शिमला: प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. ऐसे में 10 फीसदी मरीज ऐसे होते है जिन्हें अस्पताल में दाखिल करना ही पड़ता है. अस्प्ताल में मरीज तो दाखिल रहते हैं लेकिन वार्ड में तीमारदारों को रहने की अनुमति नहीं होती. गंभीर मरीजों के साथ शर्तों पर ही तीमारदार रह सकते हैं. बाकी मरीजों के तीमारदार वार्ड के बाहर ही रहने को मजबूर रहते हैं.
बेंच पर गुजरती है तीमारदारों की रात
अस्पताल में कोविड मरीजों के तीमारदारों को क्या परेशानी रहती है. यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी और डीडीयू में जाकर तीमारदारों से बात की. आईजीएमसी में 300 के लगभग कोरोना संक्रमित मरीज दाखिल हैं. कई मरीजों के तीमारदार अंदर साथ मे देखभाल करते हैं जबकि अधिकतर मरीजों के तीमारदार बाहर परिसर में ही बैठे रहते हैं. जब तीमारदारों से बात की गई तो एक युवती ने बताया कि उनकी माता कोविड अस्प्ताल में दाखिल हैं, उन्हें कोई परेशानी नहीं है. वह शिमला में ही रहती हैं और रात को अपने घर चली जाती हैं.
शौचालय के लिए भी होते हैं परेशान
एक अन्य तीमारदार ने बताया कि वह नाहन से यहां अपने मरीज के साथ आए हैं. उन्होंने बताया कि बाकी सब तो ठीक है लेकिन रात को उन्हें बेंच पर ही सोना पड़ता है. उनका कहना था कि शौचालय की भी परेशानी रहती है, नहाने की व्यवस्था नहीं है. एक अन्य तीमारदार का कहना था कि वह 30 अप्रैल को मरीज लेकर आए थे. उनका कहना था कि यहां एक ही परेशानी है कि अंदर दाखिल मरीज की जानकारी नहीं मिलती है. उनका कहना था यदि बाहर डिस्प्ले स्क्रीन लगा दी जाए जिसमें सभी मरीजों की जानकारी रहे तो सबका फायदा हो जाएगा.
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