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जड़ी-बूटियों और वन्य जीवों की तस्करी करने वालों पर कसी जाएगी नकेल, WCCB ने लिया ये फैसला

वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau) की ओर से पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि दिल्ली और मुबंई में बैठे अंतरराष्ट्रीय तस्करों के स्थानीय शिकारियों व तस्करों के साथ किस तरह के संपर्क हैं.

Exclusive: जड़ी-बूटियों और वन्य जीवों की तस्करी करने वालों पर कसी जाएगी नकेल,WCCB ने लिया ये फैसला
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Published : Sep 22, 2019, 9:24 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश से दुर्लभ जड़ी बूटियों और वन्य जीवों को मारकर उनकी तस्करी करने वालों पर नकेल कसने के लिए अब ग्रामीणों और पंचायती राज संस्थाओं की मदद ली जाएगी. इसके लिए एक विशेष योजना तैयार की जा रही है. योजना के तहत वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau) की ओर से पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि दिल्ली और मुबंई में बैठे अंतर्राष्ट्रीय तस्करों के स्थानीय शिकारियों व तस्करों के साथ किस तरह के संपर्क हैं.

इस बारे में आने वाले दिनों में यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल ग्रेट नेशनल हिमालयन पार्क में ब्यूरो की टीम की ओर से पंचायती राजप्रतिनिधियों व अन्य लोगों से बात की जाएगी. इसके अलावा ब्यूरो की ओर से प्रदेश के बाकी लैंडस्कैप में जाकर भी लोगों से बातचीत की जाएगी और उन्हें जागरूक किया जाएगा.

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेंदुए, बर्फानी तेंदुए, भालू और अन्य जंगली जीवों के अंगों की ही तस्करी नहीं हो रही बल्कि हिमालयन क्षेत्र में बहुत सी ऐसी दुर्लभ जड़ी-बूटियां होती है, जिनकी बड़ी पैमाने पर तस्करी होती है. हालांकि ब्यूरो इस पर निगाह रखता है, लेकिन हिमाचल समेत उत्तर भारत में स्थानीय स्तर पर लोगों के अंतराष्ट्रीय स्तर के तस्करों के साथ किस तरह के तार जुड़े है उन्हें भेदना जरूरी है.

ये भी पढ़ें: धर्मशाला उपचुनावः क्या बाहरी उम्मीदवारों पर दोनों दल जताएंगे भरोसा? देखिए किस पार्टी में किसका पलड़ा भारी

केंद्रीय वन मंत्रालय के वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के उत्तरी क्षेत्र के क्षेत्रीय उपनिदेशक एच वी गिरीश ने कहा कि सोशल मीडिया वन्य जीवों की तस्करी को रोकने में कारगार हथियार साबित हो रहा है. तस्कर कि शिकार की तस्वीरें फेसबुक पर डाल देते है या दूसरे लोग तस्वीरें और वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाल देते है. इससे अपराधियों को पकड़ने में बहुत मदद मिलती है.

ये भी पढ़ें: हिंसा का विकल्प और अहिंसा देवी से साक्षात्कार

बिजनौर के एक मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां तस्करों ने एक हाथी को मार कर उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए व उन्हें ले गए. स्थानीय लोगों ने इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाल दी और ये वायरल हो गई.पुलिस ने मामला दर्ज किया,लेकिन सबूतों के अभाव में मामला समाप्त कर दिया.जून के महीने में ब्यूरो ने मामला अपने अधीन लिया और तस्करों को जेल भेज दिया है.

गिरीश ने कहा कि लुप्त होने वाले वन्य जीवों और जड़ी बूटियों का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा बाजार है. तस्करों की इस बाजार से जुड़े तार को बीच में ही काटना है ताकि तसकरी को रोका जा सके और इन जनवरों को भी बचाया जा सके.

ये भी पढ़ें: बॉलीवुड स्टार गोविंदा ने मां चिंतपूर्णी में नवाया शीश, लोगों ने मंदिर परिसर में ली 'चीची' के साथ सेल्फियां

शिमला: हिमाचल प्रदेश से दुर्लभ जड़ी बूटियों और वन्य जीवों को मारकर उनकी तस्करी करने वालों पर नकेल कसने के लिए अब ग्रामीणों और पंचायती राज संस्थाओं की मदद ली जाएगी. इसके लिए एक विशेष योजना तैयार की जा रही है. योजना के तहत वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau) की ओर से पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि दिल्ली और मुबंई में बैठे अंतर्राष्ट्रीय तस्करों के स्थानीय शिकारियों व तस्करों के साथ किस तरह के संपर्क हैं.

इस बारे में आने वाले दिनों में यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल ग्रेट नेशनल हिमालयन पार्क में ब्यूरो की टीम की ओर से पंचायती राजप्रतिनिधियों व अन्य लोगों से बात की जाएगी. इसके अलावा ब्यूरो की ओर से प्रदेश के बाकी लैंडस्कैप में जाकर भी लोगों से बातचीत की जाएगी और उन्हें जागरूक किया जाएगा.

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेंदुए, बर्फानी तेंदुए, भालू और अन्य जंगली जीवों के अंगों की ही तस्करी नहीं हो रही बल्कि हिमालयन क्षेत्र में बहुत सी ऐसी दुर्लभ जड़ी-बूटियां होती है, जिनकी बड़ी पैमाने पर तस्करी होती है. हालांकि ब्यूरो इस पर निगाह रखता है, लेकिन हिमाचल समेत उत्तर भारत में स्थानीय स्तर पर लोगों के अंतराष्ट्रीय स्तर के तस्करों के साथ किस तरह के तार जुड़े है उन्हें भेदना जरूरी है.

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केंद्रीय वन मंत्रालय के वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के उत्तरी क्षेत्र के क्षेत्रीय उपनिदेशक एच वी गिरीश ने कहा कि सोशल मीडिया वन्य जीवों की तस्करी को रोकने में कारगार हथियार साबित हो रहा है. तस्कर कि शिकार की तस्वीरें फेसबुक पर डाल देते है या दूसरे लोग तस्वीरें और वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाल देते है. इससे अपराधियों को पकड़ने में बहुत मदद मिलती है.

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बिजनौर के एक मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां तस्करों ने एक हाथी को मार कर उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए व उन्हें ले गए. स्थानीय लोगों ने इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाल दी और ये वायरल हो गई.पुलिस ने मामला दर्ज किया,लेकिन सबूतों के अभाव में मामला समाप्त कर दिया.जून के महीने में ब्यूरो ने मामला अपने अधीन लिया और तस्करों को जेल भेज दिया है.

गिरीश ने कहा कि लुप्त होने वाले वन्य जीवों और जड़ी बूटियों का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा बाजार है. तस्करों की इस बाजार से जुड़े तार को बीच में ही काटना है ताकि तसकरी को रोका जा सके और इन जनवरों को भी बचाया जा सके.

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Intro:Body:शिमला । प्रदेश से दुर्लभ जड़ी बुटियों और वन्य जीवों को मारकर उनकी तस्करी करने वालों पर नकेल कसने के लिए अब ग्रामीणों और पंचायती राज संस्थाओं की मदद ली जाएगी.इसके लिए एक विशेष योजना तैयार की जा रही है. योजना के तहत वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की ओर से पता लागने की कोशिश की जा रही है कि दिल्ली और मुबंई में बैठे अंतर्राष्ट्रीय तस्करों के स्थानीय शिकारियों व तस्करों के साथ किस तरह के संपर्क हैं,
इस बारे में आने वाले दिनों में यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल ग्रेट नेशनल हिमालयन पार्क में ब्यूरो की टीम की ओर से पंचायती राजप्रतिनिधियों व अन्य लोगों बात की जाएगी । इसके अलावा ब्यूरो की ओर से प्रदेश के बाकी लैंडस्कैप में जाकर भी लोगों से बातचीत की जाएगी और उन्हें जागरूक किया जाएगा । अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेंदुए, बर्फानी तेंदुए, भालू और अन्य जंगली जीवों के अंगों की ही तस्करी नहीं हो रही बल्कि हिमालयन क्षेत्र में बहुत सी ऐसी दुर्लभ जड़ी-बूटियां होती है जिनकी बड़ी पैमाने पर तस्करी होती है। हालांकि ब्यूरो इस पर निगाह रखता है लेकिन हिमाचल समेत उतर भारत में स्थानीय स्तर पर लोगों के अंतराष्ट्रीय स्तर के तस्करों के साथ किस तरह के तार जुड़े है उन्हें भेदना जरूरी है।
सोशल मीडिया वन्य जीव अपराधों को भेदने में कारगर
केंद्रीय वन मंत्रालय के वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के उतरी क्षेत्र के क्षेत्रीय उपनिदेशक एच वी गिरीश ने कहा कि सोशल मीडिया वन्य जीवों की तस्करी को रोकने में कारगार हथियार साबित हो रहा है। तस्कर कि शिकार की तस्वीरें फेसबुक पर डाल देते है। या दूसरे लोग तस्वीरें और वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाल देते है। इससे अपराधियों को पकड़ने में बहुत मदद मिलती है। बिजनौर के एक मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां तस्करों ने एक हाथी को मार कर उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए व उन्हें ले गए। स्थानीय लोगों ने इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाल दी और ये वायरल हो गई। पुलिस न मामला दर्ज किया लेकिन सबूतों के अभाव में मामला समाप्त कर दिया। बाद में जून के महीने में ब्यूरो ने मामला अपने अधीन लिया और तस्करों को जेल भेज दिया है।
गिरीश ने कहा कि लुप्त होने वाले वन्य जीवों और जड़ी बूटियों का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा बाजार है। तस्करों की इस बाजार से जुड़े तार को बीच में ही काटना है ताकि तसकरी को रोका जा सके और इन जनवरों को भी बचाा जा सके।Conclusion:
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