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mahashivratri 2023: शिमला में 500 साल पुराना स्वयंभू शिवलिंग, अंग्रेज भी करते थे पूजा

महाशिवरात्रि का त्योहार शनिवार को मनाया जाएगा. पहाड़ों की राजधानी शिमला में करीब 500 साल पुराने स्वयंभू शिवलिंग की पूजा-अर्चना अंग्रेज भी करते थे. (shivratri special story 2023)

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Published : Feb 17, 2023, 10:41 AM IST

शिमला में 500 साल पुराना स्वयंभू शिवलिंग

शिमला: शनिवार को महाशिवरात्रि का त्योहर धूमधाम से मनाया जाएगा. शिवालयों में जहां अल सुबह से ही महादेव का अभिषेक कर लोग खुशहाली का वरदान मांगेंगे. वहीं, व्रत रखकर पूजा-अर्चना का दौर घरों और मंदिरों में देर रात तक जारी रहेगा. हिमाचल के शिवालयों में भी महाशिवरात्रि पर्व को लेकर तैयारियां चल रही है. राजधानी शिमला में एक ऐसा शिव मंदिर है, जो करीब 500 साल पुराना है. यहां अंग्रेज भी पूजा करते थे.

मंदिर को सजाया जा रहा: राजधानी शिमला के माल रोड के पास मिडल बाजार में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर के पुजारी वासुदेव ने बताया कि मंदिर करीब 500 साल पुराना है. यहां कल यानी 18 फरवरी शनिवार को महाशिवरात्रि का त्योहार को लेकर तैयारियां की जा रही है. सुबह 4 बजे से ही भक्तों के आने का सिलसिला शुरू होगा जो देर रात तक रहेगा. उन्होंने बताया इस शिवालय में अंग्रेज भी शिव भगवान की पूजा-अर्चना ब्रिटिश शासन में करते थे.

स्वयंभू शिवलिंग: उन्होंने बताया कि शिवलिंग स्वयंभू है और यह जमीन से खुद प्रकट हुए थे. मंदिर में प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर 4 पहर विशेष पूजा -अर्चना होती है वासुदेव ने बताया कि मदन गिरी नामक श्रद्धालु ने 1842 में मंदिर का निर्माण कराया था. उससे पहले शिवलिंग खुले में था. उसके बाद समय -समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार होता रहा और अब एक भव्य मंदिर बन गया.मान्यता के अनुसार जो भी श्रद्धालु सच्ची श्रद्धा से मंदिर में पूजा- अर्चना करता है उसकी हर मनोकामा पूरी होती है.

व्रत से मिलती पुण्य की प्राप्ति: पंडित वासुदेव ने बताया कि शिव पुराण की कोटिरुद्र संहिता में बताया गया है कि शिवरात्रि व्रत का पालन करने से भोग और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं. ब्रह्मा, विष्णु और पार्वती के पूछने पर भगवान शिव ने बताया था कि शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति को महान पुण्य की प्राप्ति होती है. मोक्ष प्रदान करने वाले 4 संकल्पों का पालन करना चाहिए.

चारों प्रहर की पूजा का समय: महाशिवरात्रि 2023 में चार प्रहर की पूजा का समय शनिवार को 18 फरवरी फरवरी को शाम को शुरू होगा. पंडितों से मिली जानकारी के मुताबिक पहले प्रहर की पूजा शनिवार 18 फरवरी को 6 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी और रात को 9 बजकर 35 मिनट तक की जा सकेगी. इसी तरह दूसरे प्रहर की पूजा का समय रात को पहले प्रहर की पूजा का समय समाप्त होते ही शुरू होगा और यह रात को 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. तीसरे प्रहर की पूजा रात को ही इसके बाद 3 बजकर 15 मिनट तक की जा सकेगी. उसके बाद अंतिम प्रहर यानी चौथे प्रहर की पूजा-अर्चना रविवार को सुबह 6 बजकर 3 मिनट तक की जा सकेगी.

ये भी पढ़ें Mahashivratri 2023: शनिवार को महाशिवरात्रि के साथ मनाया जाएगा प्रदोष व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त

शिमला में 500 साल पुराना स्वयंभू शिवलिंग

शिमला: शनिवार को महाशिवरात्रि का त्योहर धूमधाम से मनाया जाएगा. शिवालयों में जहां अल सुबह से ही महादेव का अभिषेक कर लोग खुशहाली का वरदान मांगेंगे. वहीं, व्रत रखकर पूजा-अर्चना का दौर घरों और मंदिरों में देर रात तक जारी रहेगा. हिमाचल के शिवालयों में भी महाशिवरात्रि पर्व को लेकर तैयारियां चल रही है. राजधानी शिमला में एक ऐसा शिव मंदिर है, जो करीब 500 साल पुराना है. यहां अंग्रेज भी पूजा करते थे.

मंदिर को सजाया जा रहा: राजधानी शिमला के माल रोड के पास मिडल बाजार में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर के पुजारी वासुदेव ने बताया कि मंदिर करीब 500 साल पुराना है. यहां कल यानी 18 फरवरी शनिवार को महाशिवरात्रि का त्योहार को लेकर तैयारियां की जा रही है. सुबह 4 बजे से ही भक्तों के आने का सिलसिला शुरू होगा जो देर रात तक रहेगा. उन्होंने बताया इस शिवालय में अंग्रेज भी शिव भगवान की पूजा-अर्चना ब्रिटिश शासन में करते थे.

स्वयंभू शिवलिंग: उन्होंने बताया कि शिवलिंग स्वयंभू है और यह जमीन से खुद प्रकट हुए थे. मंदिर में प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर 4 पहर विशेष पूजा -अर्चना होती है वासुदेव ने बताया कि मदन गिरी नामक श्रद्धालु ने 1842 में मंदिर का निर्माण कराया था. उससे पहले शिवलिंग खुले में था. उसके बाद समय -समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार होता रहा और अब एक भव्य मंदिर बन गया.मान्यता के अनुसार जो भी श्रद्धालु सच्ची श्रद्धा से मंदिर में पूजा- अर्चना करता है उसकी हर मनोकामा पूरी होती है.

व्रत से मिलती पुण्य की प्राप्ति: पंडित वासुदेव ने बताया कि शिव पुराण की कोटिरुद्र संहिता में बताया गया है कि शिवरात्रि व्रत का पालन करने से भोग और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं. ब्रह्मा, विष्णु और पार्वती के पूछने पर भगवान शिव ने बताया था कि शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति को महान पुण्य की प्राप्ति होती है. मोक्ष प्रदान करने वाले 4 संकल्पों का पालन करना चाहिए.

चारों प्रहर की पूजा का समय: महाशिवरात्रि 2023 में चार प्रहर की पूजा का समय शनिवार को 18 फरवरी फरवरी को शाम को शुरू होगा. पंडितों से मिली जानकारी के मुताबिक पहले प्रहर की पूजा शनिवार 18 फरवरी को 6 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी और रात को 9 बजकर 35 मिनट तक की जा सकेगी. इसी तरह दूसरे प्रहर की पूजा का समय रात को पहले प्रहर की पूजा का समय समाप्त होते ही शुरू होगा और यह रात को 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. तीसरे प्रहर की पूजा रात को ही इसके बाद 3 बजकर 15 मिनट तक की जा सकेगी. उसके बाद अंतिम प्रहर यानी चौथे प्रहर की पूजा-अर्चना रविवार को सुबह 6 बजकर 3 मिनट तक की जा सकेगी.

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