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कोरोना काल में LPG की मांग, सिलेंडर की डिलीवरी करने वालों का भी हाल बेहाल

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Published : May 17, 2021, 11:06 PM IST

Updated : May 18, 2021, 12:22 PM IST

एलपीजी गैस सिलेंडर भी आवश्यक जरुरतों में से एक है. सिलेंडर को ट्रक के जरिए शिमला तक पहुंचाया जाता है. ट्रक से सिलेंडर को डिलवरी करने वाला कर्मचारी अपने कंधे पर उठाकर घरों तक छोड़ता है. ऐसे में वह कई लोगों के संपर्क में आते हैं. संक्रमण ने फैले, इसके लिए गैस एजेंसी और डिलवरी करने वाले कर्मचारियों के लिए क्या प्रबंध किए गए हैं, यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जांच पड़ताल की. इस दौरान हमने पाया कि न तो सिलेंडर डिलीवी करने वालों की रोजी रोटी सही से चल पा रही है और न ही उन्हें सरकार से कोई मदद मिल रही है.

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शिमला: शिमला में करीब 7 गैस एजेंसियां हैं और हर एजेंसी में 14-15 लोग सिलेंडर की डिलीवरी का काम करते हैं. इन लोगों का कहना है कि वह अपनी तरफ से तो सोशल डिस्टेंसिंग करने का पूरा ध्यान रखते हैं. मास्क पहनकर ही सिलेंडर की डिलीवरी करने जाते हैं. सैनिटाइजेशन का भी ध्यान रखा जाता है, लेकिन सरकार की ओर से इन्हें कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई है.

सरकार की तरफ से नहीं कोई मदद

सिलेंडर डिलीवरी करने वालों का कहना है कि कोरोना की पहली लहर में तो सहायता की गई थी, लेकिन दूसरी लहर में न तो सरकार और न ही कोई स्वयंसेवी संस्था मदद के लिए आगे आई है. इन लोगों के लिए गैस एजेंसी के मालिक ने ही मास्क और सैनिटाइजर का इंतजाम किया है.

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गुजर-बसर करना हो रहा है मुश्किल

इन लोगों का कहना है कि कोरोना की वजह से शहरों में सिलेंडर की मांग कम हो गई है. लोगों ने गांवों का रुख कर लिया है. ऐसे में इन लोगों की दिहाड़ी पर भी असर पड़ रहा है. एक सिलेंडर छोड़ने के 50 रुपए मिलते थे. इस हिसाब से एक दिन में 300-400 रुपए कमाई हो जाती थी, लेकिन आजकल हालात खराब हैं. गुजारा भी मुश्किल से हो पा रहा है.

अभी तक नहीं हुआ है वैक्सीनेशन

सिलेंडर डिलीवरी करने वाले हर रोज लोगों के संपर्क में आते हैं. ऐसे में उनका वैक्सीनेशन होना बेहद जरुरी है, लेकिन अभी तक इन लोगों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है. यह काम करने वाले ज्यादातर लोग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं. ऐसे में उन्हें वैक्सीन के लिए ऑनलाइन रजिस्टर करना भी नहीं आता.

एलपीजी सिलेंडर की मांग हुई आधी

एलपीजी सिलिंडर की होम डिलीवरी करने वाले नजीर अहमद का कहना है कि एलपीजी सिलेंडर की मांग आधी हो गई है. पहले हर महीने 25 से 30 ट्रक की डिमांड होती थी, लेकिन अब 15 से 16 ट्रकों की ही डिमांड है. आजकल सिलेंडर की बुकिंग ऑनलाइन होती है, लेकिन कोरोना कर्फ्यू में वह भी घट गई है. शहरों में काम धंधा बंद है, स्कूल बंद हैं, लोग गांव चले गए हैं, ऐसे में शहरों में एलपीजी का काम भी बहुत कम हो गया है.

रोजगार जाने से पैसे की बचत कर रहे लोग

एलपीजी सप्लाई में लगे ट्रक ड्राइवर धीरज का कहना है कि पूरे प्रदेश में मंदी है. हर जिले में एलपीजी की डिमांड कम हो गई है. उद्योगों से सप्लाई में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन डिमांड ही कम हो गई है. लोगों की आय कम हो गई है. रोजगार चले गए हैं, ऐसे में परिवार गांव चले गए हैं. रोजगार जाने के कारण गांव में लोग पैसे की बचत पर ध्यान दे रहे हैं. लकड़ी के चूल्हे का प्रयोग ज्यादा किया जा रहा है. इसी कारण एलपीजी की मांग घट गई है.

वापिस अप्लाई की जा रही सिलेंडर पर सब्सिडी

करीब एक साल से अधिक समय से आर्थिकी को कोरोना के कारण हुए नुकसान से अब लोगों ने एलपीजी पर मिल रही सब्सिडी फिर से लेना शुरू कर दिया है. जब हालात ठीक थे, सक्षम लोगों ने प्रधानमंत्री की अपील पर एलपीजी की सब्सिडी छोड़ दी थी.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में धीमी पड़ी कोरोना की रफ्तार! एक दिन में 58 लोगों की कोरोना से मौत, 3760 लोग हुए स्वस्थ

शिमला: शिमला में करीब 7 गैस एजेंसियां हैं और हर एजेंसी में 14-15 लोग सिलेंडर की डिलीवरी का काम करते हैं. इन लोगों का कहना है कि वह अपनी तरफ से तो सोशल डिस्टेंसिंग करने का पूरा ध्यान रखते हैं. मास्क पहनकर ही सिलेंडर की डिलीवरी करने जाते हैं. सैनिटाइजेशन का भी ध्यान रखा जाता है, लेकिन सरकार की ओर से इन्हें कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई है.

सरकार की तरफ से नहीं कोई मदद

सिलेंडर डिलीवरी करने वालों का कहना है कि कोरोना की पहली लहर में तो सहायता की गई थी, लेकिन दूसरी लहर में न तो सरकार और न ही कोई स्वयंसेवी संस्था मदद के लिए आगे आई है. इन लोगों के लिए गैस एजेंसी के मालिक ने ही मास्क और सैनिटाइजर का इंतजाम किया है.

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गुजर-बसर करना हो रहा है मुश्किल

इन लोगों का कहना है कि कोरोना की वजह से शहरों में सिलेंडर की मांग कम हो गई है. लोगों ने गांवों का रुख कर लिया है. ऐसे में इन लोगों की दिहाड़ी पर भी असर पड़ रहा है. एक सिलेंडर छोड़ने के 50 रुपए मिलते थे. इस हिसाब से एक दिन में 300-400 रुपए कमाई हो जाती थी, लेकिन आजकल हालात खराब हैं. गुजारा भी मुश्किल से हो पा रहा है.

अभी तक नहीं हुआ है वैक्सीनेशन

सिलेंडर डिलीवरी करने वाले हर रोज लोगों के संपर्क में आते हैं. ऐसे में उनका वैक्सीनेशन होना बेहद जरुरी है, लेकिन अभी तक इन लोगों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है. यह काम करने वाले ज्यादातर लोग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं. ऐसे में उन्हें वैक्सीन के लिए ऑनलाइन रजिस्टर करना भी नहीं आता.

एलपीजी सिलेंडर की मांग हुई आधी

एलपीजी सिलिंडर की होम डिलीवरी करने वाले नजीर अहमद का कहना है कि एलपीजी सिलेंडर की मांग आधी हो गई है. पहले हर महीने 25 से 30 ट्रक की डिमांड होती थी, लेकिन अब 15 से 16 ट्रकों की ही डिमांड है. आजकल सिलेंडर की बुकिंग ऑनलाइन होती है, लेकिन कोरोना कर्फ्यू में वह भी घट गई है. शहरों में काम धंधा बंद है, स्कूल बंद हैं, लोग गांव चले गए हैं, ऐसे में शहरों में एलपीजी का काम भी बहुत कम हो गया है.

रोजगार जाने से पैसे की बचत कर रहे लोग

एलपीजी सप्लाई में लगे ट्रक ड्राइवर धीरज का कहना है कि पूरे प्रदेश में मंदी है. हर जिले में एलपीजी की डिमांड कम हो गई है. उद्योगों से सप्लाई में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन डिमांड ही कम हो गई है. लोगों की आय कम हो गई है. रोजगार चले गए हैं, ऐसे में परिवार गांव चले गए हैं. रोजगार जाने के कारण गांव में लोग पैसे की बचत पर ध्यान दे रहे हैं. लकड़ी के चूल्हे का प्रयोग ज्यादा किया जा रहा है. इसी कारण एलपीजी की मांग घट गई है.

वापिस अप्लाई की जा रही सिलेंडर पर सब्सिडी

करीब एक साल से अधिक समय से आर्थिकी को कोरोना के कारण हुए नुकसान से अब लोगों ने एलपीजी पर मिल रही सब्सिडी फिर से लेना शुरू कर दिया है. जब हालात ठीक थे, सक्षम लोगों ने प्रधानमंत्री की अपील पर एलपीजी की सब्सिडी छोड़ दी थी.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में धीमी पड़ी कोरोना की रफ्तार! एक दिन में 58 लोगों की कोरोना से मौत, 3760 लोग हुए स्वस्थ

Last Updated : May 18, 2021, 12:22 PM IST
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