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ग्राउंड रिपोर्ट: हिमाचल में नर्सिंग स्टाफ की कमी, 50 मरीजों पर काम कर रही है एक नर्स

अस्पतालों में मरीजों की देखभाल के लिए नर्सिंग स्टाफ की आश्यकता पड़ती है. अस्पतालों में मरीजों की देखभाल, उनकी दवाई, निगरानी में नर्स का महत्वपूर्ण योगदान रहता है. वर्तमान में हिमाचल के सभी अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ की कमी चल रही है. इसके कारण मरीजों को भी परेशानी उठानी पड़ती है.

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Published : May 12, 2021, 3:54 PM IST

शिमला: प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है. ऐसे में गंभीर मरीजों को अस्प्ताल में दाखिल करवाने की जरूरत पड़ती है. अस्पतालों में मरीजों की देखभाल के लिए नर्सिंग स्टाफ की आश्यकता पड़ती है. अस्पतालों में मरीजों की देखभाल, उनकी दवाई, निगरानी में नर्स का महत्वपूर्ण योगदान रहता है. वर्तमान में सभी अस्पतालों में नर्स की कमी चल रही है. इसके कारण कई बार मरीजों को भी परेशानी उठानी पड़ती है. इसी मामले को लेकर ईटीवी भारत ने जमीनी स्तर पर जांच पड़ताल की.

नर्सों की कमी से कार्यरत स्टाफ पर काम का ज्यादा भार

हिमाचल प्रदेश नर्स रजिस्ट्रेशन काउंसिल की रजिस्ट्रार ज्योति वालिया ने बताया कि नर्स अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी के साथ वार्डों में कर रही हैं. इस कोरोना संकट के बीच सामान्य वार्डों और आइसोलेशन वार्ड में 24 घंटे ड्यूटी दे रही हैं. हालांकि उनका मानना है कि अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ की कमी चल रही है. अस्प्ताल में नर्स पर काम का बोझ ज्यादा रहता है, बावजूद इसके नर्सिंग स्टाफ किसी मरीज को परेशानी नहीं आने देती हैं. उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में 2450 स्टाफ नर्स हैं. 585 नर्सिंग सिस्टर, 110 मैट्रन, 22 नर्सिंग सुप्रिटेंडेंट, 1478 फीमेल हेल्थ वर्कर, 320 एनएम हैं. आउट सोर्स पर 200 से 250 नर्स हैं.

वीडियो.

कोविड वार्ड में ड्यूटी देने वाली नर्सों से होता है भेदभाव

रजिस्ट्रार का कहना था कि नर्स को कोरोना संकट में परेशानी का सामना करना पड़ा है. पड़ोसियों की ओर से नर्स को हीन भाव से देखा गया कि यह कोरोना वार्ड में ड्यूटी दे कर आई हैं. इसी मामले में आइजीएमसी की नर्सिंग सुप्रिटेंडेंट सुकीर्ति ने बताया कि आईजीएमसी में 393 नर्सें हैं, जिसमें से 60 नर्स कोविड वार्ड में ड्यूटी दे रही हैं. इसके अलावा 30 नर्स पॉजटिव भी आ चुकी हैं. वहीं अन्य नर्सिंग सुप्रिटेंडेंट वीना सेन ने बताया कि आईजीएसमी में 393 नर्स हैं, जिसमें से 60 नर्स रोटेशन के आधार पर कोविड में ड्यूटी दे रही हैं. इसके बाद 7 दिन तक उन्हें क्वारंटीन किया जाता है. ऐसे में कई नर्स पॉजिटिव भी आ जाती हैं. उनके लिए इलाज की व्यवस्था की जाती है. नर्सिंग सुप्रिटेंडेंट ने भी माना कि अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ की कमी चल रही है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में प्रतिदिन हो रहा 75.81 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन: सीएम

शिमला: प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है. ऐसे में गंभीर मरीजों को अस्प्ताल में दाखिल करवाने की जरूरत पड़ती है. अस्पतालों में मरीजों की देखभाल के लिए नर्सिंग स्टाफ की आश्यकता पड़ती है. अस्पतालों में मरीजों की देखभाल, उनकी दवाई, निगरानी में नर्स का महत्वपूर्ण योगदान रहता है. वर्तमान में सभी अस्पतालों में नर्स की कमी चल रही है. इसके कारण कई बार मरीजों को भी परेशानी उठानी पड़ती है. इसी मामले को लेकर ईटीवी भारत ने जमीनी स्तर पर जांच पड़ताल की.

नर्सों की कमी से कार्यरत स्टाफ पर काम का ज्यादा भार

हिमाचल प्रदेश नर्स रजिस्ट्रेशन काउंसिल की रजिस्ट्रार ज्योति वालिया ने बताया कि नर्स अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी के साथ वार्डों में कर रही हैं. इस कोरोना संकट के बीच सामान्य वार्डों और आइसोलेशन वार्ड में 24 घंटे ड्यूटी दे रही हैं. हालांकि उनका मानना है कि अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ की कमी चल रही है. अस्प्ताल में नर्स पर काम का बोझ ज्यादा रहता है, बावजूद इसके नर्सिंग स्टाफ किसी मरीज को परेशानी नहीं आने देती हैं. उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में 2450 स्टाफ नर्स हैं. 585 नर्सिंग सिस्टर, 110 मैट्रन, 22 नर्सिंग सुप्रिटेंडेंट, 1478 फीमेल हेल्थ वर्कर, 320 एनएम हैं. आउट सोर्स पर 200 से 250 नर्स हैं.

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कोविड वार्ड में ड्यूटी देने वाली नर्सों से होता है भेदभाव

रजिस्ट्रार का कहना था कि नर्स को कोरोना संकट में परेशानी का सामना करना पड़ा है. पड़ोसियों की ओर से नर्स को हीन भाव से देखा गया कि यह कोरोना वार्ड में ड्यूटी दे कर आई हैं. इसी मामले में आइजीएमसी की नर्सिंग सुप्रिटेंडेंट सुकीर्ति ने बताया कि आईजीएमसी में 393 नर्सें हैं, जिसमें से 60 नर्स कोविड वार्ड में ड्यूटी दे रही हैं. इसके अलावा 30 नर्स पॉजटिव भी आ चुकी हैं. वहीं अन्य नर्सिंग सुप्रिटेंडेंट वीना सेन ने बताया कि आईजीएसमी में 393 नर्स हैं, जिसमें से 60 नर्स रोटेशन के आधार पर कोविड में ड्यूटी दे रही हैं. इसके बाद 7 दिन तक उन्हें क्वारंटीन किया जाता है. ऐसे में कई नर्स पॉजिटिव भी आ जाती हैं. उनके लिए इलाज की व्यवस्था की जाती है. नर्सिंग सुप्रिटेंडेंट ने भी माना कि अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ की कमी चल रही है.

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