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शिमला के सुन्नी में महाशीर हैचरी व कॉर्प प्रजनन इकाई होगी स्थापित, देश से विलुप्त हो रही प्रजाति

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Published : Dec 11, 2019, 10:25 AM IST

देश से लगभग विलुप्त हो रही स्वर्ण महाशीर की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है. प्रदूषण के कारण वाशिंगटन स्थित इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजर्वेशन नेचुरल रिसोर्सेज ने इस प्रजाति को खतरे में बताया है. मंडी जिले के मछियाल में कृत्रिम प्रजनन के माध्यम से माहशीर को सफलतापूर्वक उत्पादन किया जा रहा है. राज्य सरकार शिमला के सुन्नी में नई महाशीर हैचरी एवं कार्प प्रजनन इकाई स्थापित कर रही है.

State Government's exercise of Mahaseer fish
शिमला के सुन्नी में महाशीर एवं कार्प प्रजनन इकाई होगी स्थापित

शिमला: विलुप्त हो चुकी स्वर्ण महाशीर मछली के लिए जिम्मेदारों ने फिर तेज कर दी हैं. राज्य सरकार शिमला के सुन्नी में नई महाशीर हैचरी एवं कॉर्प प्रजनन इकाई स्थापित कर रही है. जहां सुरक्षित परिस्थितियों में प्रजनन के तरीकों को विकसित करने पर 296.97 लाख रुपये की अनुमानित लागत आएगी. यह राज्य में मछली फार्म के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में महत्वूपर्ण कदम साबित होगा. हिमाचल प्रदेश देश में माहशीर मछली उत्पादन का एक गढ़ बन गया है.

शिमला के सुन्नी में महाशीर एवं कार्प प्रजनन इकाई होगी स्थापित

इस वर्ष उच्चतम हैचिंग की उम्मीद है. वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 के दौरान राज्य में लगभग क्रमशः 19800 अंडे, 20900 अंडे और 28700 अंडे की गोल्डन महाशीर का उत्पादन किया गया. राज्य ने वर्ष 2018-2019 में सबसे अधिक 45.311 एमटी महाशीर कैच दर्ज किए हैं.

यह बेहतरीन खेल-मछली में से एक है और भारतीय और विदेशी खिलाड़ियों के मनोरंजन का एक स्रोत है. राज्य ने वर्ष 2018 में क्रमशः गोबिंद सागर (16.182 मीट्रिक टन), कोल डैम (0.275 मीट्रिक टन), पौंग बांध (28.136 मीट्रिक टन) और रणजीत सागर (0.718 मीट्रिक टन) से महाशीर उत्पादन दर्ज किया.

वर्तमान में राज्य में 10893 परिवार मत्स्यपालन में शामिल हैं. राज्य ने वर्ष 2017-18 वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 (वर्तमान तक) में क्रमशः 20900, 28700 और 41450 महाशीर मछली अंडों का उत्पादन दर्ज किया. पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया राज्य सरकार मछली के संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठा रही है. जिनमें ऑफ सीजन के दौरान पनबिजली शक्ति से 15 प्रतिशत पानी का स्राव जारी करना और नियमित रूप से गश्त के माध्यम से मछली का संरक्षण करना आदि शामिल है.

महाशीर मछली राज्य के लगभग 500 किमी क्षेत्र में मौजूद है जिसमें से कुल 3000 किमी की नदियां हैं. हिमाचल में विशेष रूप से दो प्रजातियां टोर प्यूस्टोरा और टो टोर पाई जाती हैं. लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में घोषित होने के बावजूद यह राज्य में पाई जाती है. राज्य के जलाशयों में विशेष रूप से पोंग जलाशय में पाई जाती है.

महाशीर के कृत्रिम प्रजनन का मुख्य उद्देश्य इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए महाशीर के बीज का संरक्षण और उसकी देखभाल है. राज्य की नदियों में मछियाल नामक कई प्राकृतिक महाशीर अभयारण्य हैं. जहां लोग आध्यात्मिक रूप से इनका संरक्षण करते हैं. राज्य के जल निकाय 85 मछली प्रजातियों के घर हैं. रोहू, कैटला और मृगल और ट्राउट शामिल हैं. पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान कुल 492.33 एमटी मछली राज्य के बाहर विपणन की गई.

ये भी पढ़ें: ईटीवी भारत के साथ राकेश पठानिया की खास बातचीत, जानें विपक्ष पर क्या बोले नूरपुर के विधायक

शिमला: विलुप्त हो चुकी स्वर्ण महाशीर मछली के लिए जिम्मेदारों ने फिर तेज कर दी हैं. राज्य सरकार शिमला के सुन्नी में नई महाशीर हैचरी एवं कॉर्प प्रजनन इकाई स्थापित कर रही है. जहां सुरक्षित परिस्थितियों में प्रजनन के तरीकों को विकसित करने पर 296.97 लाख रुपये की अनुमानित लागत आएगी. यह राज्य में मछली फार्म के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में महत्वूपर्ण कदम साबित होगा. हिमाचल प्रदेश देश में माहशीर मछली उत्पादन का एक गढ़ बन गया है.

शिमला के सुन्नी में महाशीर एवं कार्प प्रजनन इकाई होगी स्थापित

इस वर्ष उच्चतम हैचिंग की उम्मीद है. वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 के दौरान राज्य में लगभग क्रमशः 19800 अंडे, 20900 अंडे और 28700 अंडे की गोल्डन महाशीर का उत्पादन किया गया. राज्य ने वर्ष 2018-2019 में सबसे अधिक 45.311 एमटी महाशीर कैच दर्ज किए हैं.

यह बेहतरीन खेल-मछली में से एक है और भारतीय और विदेशी खिलाड़ियों के मनोरंजन का एक स्रोत है. राज्य ने वर्ष 2018 में क्रमशः गोबिंद सागर (16.182 मीट्रिक टन), कोल डैम (0.275 मीट्रिक टन), पौंग बांध (28.136 मीट्रिक टन) और रणजीत सागर (0.718 मीट्रिक टन) से महाशीर उत्पादन दर्ज किया.

वर्तमान में राज्य में 10893 परिवार मत्स्यपालन में शामिल हैं. राज्य ने वर्ष 2017-18 वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 (वर्तमान तक) में क्रमशः 20900, 28700 और 41450 महाशीर मछली अंडों का उत्पादन दर्ज किया. पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया राज्य सरकार मछली के संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठा रही है. जिनमें ऑफ सीजन के दौरान पनबिजली शक्ति से 15 प्रतिशत पानी का स्राव जारी करना और नियमित रूप से गश्त के माध्यम से मछली का संरक्षण करना आदि शामिल है.

महाशीर मछली राज्य के लगभग 500 किमी क्षेत्र में मौजूद है जिसमें से कुल 3000 किमी की नदियां हैं. हिमाचल में विशेष रूप से दो प्रजातियां टोर प्यूस्टोरा और टो टोर पाई जाती हैं. लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में घोषित होने के बावजूद यह राज्य में पाई जाती है. राज्य के जलाशयों में विशेष रूप से पोंग जलाशय में पाई जाती है.

महाशीर के कृत्रिम प्रजनन का मुख्य उद्देश्य इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए महाशीर के बीज का संरक्षण और उसकी देखभाल है. राज्य की नदियों में मछियाल नामक कई प्राकृतिक महाशीर अभयारण्य हैं. जहां लोग आध्यात्मिक रूप से इनका संरक्षण करते हैं. राज्य के जल निकाय 85 मछली प्रजातियों के घर हैं. रोहू, कैटला और मृगल और ट्राउट शामिल हैं. पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान कुल 492.33 एमटी मछली राज्य के बाहर विपणन की गई.

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Intro:सरकार के प्रयासों से स्वर्ण महाशीर को लुप्त होने से बचाया गया

देश से लगभग विलुप्त हो चुकी स्वर्ण महाशीर की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। प्रदूषण के कारण वाशिंगटन स्थित इंटरनेशनल यूनियन आफ कंजर्वेशन आॅफ नेचुरल रिसोर्सेज द्वारा इस प्रजाति को खतरे में पड़ने की घोषणा की गई है लेकिन मंडी जिले के मछियाल में कृत्रिम प्रजनन के माध्यम से माहशीर को सफलतापूर्वक उत्पादन किया जा रहा है। राज्य सरकार जिला शिमला के सुन्नी में नई महाशीर हैचरी एवं कार्प प्रजनन इकाई स्थापित कर रही है, जहां सुरक्षित परिस्थितियों में प्रजनन के तरीकों को विकसित करने पर 296.97 लाख रुपये की अनुमानित लागत आएगी। यह राज्य में मछली फार्म के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एके महत्वूपर्ण कदम साबित होेगा। हिमाचल प्रदेश देश में माहशीर मछली उत्पादन का एक गढ़ बन गया है। इस वर्ष 10-12 हजार रिकाॅर्ड उच्चतम हैचिंग की उम्मीद है।

Body:वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 के दौरान राज्य में लगभग क्रमशः 19800 अंडे, 20900 अंडे और 28700 अंडे की गोल्डन माहशीर का उत्पादन किया गया। राज्य ने वर्ष 2018-2019 में सबसे अधिक 45.311 एमटी माहशीर कैच दर्ज किए हैं, जो बेहतरीन खेल-मछली में से एक है और भारतीय और विदेशी खिलाड़ियों के मनोरंजन का एक स्रोत है। राज्य ने वर्ष 2018 में क्रमशः गोबिंद सागर (16.182 मीट्रिक टन), कोल डेम (0.275 मीट्रिक टन), पौंग बांध (28.136 मीट्रिक टन) और रणजीत सागर (0.718 मीट्रिक टन) से माहशीर उत्पादन दर्ज किया। वर्तमान में, राज्य में 10893 परिवार मत्स्यपालन में शामिल हैं। राज्य ने वर्ष 2017-18 वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 (वर्तमान तक) में क्रमशः 20900, 28700 और 41450 माहशीर मछली अंडों का उत्पादन दर्ज किया।

पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि राज्य सरकार मछली के संरक्षण को विभिन्न प्रभावी कदम उठा रही है जिनमें आॅफ सीजन के दौरान पनबिजली शक्ति से 15 प्रतिशत पानी का स्त्राव जारी करना और नियमित रूप से गश्त के माध्यम से मछली का संरक्षण करना आदि शामिल है। महाशीर मछली इस पहाड़ी राज्य के लगभग 500 किमी क्षेत्र में मौजूद है जिसमें से कुल 3000 किमी की नदियां हैं। महाशीर सर्वश्रेष्ठ खेल मछली में एक है जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों से मछली पकड़ने वालों (एंग्लरों) को आकर्षित करती है। हिमाचल में विशेष रूप से दो प्रजातियां टोर प्यूस्टोरा और टो टोर पाई जाती हैं। लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में घोषित होने के बावजूद, यह राज्य में बहुतायत से पाई जाती है जो राज्य के जलाशयों में विशेष रूप से पोंग जलाशय में पाई जाती है।

Conclusion:माहशीर के कृत्रिम प्रजनन का मुख्य उद्देश्य इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए महाशीर के बीज का संरक्षण और उसकी देखभाल है। राज्य की नदियों में मछियाल नामक कई प्राकृतिक महाशीर अभयारण्य हैं जहां लोग आध्यात्मिक रूप से इनका संरक्षण करते हंै। मत्स्य पालन विभाग भी मत्स्य अधिनियम और नियमों को कड़ाई से लागू करके मछली संरक्षण के लिए प्रयासरत है। मछलियों को बाजार तक पहुंचाने के लिए मोबाइल फिश बाजारों में छह मोबाइल वैन का उपयोग किया जा रहा है। जलाशय मछुआरों को इंसुलेटेड बाॅक्स भी प्रदान किए गए हैं। राज्य के जल निकाय 85 मछली प्रजातियों के घर हैं, जिनमें रोहू, कैटला और मृगल और ट्राउट शामिल हैं। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान कुल 492.33 एमटी मछली राज्य के बाहर विपणन की गई।
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