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हिमाचल में OPS लागू करने के काम की तैयारी में जुटे अफसर, खर्च का खाका तैयार कर रहा वित्त विभाग - हिमाचल में OPS

हिमाचल की सुखविंदर सरकार के निर्देश के अनुसार राज्य का वित्त विभाग ओपीएस को प्रदेश में लागू करने के लिए खाका तैयार कर रहा है, ताकि इसको पहली कैबिनेट में पेश किया जा सके. हिमाचल में ओल्ड पेंशन लागू करने के लिए उन राज्यों के फॉर्मेट को विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है, जहां पर इसे लागू किया गया है. साथ ही ओपीएस कर्मचारियों का डाटा भी तैयार किया जा रहा है. (OPS in Himachal) (CM Sukhvinder on OPS)

OPS in Himachal.
हिमाचल में OPS लागू करने के काम की तैयारी में जुटे अफसर.
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Published : Dec 21, 2022, 7:00 PM IST

शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने ओल्ड पेंशन लागू करने का अपना फैसला दोहराया है. इसके लिए सरकार ने अफसरों को निर्देश भी दिए हैं कि ओपीएस का पूरा खाका तैयार किया जाए ताकि इसको पहली कैबिनेट में पेश किया जा सके. मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य का वित्त विभाग इस पर काम कर रहा है. हिमाचल में ओल्ड पेंशन लागू करने के लिए उन राज्यों के फॉर्मेट को विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है, जहां पर इसे लागू किया गया है. इसके साथ ही ओपीएस कर्मचारियों का डाटा भी तैयार किया जा रहा है जिनको पेंशन दी जाएगी. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के आते ही इसका प्रारूप उनके सामने रखा जाएगा. (OPS in Himachal) (CM Sukhvinder on OPS)

हिमाचल सरकार NPS पर सालाना खर्च कर रही 952 करोड़- हिमाचल में एनपीएस यानि न्यू पेंशन स्कीम में अपनी 14 फीसदी हिस्सेदारी दे रही है. इस तरह सरकार अपनी हिस्सेदारी का करीब 952 करोड़ खर्च कर रही है. इसके अलावा 10 फीसदी कर्मचारियों के वेतन से काटा जा रहा है जो कि करीब 680 करोड़ रूपए सालाना बनता है. हिमाचल में वर्तमान में 1.18 लाख कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम के दायरे में हैं, इनकी एनपीएस कंट्रीब्यूशन के तौर पर हर साल राज्य सरकार 1632 करोड़ भारत सरकार को दे रही है.

बाहरी राज्यों के OPS फार्मूले पर विचार कर रहा वित्त विभाग- वित्त विभाग हिमाचल में ओपीएस लागू करने के लिए उन राज्यों के फॉर्मेट पर विचार कर रहा है जहां पर इसको लागू किया जा चुका है. इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब का फॉर्मेट शामिल हैं. पंजाब सरकार के विकल्प के मुताबिक ओल्ड पेंशन को लागू करना इसकी एक तरफा अधिसूचना जारी करना है. इस स्कीम से एकतरफा डिस्कंटीन्यू करने पर भारत सरकार के माध्यम से मार्केट में लगे हिमाचल के 7600 करोड़ का अधिकतर हिस्सा जब्त हो सकता है.

दूसरे फॉर्मेट राजस्थान का ओल्ड पेंशन फार्मूला है, जिसमें एनपीएस कंट्रीब्यूशन को बंद कर जीपीएफ खाता खोलने का प्रावधान है. इसके अलावा कॉरपस बनाने का विकल्प सरकार के पास है जिसमें एनपीएस के कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन ज्यादा लाभ देने के लिए रिटायरमेंट पर अतिरिक्त वित्तीय मदद की जाएगी. इससे अब तक कंट्रीब्यूशन के तौर पर भारत सरकार में गया पैसा भी नहीं जाएगा. बताया जा रहा है कि अफसर इन सभी विकल्पों को मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे.

वित्त विभाग ओल्ड पेंशन पर होने वाले खर्च का कर रहा आकलन- हिमाचल में ओल्ड पेंशन अगर लागू की जाती है तो इसमें कर्मचारियों को वेतन से पेंशन के लिए अपनी हिस्सेदारी नहीं देनी पड़ेगी. वहीं, सरकार भी एनपीएस फंड के लिए पैसे नहीं देगी. इसकी बजाए सरकार को रिटायर होने वाले कर्मचारियों को पेंशन देनी पड़ेगी. यह राशि सरकार द्वारा अपनाए गए विकल्प पर निर्भर रहेगी.

हालांकि 2004 से पहले की ओल्ड पेंशन में कर्मचारियों की पेंशन उनके अंतिम वेतन का 50 फीसदी रहता है. ऐसे में सरकार का वित्त विभाग उन कर्मचारियों का डाटा तैयार कर रहा है जिनको इसका फायदा मिलेगा. कितने कर्मचारी मौजूदा सरकार के कार्यकाल में रिटायर होने हैं और इन पर कितनी राशि पेंशन के तौर पर व्यय की जाननी है, इसका पूरा ब्यौरा जुटाया जा रहा है.

सीएम ने कैबिनेट बैठक में OPS पर मुहर लगाने का दिया भरोसा- मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ओपीएस पर अपनी सरकार की वचनबद्धता को दोहराया है. उन्होंने दिल्ली जाने से पहले राज्य के वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ इस मसले को लेकर एक बैठक की थी. सुखविंदर सिंह सुक्खू 2022 से 2027 के बीच रिटायर होने वाले कर्मचारियों की संख्या के आधार पर देनदारी को कैलकुलेट करने के निर्देश दिए थे. वित्त विभाग इसकी कैलकुलेशन कर रहा है और माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के आते ही इस पूरे प्रारूप को उनके सामने रखा जाएगा और इसके बाद मुख्यमंत्री ओपीएस के फॉर्मेट पर फैसला लेंगे. इसको कैबिनेट में मुहर लगाई जाएगी. (Old Pension Scheme in Himachal)

ये भी पढ़ें: हमीरपुर में OPS के मुद्दे ने कांग्रेस को दिलाई बढ़त, भाजपा को जीत का खाता खोलने से भी रखा दूर

शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने ओल्ड पेंशन लागू करने का अपना फैसला दोहराया है. इसके लिए सरकार ने अफसरों को निर्देश भी दिए हैं कि ओपीएस का पूरा खाका तैयार किया जाए ताकि इसको पहली कैबिनेट में पेश किया जा सके. मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य का वित्त विभाग इस पर काम कर रहा है. हिमाचल में ओल्ड पेंशन लागू करने के लिए उन राज्यों के फॉर्मेट को विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है, जहां पर इसे लागू किया गया है. इसके साथ ही ओपीएस कर्मचारियों का डाटा भी तैयार किया जा रहा है जिनको पेंशन दी जाएगी. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के आते ही इसका प्रारूप उनके सामने रखा जाएगा. (OPS in Himachal) (CM Sukhvinder on OPS)

हिमाचल सरकार NPS पर सालाना खर्च कर रही 952 करोड़- हिमाचल में एनपीएस यानि न्यू पेंशन स्कीम में अपनी 14 फीसदी हिस्सेदारी दे रही है. इस तरह सरकार अपनी हिस्सेदारी का करीब 952 करोड़ खर्च कर रही है. इसके अलावा 10 फीसदी कर्मचारियों के वेतन से काटा जा रहा है जो कि करीब 680 करोड़ रूपए सालाना बनता है. हिमाचल में वर्तमान में 1.18 लाख कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम के दायरे में हैं, इनकी एनपीएस कंट्रीब्यूशन के तौर पर हर साल राज्य सरकार 1632 करोड़ भारत सरकार को दे रही है.

बाहरी राज्यों के OPS फार्मूले पर विचार कर रहा वित्त विभाग- वित्त विभाग हिमाचल में ओपीएस लागू करने के लिए उन राज्यों के फॉर्मेट पर विचार कर रहा है जहां पर इसको लागू किया जा चुका है. इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब का फॉर्मेट शामिल हैं. पंजाब सरकार के विकल्प के मुताबिक ओल्ड पेंशन को लागू करना इसकी एक तरफा अधिसूचना जारी करना है. इस स्कीम से एकतरफा डिस्कंटीन्यू करने पर भारत सरकार के माध्यम से मार्केट में लगे हिमाचल के 7600 करोड़ का अधिकतर हिस्सा जब्त हो सकता है.

दूसरे फॉर्मेट राजस्थान का ओल्ड पेंशन फार्मूला है, जिसमें एनपीएस कंट्रीब्यूशन को बंद कर जीपीएफ खाता खोलने का प्रावधान है. इसके अलावा कॉरपस बनाने का विकल्प सरकार के पास है जिसमें एनपीएस के कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन ज्यादा लाभ देने के लिए रिटायरमेंट पर अतिरिक्त वित्तीय मदद की जाएगी. इससे अब तक कंट्रीब्यूशन के तौर पर भारत सरकार में गया पैसा भी नहीं जाएगा. बताया जा रहा है कि अफसर इन सभी विकल्पों को मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे.

वित्त विभाग ओल्ड पेंशन पर होने वाले खर्च का कर रहा आकलन- हिमाचल में ओल्ड पेंशन अगर लागू की जाती है तो इसमें कर्मचारियों को वेतन से पेंशन के लिए अपनी हिस्सेदारी नहीं देनी पड़ेगी. वहीं, सरकार भी एनपीएस फंड के लिए पैसे नहीं देगी. इसकी बजाए सरकार को रिटायर होने वाले कर्मचारियों को पेंशन देनी पड़ेगी. यह राशि सरकार द्वारा अपनाए गए विकल्प पर निर्भर रहेगी.

हालांकि 2004 से पहले की ओल्ड पेंशन में कर्मचारियों की पेंशन उनके अंतिम वेतन का 50 फीसदी रहता है. ऐसे में सरकार का वित्त विभाग उन कर्मचारियों का डाटा तैयार कर रहा है जिनको इसका फायदा मिलेगा. कितने कर्मचारी मौजूदा सरकार के कार्यकाल में रिटायर होने हैं और इन पर कितनी राशि पेंशन के तौर पर व्यय की जाननी है, इसका पूरा ब्यौरा जुटाया जा रहा है.

सीएम ने कैबिनेट बैठक में OPS पर मुहर लगाने का दिया भरोसा- मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ओपीएस पर अपनी सरकार की वचनबद्धता को दोहराया है. उन्होंने दिल्ली जाने से पहले राज्य के वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ इस मसले को लेकर एक बैठक की थी. सुखविंदर सिंह सुक्खू 2022 से 2027 के बीच रिटायर होने वाले कर्मचारियों की संख्या के आधार पर देनदारी को कैलकुलेट करने के निर्देश दिए थे. वित्त विभाग इसकी कैलकुलेशन कर रहा है और माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के आते ही इस पूरे प्रारूप को उनके सामने रखा जाएगा और इसके बाद मुख्यमंत्री ओपीएस के फॉर्मेट पर फैसला लेंगे. इसको कैबिनेट में मुहर लगाई जाएगी. (Old Pension Scheme in Himachal)

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