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ऑनलाइन कक्षाएं दृष्टिबाधित छात्रों के लिए बनीं परेशानी, नहीं हो पाई सही तरीके से पढ़ाई

कोरोना काल में स्कूलों के बंद होने पर ऑनलाइन क्लासेज का सहारा लिया गया. हालांकि ऑनलाइन पढ़ाई में छात्रों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. सबसे ज्यादा मुश्किल हुई दृष्टिबाधित छात्रों को. इसके साथ यह छात्र आर्थिक रुप से भी कमजोर हैं. इस वजह से इन्हें ऑनलाइन पढ़ाई में इस्तेमाल होने वाली चीजों का प्रबंध करना मुश्किल हो गया. खराब नेटवर्क, स्मार्ट फोन न होना इन छात्रों की पढ़ाई में परेशानी का सबब बन गया.

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Published : Apr 2, 2021, 7:53 PM IST

शिमला: कोरोना के बीच लंबे समय तक प्रदेश के शैक्षणिक संस्थान बंद रहे. स्कूल और कॉलेजों में छात्र अपनी नियमित कक्षाएं लगाने के लिए नहीं आ पाए. इस वजह से ऑनलाइन पढ़ाई की शुरुआत की गई. ऑनलाइन पढ़ाई में सामान्य छात्रों के मुकाबले दृष्टिबाधित छात्रों को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

ऑनलाइन क्लासेज में अच्छे से नहीं हो पाई पढ़ाई

दृष्टिबाधित छात्राओं का कहना ही कि कोरोना से पहले जब वह स्कूल और कॉलेज में नियमित रूप से कक्षाएं लग रहीं थी तो वह कक्षाओं में बैठकर हर विषय को आसानी से समझ पाती थीं. कोविड ने पढ़ाई के इस पूरे सिस्टम को बदल कर रख दिया है. नियमित कक्षाएं ना लगने की वजह से ऑनलाइन मैटीरियल भेजा जाता था. वह नेटवर्क की दिक्कतों की वजह से डाऊनलोड ही नहीं हो पाता था. वहीं, अगर मटेरियल डाउनलोड भी हो जाता था तो उसे समझने में छात्रों को बड़ी परेशानी पेश आती थी.

वीडियो

कक्षाओं में जहां अगर कुछ समझ नहीं आता तो वह तुरंत उसके बारे में शिक्षक से पूछ सकते थे, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में यह भी संभव नहीं हो पा रहा था. इस दौरान छात्रों को मात्र शिक्षकों की ओर से भेजे जाने वाले वीडियो से ही सहायता मिली और उसी की मदद से वह अपनी पढ़ाई को जारी रख पाए. दृष्टिबाधित छात्र-छात्राओं को अपनी पढ़ाई को करने के लिए अपने भाई बहन की मदद लेनी पड़ी. किताबों की फोटो खींच कर उनके भाई बहन उन्हें वह पढ़कर बताते थे जिसे सुनकर यह छात्र अपनी पढ़ाई को पूरा कर पाए. इसके बावजूद भी उनकी पढ़ाई सही तरीके से नहीं हो पाई है.

पढ़ाई के आड़े आया स्मार्ट फोन और खराब नेटवर्क

छात्र छात्राओं ने गूगल, यूट्यूब की मदद लेकर ही अपनी पढ़ाई को जारी रखा और जितना पढ़ सकते थे उतना उन्होंने सिलेबस को पढ़ा. शिमला के आरकेएमवी कॉलेज में शिक्षा ग्रहण कर रही दृष्टिबाधित छात्राओं ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. नेटवर्क की समस्या उसमें सबसे बड़ी परेशानी थी. प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों के पास इंटरनेट की कनेक्टिविटी ही नहीं थी. हिमाचल प्रदेश विकलांग जन मामलों के नोडल ऑफिसर प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि कोविड के दौरान दृष्टिबाधित छात्रों को अपनी पढ़ाई को पूरा करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है.

ज्यादातर छात्र गरीब परिवारों से संबंधित हैं और उनके पास लैपटॉप तो दूर स्मार्टफोन तक नहीं हैं. इन बच्चों के परिवारों में एक ही स्मार्टफोन है जो ऑनलाइन क्लासेज के दौरान उपलब्ध नहीं हो पाता था. इसके साथ ही नेट रिचार्ज भी बड़ी परेशानी थी और सबसे बड़ी समस्या नेटवर्क की थी जिसकी वजह से इन दृष्टिबाधित छात्र छात्राओं को स्कूल कॉलेज बंद होने से परेशानियों का सामना करना पड़ा.

ये भी पढ़ें: मेरा पूरा परिवार कल तक भाजपा का था आज हम हुए कांग्रेसी: दयाल प्यारी

शिमला: कोरोना के बीच लंबे समय तक प्रदेश के शैक्षणिक संस्थान बंद रहे. स्कूल और कॉलेजों में छात्र अपनी नियमित कक्षाएं लगाने के लिए नहीं आ पाए. इस वजह से ऑनलाइन पढ़ाई की शुरुआत की गई. ऑनलाइन पढ़ाई में सामान्य छात्रों के मुकाबले दृष्टिबाधित छात्रों को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

ऑनलाइन क्लासेज में अच्छे से नहीं हो पाई पढ़ाई

दृष्टिबाधित छात्राओं का कहना ही कि कोरोना से पहले जब वह स्कूल और कॉलेज में नियमित रूप से कक्षाएं लग रहीं थी तो वह कक्षाओं में बैठकर हर विषय को आसानी से समझ पाती थीं. कोविड ने पढ़ाई के इस पूरे सिस्टम को बदल कर रख दिया है. नियमित कक्षाएं ना लगने की वजह से ऑनलाइन मैटीरियल भेजा जाता था. वह नेटवर्क की दिक्कतों की वजह से डाऊनलोड ही नहीं हो पाता था. वहीं, अगर मटेरियल डाउनलोड भी हो जाता था तो उसे समझने में छात्रों को बड़ी परेशानी पेश आती थी.

वीडियो

कक्षाओं में जहां अगर कुछ समझ नहीं आता तो वह तुरंत उसके बारे में शिक्षक से पूछ सकते थे, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में यह भी संभव नहीं हो पा रहा था. इस दौरान छात्रों को मात्र शिक्षकों की ओर से भेजे जाने वाले वीडियो से ही सहायता मिली और उसी की मदद से वह अपनी पढ़ाई को जारी रख पाए. दृष्टिबाधित छात्र-छात्राओं को अपनी पढ़ाई को करने के लिए अपने भाई बहन की मदद लेनी पड़ी. किताबों की फोटो खींच कर उनके भाई बहन उन्हें वह पढ़कर बताते थे जिसे सुनकर यह छात्र अपनी पढ़ाई को पूरा कर पाए. इसके बावजूद भी उनकी पढ़ाई सही तरीके से नहीं हो पाई है.

पढ़ाई के आड़े आया स्मार्ट फोन और खराब नेटवर्क

छात्र छात्राओं ने गूगल, यूट्यूब की मदद लेकर ही अपनी पढ़ाई को जारी रखा और जितना पढ़ सकते थे उतना उन्होंने सिलेबस को पढ़ा. शिमला के आरकेएमवी कॉलेज में शिक्षा ग्रहण कर रही दृष्टिबाधित छात्राओं ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. नेटवर्क की समस्या उसमें सबसे बड़ी परेशानी थी. प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों के पास इंटरनेट की कनेक्टिविटी ही नहीं थी. हिमाचल प्रदेश विकलांग जन मामलों के नोडल ऑफिसर प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि कोविड के दौरान दृष्टिबाधित छात्रों को अपनी पढ़ाई को पूरा करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है.

ज्यादातर छात्र गरीब परिवारों से संबंधित हैं और उनके पास लैपटॉप तो दूर स्मार्टफोन तक नहीं हैं. इन बच्चों के परिवारों में एक ही स्मार्टफोन है जो ऑनलाइन क्लासेज के दौरान उपलब्ध नहीं हो पाता था. इसके साथ ही नेट रिचार्ज भी बड़ी परेशानी थी और सबसे बड़ी समस्या नेटवर्क की थी जिसकी वजह से इन दृष्टिबाधित छात्र छात्राओं को स्कूल कॉलेज बंद होने से परेशानियों का सामना करना पड़ा.

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