शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को भारी पड़ी है. हाई कोर्ट ने अदालत के आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने के मामले में लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. अदालत की तरफ से जारी कारण बताओ नोटिस में पूछा गया है कि क्यों न मुख्य अभियंता के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही की जाए ? हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने मुख्य अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई 20 अप्रैल को तय की है.
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सोम भारद्वाज की तरफ से दाखिल की गई याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद उक्त आदेश पारित किए हैं. अदालत ने पाया है कि मामले में प्रतिवादी जय दयाल की याचिका खारिज होने के बाद भी लोक निर्माण के मुख्य अभियंता ने उसे यानी प्रतिवादी को दस दिन के भीतर मनपसंद स्टेशन पर एडजस्ट कर दिया. मामले के अनुसार लोक निर्माण विभाग में कार्यरत अधीक्षक ग्रेड-टू और प्रतिवादी जय दयाल ने 15 मार्च 2013 को उसे रामपुर से धर्मपुर उपमंडल स्थानांतरित करने से जुड़े तबादला आदेश को याचिका के माध्यम से प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. उस याचिका को हाईकोर्ट ने 22 मार्च को खारिज कर दिया था.
अदालत ने पाया था कि जय दयाल ने अपने सेवाकाल का अधिकतर समय लोक निर्माण विभाग रामपुर उपमंडल में ही बिताया है. इतना ही नहीं उसने 21 जनवरी 2023 को खुद भी डी ओ नोट लेकर रामपुर उपमंडल से स्थानांतरित न करने की प्रार्थना की थी. जय दयाल खुद डी ओ नोट का लाभार्थी रहा था, लिहाजा इस कारण वह इसी आधार पर याचिका लगाने की पात्रता नहीं रखता था. हाई कोर्ट ने मामले में इसी आधार पर याचिका खारिज की थी और जय दयाल ये केस हार गया.
हाई कोर्ट में केस से जुड़ी याचिका खारिज होने के बावजूद विभाग ने 10 दिनों के भीतर ही जय दयाल के तबादला आदेश धर्मपुर की बजाए निरमंड के लिए कर दिए. यही नहीं, विभाग ने निरमंड में काम कर रहे कर्मचारी सोम भारद्वाज को जय दयाल के स्थान पर धर्मपुर उपमंडल के लिए स्थानांतरित कर दिया. इसके बाद सोम भारद्वाज ने याचिका के माध्यम से उक्त स्थानांतरण आदेश को 3 अप्रैल को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने इन आदेशों पर स्थगन आदेश पारित कर दिए हैं. अब मुख्य अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और मामले पर सुनवाई 20 अप्रैल को तय की गई है.