शिमला: हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसे नई बात नहीं है. कई बार ये इंसानी लापरवाही की वजह से होते हैं तो कभी खराब सड़क की वजह से पेश आते हैं. लेकिन हिमाचल में हादसों की एक वजह बेसहारा पशु भी हैं. मैदानी राज्यों में तो सड़कों पर घूमते आवारा जानवर हादसों की वजह हैं ही, हिमाचल में भी इनकी वजह से लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा रहे हैं.
डीजीपी ने उठाया मामला- हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू ने प्रदेश की सड़कों पर पर बेसहारा पशुओं के कारण पेश आ रही दुर्घटनाओं पर चिंता जताई है. डीजीपी ने इस संदर्भ में पशुपालन विभाग के सचिव आईएएस अफसर राकेश कंवर और विभाग के निदेशक प्रदीप शर्मा को पत्र लिखकर उचित कार्रवाई के लिए कहा है.
6 महीने में 74 हादसे- डीजीपी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में पिछले 6 महीने में 74 सड़क हादसों की वजह ये बेसहारा जानवर थे. इन हादसों में 25 लोगों की मौत हुई जबकि 35 घायल हो गए हैं. उन्होंने कहा कि हादसों का ये आंकड़ा और भी अधिक हो सकता है लेकिन कई बार मामले दर्ज नहीं किए जाते क्योंकि कई हादसों में वाहन चालक को मामूली चोट या गाड़ी को मामूली या कम नुकसान होता है. जिसके चलते लोग इन मामलों की रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाते हैं.
किरतपुर-मनाली फोरलेन पर आवारा पशु- डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि आवारा मवेशी यातायात में बड़ी बाधा बन रहे हैं. उन्होंने किरतपुर-मनाली फोरलेन पर बढ़ते आवारा पशुओं की ओर भी इशारा किया है. डीजीपी के मुताबिक बिलासपुर, मंडी और कुल्लू जिलों से गुजरने वाले नवनिर्मित किरतपुर-मनाली फोरलेन पर आवारा जानवरों के खतरे की गंभीरता देखी जा सकती है, जिससे ट्रैफिक जाम और हादसे हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि ये समस्या ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समान है. कुंडू ने चिट्ठी में लिखा है कि जानवरों को नजदीकी गौशालाओं में स्थानांतरित करने की सख्त जरूरत है और अपने जानवरों को छोड़ने वाले मालिकों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए.
डीजीपी ने कहा कि नए बने हाईवे में बिलासपुर, मंडी, कुल्लू सब जगह बेसहारा पशु दिखाई देते हैं. उनके कारण हादसों का डर बना रहता है. ट्रैफिक की समस्या भी पेश आती है. डीजीपी ने कहा कि ऐसे में न केवल नेशनल हाईवे बल्कि अन्य सडक़ मार्गों में भी बेसहारा पशुओं को हटाने की जरूरत है. उन्हें गो सदनों में भेजा जाना चाहिए.
एक अनुमान के अनुसार हिमाचल प्रदेश में अभी भी चार हजार से अधिक बेसहारा पशु सडक़ों पर रहने को मजबूर हैं हालांकि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने समय-समय पर इन पशुओं को गो सदनों में पहुंचाने के आदेश जारी किए हैं, लेकिन जितने पशु गोशालाओं में पहुंचाए जाते हैं, उससे अधिक फिर से सड़कों पर छोड़ दिए जाते हैं. पशुपालन विभाग के सचिव राकेश कंवर का कहना है कि बेसहारा पशुओं को समय-समय पर गोशालाओं में पहुंचाया जाता है. इस संदर्भ में पुलिस की चिंता से विभाग वाकिफ है. इस दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं.
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