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Stray Animals Himachal: हिमाचल में बेसहारा पशुओं के लिए गौ सदन पड़ रहे कम, 8,400 पशुओं का सड़क ही ठिकाना

हिमाचल में इतने बेसहारा पशु हो गए हैं कि गौसदन कम पड़ रहे हैं. अभी भी करीब 8,400 पशु सड़कों पर ही रह रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर... (destitute animals in himachal) (Stray Animals Himachal).

Stray Animals Himachal
सांकेतिक तस्वीर.
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 4, 2023, 7:37 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में गौ सौदन बेसहारा पशुओं के लिए कम पड़ रहे हैं. राज्य में 244 गौ सदनों के बाद भी प्रदेश में बेसहारा पशु सड़कों पर है. प्रदेश के सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो हिमाचल में करीब 8,400 पशु अभी भी सड़कों पर ही रह रहे हैं. राज्य में सरकार इन पशुओं के लिए अब तक 74 करोड़ से ज्यादा खर्च कर चुकी है.

प्रदेश में 20,381 पशुओं को गौ सदनों में मिला है ठिकाना: भारत सरकार की 2109 में करवाई गई पशुगणना के अनुसार हिमाचल में करीब 36,311 बेसहारा पशु थे. प्रदेश में इन बेसहारा पशुओं के लिए गौ सदनों का निर्माण किया जा रहा है. राज्य में अभी तक 244 गौ सदन स्थापित किए गए हैं, जिनमें सरकारी बड़े गौ सदनों की संख्या 22 हैं. इनमें गौ सेवा आयोग से 144 पंजीकृत हैं. गौ सदनों में कुल 20381 पशुओं को सहारा मिला हुआ है जबकि करीब 8386 पशुओं का ठिकाना अभी भी सड़कें ही है.

अब तक 74.31 करोड़ की राशि पशुओं पर की खर्च: प्रदेश सरकार बेसहारा पशुओं के लिए गौ सदनों के निर्माण के साथ ही रखने के बाद उनके पालन पोषण के लिए भी सहायता दे रही है. 2020 से अगस्त 2023 तक प्रदेश सरकार की ओर से कुल 74.31 करोड़ की राशि पशुओं के लिए खर्च की गई जिनमें करीब 39.04 करोड़ की राशि पशुओं के गौसदनों के निर्माण और इनके विस्तार के लिए जारी की गई. सरकार गौ सदनों में पशुओं के लिए ही सरकारी सहायता दे रही है. पशुओं के लिए गौ सदनों को 700 रुपए प्रति माह प्रति की राशि पालन पोषण के लिए दी जा रही है. पशुओं के भरण पोषण के लिए साल 2020 से अगस्त 2023 तक 35 करोड़ 27 लाख 55 हजार 484 रुपए की राशि बेसहारा पशुओं के लिए जारी की गई.

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बेसहारा पशुओं की जिलेवार संख्या.

सरकार शराब पर ले रही काउ सेस: बेसहारा पशुओं के लिए पूर्व सीएम स्व वीरभद्र सिंह ने गोवंश संवर्धन बोर्ड का गठन किया था. तत्कालीन सरकार ने 2015-16 से लेकर 2017-18 तक करीब 10.55 करोड़ की राशि इसके माध्यम से गौ सदनों के लिए करवाई थी, इसके बाद 1 फरवरी 2019 को हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग का गठन किया गया है. आयोग के लिए फंड जुटाने के लिए सरकार ने मंदिर न्यासों की कुल आय का 15 फीसदी ले रही है. हिमाचल में सरकार पशुओं के कल्याण के लिए सरकार शराब पर काउ सेस ले रही है. पहले सरकार पहले शराब की बोतल पर 2.50 रुपए के हिसाब से काउ सेस वसूल रही थी जिसको बढ़ाकर 10 रुपए मौजूदा बजट में किया गया है.

हिमाचल में पशुओं की कुल संख्या 18 लाख: साल 2019 की पशु गणना के मुताबिक प्रदेश में करीब 18.27 लाख पशु हैं. हांलांकि इनमें से करीब 36 हजार पशु बेसहारा पाए गए थे. पशुओं को जिस तरह से सड़कों पर छोड़ा जा रहा है, उसके लिए लगातार गौ सदनों की संख्या भी कम पड़ रही है. दरअसल लोग अक्सर उन पशुओं को सड़कों पर छोड़ रहे हैं जो कि उनके लिए उपयोगी नहीं रह जाते. यही वजह है कि दुधारू पशुओं की तुलना में अन्य पशु सड़कों पर ज्यादा नजर आ रहे हैं. हालांकि ,सरकार ने पशुओं में टैगिंग की व्यवस्था भी की है,ताकि खुले में छोड़ने पर मालिक की पहचान की जा सके, लेकिन इन टैग को भी निकाला जा रहा हैं.

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जिले वार पशुओं के भरण पोषण के लिए जारी राशि का विवरण इस तरह से है.

हादसों की वजह बन रहे हैं बेसहारा पशु: प्रदेश की सड़कों पर छोड़ने से जहां ये बेजुबान खुद हादसों के शिकार हो रहे हैं, वहीं कई जगह पशुओं की वजह सड़क हादसे भी हो रहे हैं. सड़कों पर इन बेसहारा पशुओं की वजह से कई हादसे हो चुके हैं. पुलिस ने कुछ समय पहले इस बारे में पशुपालन विभाग को पत्र लिखकर इनकी समस्या का समाधान निकालने के लिए कहा था. पुलिस की ओर से बताया गया था कि साल के पहले छह माह में महीने में ही 74 सड़क हादसों की वजह ये बेसहारा पशु ही थे. इन हादसों में 25 लोगों की मौत हुई जबकि 35 घायल हो गए हैं. हालांकि हादसों का ये आंकड़ा और भी अधिक हो सकता है. कई बार मामले दर्ज नहीं किए जाते क्योंकि कई हादसों में वाहन चालक को मामूली चोट या गाड़ी को मामूली या कम नुकसान होता है. जिसके चलते लोग इन मामलों की रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाते हैं.

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हादसों की वजह बन रहे हैं बेसहारा पशु

सरकार पशुओं को ले जाने वालों पर बरतें सख्ती: सामाजिक कार्यकर्ता और प्रकृति एवं प्राणी संस्था के संस्थापक ललित शर्मा कहते हैं बहुत कम लोग हैं जिनके अंदर इंसानियत नहीं है और वे अपने पशुओं को खुद सड़कों पर छोड़ते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में पशुओं को गौ सदनों में लेने ले जाने के नाम पर बिजनेस किया जा रहा है और ये लोग ही इन पशुओं को लाकर सड़कों पर छोड़ रहे हैं. उनका कहना है कि कुछ लोग घरों से पशुओं को अपनी गौशाला के लिए मांग कर लाते हैं जिसके बदले में वे पांच हजार रुपए प्रति पशु के हिसाब से लेते हैं. लोगों से लेने के बाद इन पशुओं को सड़कों पर छोड़ देते हैं. ऐसे लोग पशुओं को गौशालाओं के बहाने रखने के नाम पर कमाई कर रहे हैं. इन लोगों को कोई गौशालाएं ही नहीं है. उनका कहना है कि ऐसे लोगों पर सरकार को सख्ती करनी चाहिए. पशुओं को ले जा रही गाड़ियों पर भी चेक किया जाना चाहिए ताकि इस बिजनेस पर रोक लग सके.

सरकार कर रही है कड़ी व्यवस्था: हिमाचल में बेसहारा पशुओं को छोड़ने के मामले में कृषि मंत्री चंद्र कुमार का कहना हैं कि सरकार इस समस्या से निपटने के लिए कदम उठा रही है. इसके लिए पशुओं में चिप लगाने की व्यवस्था की जा रही है जिसमें पशु मालिक का नाम, ब्लॉक और कोड नंबर होगा. ऐसे में सड़कों पर जिस किसी का पशु होगा, उसे उसी के घर में पहुंचा दिया जाएगा। बाकायदा इसको लेकर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

ये भी पढ़ें- हिमाचल प्रदेश के दुकानदार रहें सावधान, कुछ इस तरह से हो रही ठगी, हमीरपुर में 28,800 का लगा चूना

शिमला: हिमाचल प्रदेश में गौ सौदन बेसहारा पशुओं के लिए कम पड़ रहे हैं. राज्य में 244 गौ सदनों के बाद भी प्रदेश में बेसहारा पशु सड़कों पर है. प्रदेश के सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो हिमाचल में करीब 8,400 पशु अभी भी सड़कों पर ही रह रहे हैं. राज्य में सरकार इन पशुओं के लिए अब तक 74 करोड़ से ज्यादा खर्च कर चुकी है.

प्रदेश में 20,381 पशुओं को गौ सदनों में मिला है ठिकाना: भारत सरकार की 2109 में करवाई गई पशुगणना के अनुसार हिमाचल में करीब 36,311 बेसहारा पशु थे. प्रदेश में इन बेसहारा पशुओं के लिए गौ सदनों का निर्माण किया जा रहा है. राज्य में अभी तक 244 गौ सदन स्थापित किए गए हैं, जिनमें सरकारी बड़े गौ सदनों की संख्या 22 हैं. इनमें गौ सेवा आयोग से 144 पंजीकृत हैं. गौ सदनों में कुल 20381 पशुओं को सहारा मिला हुआ है जबकि करीब 8386 पशुओं का ठिकाना अभी भी सड़कें ही है.

अब तक 74.31 करोड़ की राशि पशुओं पर की खर्च: प्रदेश सरकार बेसहारा पशुओं के लिए गौ सदनों के निर्माण के साथ ही रखने के बाद उनके पालन पोषण के लिए भी सहायता दे रही है. 2020 से अगस्त 2023 तक प्रदेश सरकार की ओर से कुल 74.31 करोड़ की राशि पशुओं के लिए खर्च की गई जिनमें करीब 39.04 करोड़ की राशि पशुओं के गौसदनों के निर्माण और इनके विस्तार के लिए जारी की गई. सरकार गौ सदनों में पशुओं के लिए ही सरकारी सहायता दे रही है. पशुओं के लिए गौ सदनों को 700 रुपए प्रति माह प्रति की राशि पालन पोषण के लिए दी जा रही है. पशुओं के भरण पोषण के लिए साल 2020 से अगस्त 2023 तक 35 करोड़ 27 लाख 55 हजार 484 रुपए की राशि बेसहारा पशुओं के लिए जारी की गई.

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बेसहारा पशुओं की जिलेवार संख्या.

सरकार शराब पर ले रही काउ सेस: बेसहारा पशुओं के लिए पूर्व सीएम स्व वीरभद्र सिंह ने गोवंश संवर्धन बोर्ड का गठन किया था. तत्कालीन सरकार ने 2015-16 से लेकर 2017-18 तक करीब 10.55 करोड़ की राशि इसके माध्यम से गौ सदनों के लिए करवाई थी, इसके बाद 1 फरवरी 2019 को हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग का गठन किया गया है. आयोग के लिए फंड जुटाने के लिए सरकार ने मंदिर न्यासों की कुल आय का 15 फीसदी ले रही है. हिमाचल में सरकार पशुओं के कल्याण के लिए सरकार शराब पर काउ सेस ले रही है. पहले सरकार पहले शराब की बोतल पर 2.50 रुपए के हिसाब से काउ सेस वसूल रही थी जिसको बढ़ाकर 10 रुपए मौजूदा बजट में किया गया है.

हिमाचल में पशुओं की कुल संख्या 18 लाख: साल 2019 की पशु गणना के मुताबिक प्रदेश में करीब 18.27 लाख पशु हैं. हांलांकि इनमें से करीब 36 हजार पशु बेसहारा पाए गए थे. पशुओं को जिस तरह से सड़कों पर छोड़ा जा रहा है, उसके लिए लगातार गौ सदनों की संख्या भी कम पड़ रही है. दरअसल लोग अक्सर उन पशुओं को सड़कों पर छोड़ रहे हैं जो कि उनके लिए उपयोगी नहीं रह जाते. यही वजह है कि दुधारू पशुओं की तुलना में अन्य पशु सड़कों पर ज्यादा नजर आ रहे हैं. हालांकि ,सरकार ने पशुओं में टैगिंग की व्यवस्था भी की है,ताकि खुले में छोड़ने पर मालिक की पहचान की जा सके, लेकिन इन टैग को भी निकाला जा रहा हैं.

Stray Animals Himachal
जिले वार पशुओं के भरण पोषण के लिए जारी राशि का विवरण इस तरह से है.

हादसों की वजह बन रहे हैं बेसहारा पशु: प्रदेश की सड़कों पर छोड़ने से जहां ये बेजुबान खुद हादसों के शिकार हो रहे हैं, वहीं कई जगह पशुओं की वजह सड़क हादसे भी हो रहे हैं. सड़कों पर इन बेसहारा पशुओं की वजह से कई हादसे हो चुके हैं. पुलिस ने कुछ समय पहले इस बारे में पशुपालन विभाग को पत्र लिखकर इनकी समस्या का समाधान निकालने के लिए कहा था. पुलिस की ओर से बताया गया था कि साल के पहले छह माह में महीने में ही 74 सड़क हादसों की वजह ये बेसहारा पशु ही थे. इन हादसों में 25 लोगों की मौत हुई जबकि 35 घायल हो गए हैं. हालांकि हादसों का ये आंकड़ा और भी अधिक हो सकता है. कई बार मामले दर्ज नहीं किए जाते क्योंकि कई हादसों में वाहन चालक को मामूली चोट या गाड़ी को मामूली या कम नुकसान होता है. जिसके चलते लोग इन मामलों की रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाते हैं.

Stray Animals Himachal
हादसों की वजह बन रहे हैं बेसहारा पशु

सरकार पशुओं को ले जाने वालों पर बरतें सख्ती: सामाजिक कार्यकर्ता और प्रकृति एवं प्राणी संस्था के संस्थापक ललित शर्मा कहते हैं बहुत कम लोग हैं जिनके अंदर इंसानियत नहीं है और वे अपने पशुओं को खुद सड़कों पर छोड़ते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में पशुओं को गौ सदनों में लेने ले जाने के नाम पर बिजनेस किया जा रहा है और ये लोग ही इन पशुओं को लाकर सड़कों पर छोड़ रहे हैं. उनका कहना है कि कुछ लोग घरों से पशुओं को अपनी गौशाला के लिए मांग कर लाते हैं जिसके बदले में वे पांच हजार रुपए प्रति पशु के हिसाब से लेते हैं. लोगों से लेने के बाद इन पशुओं को सड़कों पर छोड़ देते हैं. ऐसे लोग पशुओं को गौशालाओं के बहाने रखने के नाम पर कमाई कर रहे हैं. इन लोगों को कोई गौशालाएं ही नहीं है. उनका कहना है कि ऐसे लोगों पर सरकार को सख्ती करनी चाहिए. पशुओं को ले जा रही गाड़ियों पर भी चेक किया जाना चाहिए ताकि इस बिजनेस पर रोक लग सके.

सरकार कर रही है कड़ी व्यवस्था: हिमाचल में बेसहारा पशुओं को छोड़ने के मामले में कृषि मंत्री चंद्र कुमार का कहना हैं कि सरकार इस समस्या से निपटने के लिए कदम उठा रही है. इसके लिए पशुओं में चिप लगाने की व्यवस्था की जा रही है जिसमें पशु मालिक का नाम, ब्लॉक और कोड नंबर होगा. ऐसे में सड़कों पर जिस किसी का पशु होगा, उसे उसी के घर में पहुंचा दिया जाएगा। बाकायदा इसको लेकर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

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