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चुनौतियों के पहाड़ को तोड़ता हिमाचल

अपने गठन के सात दशक के सफर में हिमाचल ने तरक्की के कई शिखर छुए हैं. सीमित आर्थिक संसाधनों वाले प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में हिमाचल देश के टॉप मोस्ट राज्यों में शामिल है.

special story on himachal foundation day
चुनौतियों के पहाड़ को तोड़ता हिमाचल
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Published : Apr 15, 2020, 10:30 PM IST

Updated : Apr 16, 2020, 10:22 AM IST

शिमला: अपने गठन के सात दशक के सफर में हिमाचल ने तरक्की के कई शिखर छुए हैं. सीमित आर्थिक संसाधनों वाले प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में हिमाचल देश के टॉप मोस्ट राज्यों में शामिल है.

आपको ये बात जानकरी शायद हैरानी भी हो सकती है कि इस वक्त हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय 1.95 लाख रुपये है. कुल 28 राज्यों में हिमाचल चौथे स्थान पर है. इसके अलावा भी कई पहलू ऐसे हैं, जिस पर हिमाचल गर्व कर सकता है. यहां हिमाचल गठन के सात दशक के सफर पर एक नजर डालना जरूरी है.

वीडियो रिपोर्ट.

आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को हिमाचल का गठन हुआ था. 30 छोटी-बड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल का गठन हुआ. उस समय हिमाचल में विकास के नाम पर कुछ खास नहीं था. तब यहां सड़कों की कुल लंबाई 228 किलोमीटर थी और चारों तरफ अभाव पसरे थे. इस बीच सुखद बात यह है कि साल 1948 में छोटी रियासतों के सहारे जिस हिमाचल का गठन किया गया था, वो आज पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में विकास के मामले में देश भर में मिसाल बना है.

कभी गरीबी और साधनों की कमी से जूझने वाले हिमाचल में आज 40 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कें हैं. यही नहीं, समृद्धि की सीढ़ी पर सवार हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय 1.95 लाख रुपये सालाना से अधिक है.

बता दें कि प्रति व्यक्ति बैंक शाखाओं के मामले में भी हिमाचल टॉप पर है. इस बात को तो शायद आप भी जानते ही होंगे कि ई-विधान प्रणाली वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. कठिन और दुर्गम इलाकों वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल ने शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मोर्चों पर सफलताओं की मिसाल कायम की है.

25 जनवरी 1971 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद हिमाचल का आगे बढ़ने का सफर रोमांच से भरा रहा है. 1971 में हिमाचल देश का 18वां राज्य बना था. वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सत्तर लाख से अधिक की आबादी वाला राज्य है. डॉ. वाईएस परमार प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे. जिन्हें हिमाचल निर्माता भी कहा जाता है.

ये सफलताएं बनाती हैं हिमाचल को देश में खास

हिमाचल प्रदेश बेशक आबादी के लिहाज से छोटा राज्य है, लेकिन इसकी उपलब्धियां विशाल हैं. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में हिमाचल की अर्थव्यवस्था 5.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी. हिमाचल को मुख्य रूप से फल राज्य के तौर पर जाना जाता है.

हिमाचल प्रदेश में 7.07 लाख टन फलों और 17.22 लाख टन से अधिक बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन होता है. सेब यहां की अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा है. यहां सालाना अधिकतम साढ़े तीन करोड़ पेटी तक सेब का उत्पादन होता है. इसके अलावा हिमाचल की पहचान ऊर्जा राज्य के तौर पर भी है.

हिमाचल में अब सालाना औसतन 18 हजार मिलीयन यूनिट बिजली का उत्पादन होता है. सिक्किम के बाद हिमाचल देश का एक और जैविक राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है. साक्षरता के मोर्चे पर हिमाचल का नंबर केरल के बाद है. यहां की साक्षरता दर 86 फीसदी से अधिक है. प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य संस्थानों की औसत भी हिमाचल की देश से बेहतर है. यहां 2900 से अधिक स्वास्थ्य संस्थान हैं.यहां साल 2019 में पौने दो करोड़ सैलानी आए.

चुनौतियों का पहाड़ भी कम नहीं

छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल के पास आर्थिक संसाधन सीमित हैं. मुख्य रूप से ये राज्य केंद्र की सहायता पर अधिक निर्भर है. हिमाचल प्रदेश पर इस समय 57 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. तमाम उपलब्धियों के बावजूद यह कड़वी सच्चाई है कि हिमाचल में बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती है. प्रदेश में नौ लाख बेरोजगार युवाओं की फौज है. सामाजिक बुराई के रूप में नशा यहां के युवाओं का जीवन बर्बाद कर रहा है.

शिमला: अपने गठन के सात दशक के सफर में हिमाचल ने तरक्की के कई शिखर छुए हैं. सीमित आर्थिक संसाधनों वाले प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में हिमाचल देश के टॉप मोस्ट राज्यों में शामिल है.

आपको ये बात जानकरी शायद हैरानी भी हो सकती है कि इस वक्त हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय 1.95 लाख रुपये है. कुल 28 राज्यों में हिमाचल चौथे स्थान पर है. इसके अलावा भी कई पहलू ऐसे हैं, जिस पर हिमाचल गर्व कर सकता है. यहां हिमाचल गठन के सात दशक के सफर पर एक नजर डालना जरूरी है.

वीडियो रिपोर्ट.

आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को हिमाचल का गठन हुआ था. 30 छोटी-बड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल का गठन हुआ. उस समय हिमाचल में विकास के नाम पर कुछ खास नहीं था. तब यहां सड़कों की कुल लंबाई 228 किलोमीटर थी और चारों तरफ अभाव पसरे थे. इस बीच सुखद बात यह है कि साल 1948 में छोटी रियासतों के सहारे जिस हिमाचल का गठन किया गया था, वो आज पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में विकास के मामले में देश भर में मिसाल बना है.

कभी गरीबी और साधनों की कमी से जूझने वाले हिमाचल में आज 40 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कें हैं. यही नहीं, समृद्धि की सीढ़ी पर सवार हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय 1.95 लाख रुपये सालाना से अधिक है.

बता दें कि प्रति व्यक्ति बैंक शाखाओं के मामले में भी हिमाचल टॉप पर है. इस बात को तो शायद आप भी जानते ही होंगे कि ई-विधान प्रणाली वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. कठिन और दुर्गम इलाकों वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल ने शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मोर्चों पर सफलताओं की मिसाल कायम की है.

25 जनवरी 1971 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद हिमाचल का आगे बढ़ने का सफर रोमांच से भरा रहा है. 1971 में हिमाचल देश का 18वां राज्य बना था. वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सत्तर लाख से अधिक की आबादी वाला राज्य है. डॉ. वाईएस परमार प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे. जिन्हें हिमाचल निर्माता भी कहा जाता है.

ये सफलताएं बनाती हैं हिमाचल को देश में खास

हिमाचल प्रदेश बेशक आबादी के लिहाज से छोटा राज्य है, लेकिन इसकी उपलब्धियां विशाल हैं. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में हिमाचल की अर्थव्यवस्था 5.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी. हिमाचल को मुख्य रूप से फल राज्य के तौर पर जाना जाता है.

हिमाचल प्रदेश में 7.07 लाख टन फलों और 17.22 लाख टन से अधिक बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन होता है. सेब यहां की अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा है. यहां सालाना अधिकतम साढ़े तीन करोड़ पेटी तक सेब का उत्पादन होता है. इसके अलावा हिमाचल की पहचान ऊर्जा राज्य के तौर पर भी है.

हिमाचल में अब सालाना औसतन 18 हजार मिलीयन यूनिट बिजली का उत्पादन होता है. सिक्किम के बाद हिमाचल देश का एक और जैविक राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है. साक्षरता के मोर्चे पर हिमाचल का नंबर केरल के बाद है. यहां की साक्षरता दर 86 फीसदी से अधिक है. प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य संस्थानों की औसत भी हिमाचल की देश से बेहतर है. यहां 2900 से अधिक स्वास्थ्य संस्थान हैं.यहां साल 2019 में पौने दो करोड़ सैलानी आए.

चुनौतियों का पहाड़ भी कम नहीं

छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल के पास आर्थिक संसाधन सीमित हैं. मुख्य रूप से ये राज्य केंद्र की सहायता पर अधिक निर्भर है. हिमाचल प्रदेश पर इस समय 57 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. तमाम उपलब्धियों के बावजूद यह कड़वी सच्चाई है कि हिमाचल में बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती है. प्रदेश में नौ लाख बेरोजगार युवाओं की फौज है. सामाजिक बुराई के रूप में नशा यहां के युवाओं का जीवन बर्बाद कर रहा है.

Last Updated : Apr 16, 2020, 10:22 AM IST
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