शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने सोलन-शिमला ढली फोरलेन मामले में भू अधिग्रहण अधिकारी को अधिग्रहित भूमि के प्रभावितों को जल्द मुआवजा देने में कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं, ताकि अधिग्रहित भूमि का वास्तविक कब्जा एनएचएआई द्वारा लिया जा सके.
![Solan-Shimla Dhali Forelane work will be started soon](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/images/3043882_high-court.gif)
मामले की सुनवाई के दौरान एनएचएआई की ओर से कोर्ट को बताया गया कि करीब 89 करोड़ रुपये की राशि भू अधिग्रहण अधिकारी के पास जमा करवा दी गई है. एनएचएआई ने बताया कि शिमला में इस फोरलेन सड़क के लिए 84 हेक्टेयर के करीब भूमि का अधिग्रहण किया गया है, जिसमें से 81 हेक्टेयर भूमि का वास्तविक कब्जा भी ले लिया गया है. उन्होंने कहा कि शिमला जिला में इस फोरलेन प्रोजेक्ट के तहत 250 ऐसे निर्माण पाए गए हैं, जिन्हें तोड़ना पड़ेगा. इनमें से 218 निर्माणों के लिए मुआवजा राशि घोषित कर दी गई है और मुआवजा जमा करवा दिया गया है. अभी तक सिर्फ 123 निर्माणों को तोड़ा गया है.
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने जिला प्रशासन शिमला को आदेश दिए कि वे एनएचएआई की उक्त निर्माणों को हटाने में हर तरह से मदद करें. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभी केवल उन्हीं निर्माणों को तोड़ा जाए जिनके मुआवजे प्रभावितों को दे दिए गए हैं. जिन निर्माणों के मुआवजा संम्बन्धित मामले लंबित हैं उन निर्माणों को न छेड़ा जाए.
कोर्ट ने भू अधिग्रहण अधिकारी को बचे हुए निर्माणों के मुआवजे भी जल्द देने के आदेश दिए. प्रोजेक्ट संचालक ने बताया गया कि फोरलेन का काम शुरू कर दिया गया है. तय समय के अंदर यानी 27 सितम्बर 2020 तक ये प्रोजेक्ट पूरा कर लिया जाएगा.
कोर्ट ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया है कि इस प्रोजेक्ट में पेड़ों को काटने के लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेशों का पालन करें और उपरोक्त आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट 24 जून तक कोर्ट में पेश करें.