुखाश्रय कोष की स्थापना की थी.

सीएम ने अपना पहला वेतन इस पुनीत काम में भेंट किया. सरकार के सभी मंत्रियों व एमएलए ने भी इस कोष के लिए अपना पहला वेतन दिया. विभिन्न संगठन व आम जनता भी कोष में अंशदान कर रही है. इसी बीच, नवीं कक्षा के बच्चे शशांक ने अपनी पॉकेट मनी से बचाए पैसे कोष में भेंट किए। शशांक के पिता डॉ. गोपाल गौतम सरकारी सेवा में हैं और माता गृहिणी हैं. शशांक का कहना है कि सभी को ऐसे कोष में अंशदान करना चाहिए, जिससे समाज के वंचित वर्ग की सहायता हो सके.

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