रामपुर/शिमला: पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है. इस महामारी से लड़ने में नर्सें बेहद अहम भूमिका निभा रही हैं. अपने घरों से दूर और परिवार से दूर रहकर नर्सें अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कर रही हैं. इसलिए आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर नर्सों की सेवा को याद करना जरूरी है. अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर ईटीवी भारत ने नर्सों से बातचीत की.
आनी के जाबन क्षेत्र की नर्स किरण ठाकुर ने सभी को इस विशेष दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हमारे पेशे में मरीज की सेवा करना ही पहला धर्म है. किरन ठाकुर सोलन में कार्यरत हैं. किरन ठाकुर ने कहा कि काफी समय से घर नहीं गई हैं. इसलिए मरीजों की सहायता कार्य करने में जुटी है .
दलाश की सरिता वर्मा ने नर्स दिवस की बधाई देते हुए कहा कि आज हमारी कई बहनें कोरोना वैश्विक महामारी में अपने घर-परिवार से दूर रहकर सेवा कार्य में जुटी हैं. ये प्रशंसनीय है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में नर्स का एक विशेष महत्व है.
जिला शिमला की नर्स मंजू ने कहा कि एक नर्स होना गौरव की बात है. हमारा सीधा संबंध मरीज की सेवा से जुड़ा हुआ होता है, जिससे हमें पुण्य मिलता है. मंजू ने सभी नर्सों को बधाई देते हुए डटकर कोरोना महामारी से लड़ने की बात कही है .
रामपुर की नर्स भावना ने कहा कि एक नर्स के चेहरे पर हमेशा सेवा करते हुए मुस्कान रहती है. ये मुस्कान हमें अपने काम के प्रति एक नई ऊर्जा देती है. साथ ही बखूबी अपनी ड्यूटी निभाकर अपनी जिम्मेदारी को निभाती हैं.
कुल्लू की मीनाक्षी ने अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि नर्सों की सेवाओं के बिना स्वास्थ्य विभाग अधूरा है. नर्सें दिन रात एक करके शहर व ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य संस्थानों में अपनी सेवाएं देती है. सचमुच नर्सों का सहयोग देश समेत समूचे प्रदेश के लिए अहम है. साथ ही लोगों की सेवा करने वाला यह एक पुण्य कार्य है .
बता दें कि 12 मई, 1820 को पहली नर्स फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था. संपन्न घर में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने लोगों की सेवा करने के लिए इस प्रोफेशन को चुना. इसलिए उन्हीं की याद में नर्सिंग दिवस मनाया जाता है.
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