हिमाचल प्रदेश एक राज्य के रूप में 50 बरस का होने वाला है. भले ही हिमाचल एक छोटा सा राज्य हो, लेकिन इसके खाते में बेमिसाल उपलब्धियां दर्ज हैं. खासकर स्वास्थ्य के क्षेत्र की बात करें तो हिमाचल की उपलब्धियां कई प्रदेशों के लिए मिसाल हैं.
अगर आंकड़ो पर गौर फरमाए तो हिमाचल में 986 करोड़ की लागत वाले ईएसआई मेडिकल कॉलेज नेरचौक सहित शिमला, टांडा, चंबा, नाहन और हमीरपुर में हैं. इनमें से अभी हमीरपुर मेडिकल कॉलेज फंक्शनल नहीं हुआ है. इसके अलावा बिलासपुर में एम्स बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. प्रदेश में 2700 से अधिक स्वास्थ्य संस्थान हैं और ये औसत देश के अन्य राज्यों से अधिक है.
राज्य में कुल 2729 स्वास्थ्य संस्थान है. जिनमें मेडिकल कॉलेज से लेकर ESI अस्पताल, PHC, CHC समेत कई स्वास्थ्य संस्थान शामिल हैं. प्रदेश में डॉक्टरों के कुल स्वीकृत पद 2260 हैं जिनमें से 1984 पदों पर डॉक्टर्स अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
हिमाचल में केंद्र की आयुष्मान भारत योजना समेत प्रदेश सरकार की कई योजनाओं का लाभ प्रदेश की जनता को मिल रहा है. मुख्यमंत्री निशुल्क दवाई योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष योजना और हिम केयर योजना समेत प्रदेश सरकार की कई योजनाएं हैं जो हिमाचल को सेहतमंद रखती हैं.
यही वजह है कि देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले हिमाचल में प्रतिव्यक्ति के स्वास्थ्य पर सरकार अधिक खर्च करती है. प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य संस्थान पर नजर डालें तो हिमाचल कई राज्यों के लिए मिसाल है. प्रदेश में प्रति व्यक्ति डॉक्टरों की संख्या भी दूसरे राज्यों से बेहतर है.
वालंटियर ब्लड डोनेशन के मामले में हिमाचल प्रदेश का देश में दूसरा स्थान है. यहां कुल ब्लड डोनेशन का 83 फीसदी स्वैच्छिक यानी वालंटियर है. यही नहीं, ब्लड ट्रांसफ्यूजन से एचआईवी या अन्य संक्रमण का एक भी मामला हिमाचल में सामने नहीं आया है.
देश के सबसे बड़े अस्पताल दिल्ली के एम्स की करें तो इस प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थान के प्रमुख हिमाचल के डॉ. रणदीप गुलेरिया हैं. डॉ. गुलेरिया पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के निजी डॉक्टर रहे हैं. एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया पल्मोनरी मेडिसिन के विश्वप्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं.
चंडीगढ़ के पीजीआईएमआर के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जगतराम भी हिमाचल के सिरमौर जिले से ताल्लुक रखते हैं. डॉ. जगतराम देश ही नहीं दुनिया मशहूर आई सर्जन हैं.
हिमाचल के युवा डॉक्टर्स भी प्रदेश का ना रोशन करने में पीछे नहीं हैं, हिमाचल के युवा डॉक्टर्स भी बेमिसाल हैं. प्रदेश के हमीरपुर के रहने वाले डॉ. अरुण शर्मा भारत के पहले डॉक्टर हैं, जिन्होंने कार्डियोवस्कुलर रेडियोलॉजी एंड एंडोवस्कुलर इंटरवेंशन यानी सीवीआर एंड ईआई में डीएम की डिग्री हासिल की है.
करनाल के कल्पना चावला मेडिकल इंस्टीट्यूट के निदेशक भी हिमाचल के डॉक्टर प्रोफेसर सुरेंद्र कश्यप रहे हैं. जिला शिमला के रहने वाले डॉ. कश्यप भी देश के माने हुए पल्मोनरी मेडिसिन विशेषज्ञ हैं.
दिल्ली के नामी सरगंगाराम अस्पताल के चेयरमैन भी हिमाचल के डॉ. डीएस राणा हैं. नेफरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. डीएस राणा पदमश्री से अलंकृत हैं और क्लीवलैंड क्लीनिक ओहायो अमेरिका के इंटरनेशन स्कॉलर हैं.
इसके अलावा देश और विदेश के कई निजी और सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में हिमाचल के डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. और लोगों की सेहत का ख्याल रख रहे हैं.