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शिमला के ऐतिहासिक कालीबाड़ी मंदिर में लगे10 महाविद्या चित्रों की कहानी, जर्मन पर्यटकों ने ऑफर किया था ब्लैंक चेक

शिमला के ऐतिहासिक कालीबाड़ी मंदिर में लगे10 महाविद्या चित्रों की कहानी विश्व विख्यात चित्रकार सनत चटर्जी ने बनाई थी ये पेंटिंग्स जर्मन पर्यटकों ने ऑफर किया था ब्लैंक चेक

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Published : Mar 21, 2019, 6:17 AM IST

कालीबाड़ी मंदिर.

शिमला: हिमाचल की राजधानी एक पर्यटन नगरी है. पर्यटन नगरी के साथ ही अगर इसे देव नगरी कहें तो ये गलत नहीं होगा. यहां के जाखू मंदिर, तारा देवी, संकट मोचक और कालीबाड़ी मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं. कालीबाड़ी देवी श्यामला का मंदिर है और शिमला का नाम भी श्यामला माता के नाम से पड़ा है.

kalibadi temple
कालीबाड़ी मंदिर.

कालीबाड़ी मंदिर में शिमला के साथ ही बाहरी राज्यों सहित विदेशों से भी पर्यटक आते हैं और मंदिर में काली मां दर्शन करने के साथ ही यहां मंदिर की परिक्रमा में दीवारों पर लगाए गए दस महाविद्या के चित्रों को भी देखते हैं. मंदिर के परिक्रमा क्षेत्र में लगी इन दस महाविद्याओं के चित्र महान चित्रकार और विश्व की सबसे बड़ी पेंटिंग रचने वाले सनत कुमार चटर्जी ने बनाई थी. ये चित्र आयल कलर से बनाए गए हैं. कुछ जर्मन पयर्टकों ने इन चित्रों को खरीदने के लिए सनत चटर्जी को ब्लैंक चेक दिया था, लेकिन सनत चटर्जी ने चित्र बेचने से मना कर दिया.

ऐतिहासिक कालीबाड़ी मंदिर में लगे10 महाविद्या चित्रों की कहानी

सनत कुमार चटर्जी को इन चित्रों को बनाने की एक खास वहज यह भी थी कि मां काली की मूर्ति की आंखे खराब हो गई थी, जिसके बाद इन्हें दोबारा से सनत ने बनाया था. इस मंदिर से उनका खास लगाव था और इसी के चलते मंदिर के परिक्रमा स्थल के लिए उन्होंने महाविद्याओं के चित्र बनाए थे. बताया जाता है कि जिस समय सनत चटर्जी इन चित्रों को बना रहे थे,तो देवी के ताप से उनके सिर और शरीर के सारे बाल झड़ गए थे.

कालीबाड़ी मंदिर में लगे 10 महाविद्याओं के चित्रों की खास बात यह है कि ये चित्र कैनवास पर नहीं बल्कि बोर्ड पर बनाए गए हैं. इन दस महाविद्याओं में मां काली, तारा, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगला, मातंगी और मां कमला के चित्र शामिल हैं.

सनत कुमार चटर्जी का नाम देश के विख्यात चित्रकारों की कतार में अग्रणी रहा है. सनत कुमार चटर्जी के नाम सौ फीट लंबी और ग्यारह फीट चौड़ी पेंटिंग तैयार करने का रिकार्ड है. ये रिकार्ड गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकाड में दर्ज है. इस पेंटिंग को बनाने में उन्हें दो साल का समय लगा था. नवाबी शहर लखनऊ में 18 दिसंबर 1933 (कागजों में 1935) में सनत कुमार का जन्म हुआ था और दिसंबर माह में वर्ष 2017 में उनका निधन हो गया था.

शिमला: हिमाचल की राजधानी एक पर्यटन नगरी है. पर्यटन नगरी के साथ ही अगर इसे देव नगरी कहें तो ये गलत नहीं होगा. यहां के जाखू मंदिर, तारा देवी, संकट मोचक और कालीबाड़ी मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं. कालीबाड़ी देवी श्यामला का मंदिर है और शिमला का नाम भी श्यामला माता के नाम से पड़ा है.

kalibadi temple
कालीबाड़ी मंदिर.

कालीबाड़ी मंदिर में शिमला के साथ ही बाहरी राज्यों सहित विदेशों से भी पर्यटक आते हैं और मंदिर में काली मां दर्शन करने के साथ ही यहां मंदिर की परिक्रमा में दीवारों पर लगाए गए दस महाविद्या के चित्रों को भी देखते हैं. मंदिर के परिक्रमा क्षेत्र में लगी इन दस महाविद्याओं के चित्र महान चित्रकार और विश्व की सबसे बड़ी पेंटिंग रचने वाले सनत कुमार चटर्जी ने बनाई थी. ये चित्र आयल कलर से बनाए गए हैं. कुछ जर्मन पयर्टकों ने इन चित्रों को खरीदने के लिए सनत चटर्जी को ब्लैंक चेक दिया था, लेकिन सनत चटर्जी ने चित्र बेचने से मना कर दिया.

ऐतिहासिक कालीबाड़ी मंदिर में लगे10 महाविद्या चित्रों की कहानी

सनत कुमार चटर्जी को इन चित्रों को बनाने की एक खास वहज यह भी थी कि मां काली की मूर्ति की आंखे खराब हो गई थी, जिसके बाद इन्हें दोबारा से सनत ने बनाया था. इस मंदिर से उनका खास लगाव था और इसी के चलते मंदिर के परिक्रमा स्थल के लिए उन्होंने महाविद्याओं के चित्र बनाए थे. बताया जाता है कि जिस समय सनत चटर्जी इन चित्रों को बना रहे थे,तो देवी के ताप से उनके सिर और शरीर के सारे बाल झड़ गए थे.

कालीबाड़ी मंदिर में लगे 10 महाविद्याओं के चित्रों की खास बात यह है कि ये चित्र कैनवास पर नहीं बल्कि बोर्ड पर बनाए गए हैं. इन दस महाविद्याओं में मां काली, तारा, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगला, मातंगी और मां कमला के चित्र शामिल हैं.

सनत कुमार चटर्जी का नाम देश के विख्यात चित्रकारों की कतार में अग्रणी रहा है. सनत कुमार चटर्जी के नाम सौ फीट लंबी और ग्यारह फीट चौड़ी पेंटिंग तैयार करने का रिकार्ड है. ये रिकार्ड गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकाड में दर्ज है. इस पेंटिंग को बनाने में उन्हें दो साल का समय लगा था. नवाबी शहर लखनऊ में 18 दिसंबर 1933 (कागजों में 1935) में सनत कुमार का जन्म हुआ था और दिसंबर माह में वर्ष 2017 में उनका निधन हो गया था.

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