शिमला: हिमाचल में सोलर एनर्जी से राज्य का ऊर्जा भंडार समृद्ध होगा. राज्य में बेशक हाइड्रो पावर सेक्टर ऊर्जा का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है, लेकिन सोलर एनर्जी को भी प्राथमिकता देकर सरकार हिमाचल को देश का पहला ग्रीन एनर्जी स्टेट बनाना चाहती है. सीएम सुखविंदर सिंह ने भी इस संदर्भ में ऊर्जा विभाग सहित अन्य संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिए हैं. इस साल राज्य सरकार पांच सौ मेगावाट की सोलर एनर्जी परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य लेकर चल रही है.
मुख्यमंत्री ने ग्रीन एनर्जी स्टेट के सपने को 2025 के तय समय में पूरा करने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड, हिम ऊर्जा, हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड सहित ऊर्जा विभाग के अफसरों को लक्ष्य के रास्ते के बॉटलनेक दूर करने के निर्देश दिए हैं. उल्लेखनीय है कि सीएम सुखविंदर सिंह ने सभी संबंधित विभागों को वर्तमान पॉवर पॉलिसी में आवश्यक बदलाव करने के साथ ही पांच मेगावाट क्षमता तक की सभी सौर ऊर्जा परियोजनाएं आवंटन के लिए खुली रखने को कहा है.
सीएम के निर्देश पर ऊर्जा विभाग इस साल प्रदेश भर में 500 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं स्थापित करेगा. इसमें से 200 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड (एचपीपीसीएल) अपने स्तर पर स्थापित करेगी. अभी विभाग ने 70 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं के लिए भूमि चिन्हित कर ली है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह चाहते हैं कि 150 मेगावाट क्षमता की सोलर परियोजनाएं निजी सेक्टर की भागीदारी से हिम ऊर्जा के जरिए स्थापित की जाएं.
साथ ही इन परियोजनाओं के आवंटन में राज्य के लोगों को प्राथमिकता दी जाए. सरकार ने हिम ऊर्जा को कहा है कि 3 मेगावाट क्षमता से अधिक की सौर परियोजनाओं में राज्य को रॉयल्टी से वित्तीय लाभ सुनिश्चित करे. सरकार ने हिम ऊर्जा को पांच मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना में राज्य के लिए पांच प्रतिशत प्रीमियम और पांच मेगावाट क्षमता से अधिक की सौर ऊर्जा परियोजनओं में 10 प्रतिशत हिस्सा तय करने को कहा है. इससे राज्य की आय बढ़ेगी.
मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विभाग की परियोजनाओं की समीक्षा के बाद कहा कि हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड को काशंग-2 व काशंग-3 सहित शोंगटोंग और करछम विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में तेजी लाई जाए. सोलर परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सके, इसके लिए परामर्शदाता नियुक्त करने को भी हरी झंडी दी गई है. राज्य का ऊर्जा विभाग और एचपीपीसीएल राजस्थान में भूमि चिह्नित करेंगे.
वहां मेगा सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए रियायती दरों पर भूमि मिल सकती है. इस तरह राज्य सरकार ऊर्जा के सभी संसाधनों का दोहन करके दो साल में ग्रीन एनर्जी स्टेट का लक्ष्य हासिल कर सकेगी. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में 23750 मेगावाट जलविद्युत क्षमता है. इसमें से 10781 मेगावाट का दोहन किया जा चुका है. वहीं, क्षमता की बात की जाए तो हिमाचल में नदियों के जल से 27436 मेगावाट जलविद्युत पैदा करने की क्षमता है.
इस फील्ड में सतलुज जलविद्युत निगम लिमिटेड का काम पूरी दुनिया में पहचान रखता है. एसजेवीएनएल की परियोजनाओं से राज्य सरकार को अरबों रुपए लाभांश मिलता है. इन परियोजनाओं से 12 फीसदी निशुल्क बिजली भी मिलती है. ऐसे में राज्य सरकार दो साल के तय समय में ग्रीन एनर्जी स्टेट का लक्ष्य हासिल कर सकती है.
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