शिमला: हिमाचल प्रदेश पुलिस ने फलों की ढुलाई करने वाले जीपीएस से लैस वाहनों को कारगर माना है. दरअसल, हिमाचल पुलिस का कहना है कि शिमला जिले में सेब की ढुलाई करने वाले वाहनों में जीपीएस लगाए जाने के बाद परिवहन के दौरान सेब की चोरी के मामलों में 95 प्रतिशत की गिरावट आई है. शिमला एसपी संजीव गांधी ने कहा कि इससे पहले, जिले में जुलाई और अक्टूबर के बीच सेब सीजन के दौरान औसतन ऐसी चोरी के 20-25 मामले दर्ज किए जाते थे. वहीं, पिछले साल केवल एक मामला दर्ज किया गया था और यह मामलों में 95 प्रतिशत की गिरावट है.
संजीव गांधी ने कहा कि ट्रकों और पिकअप वैन जैसे सेब परिवहन करने वाले वाहनों में जीपीएस लगाने के बाद चोरी को रोकने में प्रभावी रहा है. यह परिणाम पिछले साल सेब के अंतरराज्यीय परिवहन के लिए केवल जीपीएस-युक्त वाहनों को रजिस्टर्ड करने के बाद हासिल किया गया था, जिसमें पुलिस के पास जीपीएस उपकरणों तक पहुंच थी. गांधी ने कहा कि पिछले साल दर्ज चोरी के उस एक मामले में भी, सेब के माल का पता लगाया गया था. क्योंकि वाहन में जीपीएस और पुलिस की पहुंच थी.
गांधी ने कहा कि जीपीएस की स्थापना पिछले साल शिमला पुलिस द्वारा "एप्पल ऑन व्हील्स" पहल के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य सेब के मौसम के दौरान सड़क दुर्घटनाओं को कम करना और फलों का सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करना था. उन्होंने कहा कि जिले में सेब परिवहन के लिए 6,675 पिकअप, 6,618 ट्रक और 1,972 ट्रॉली सहित 15,265 जीपीएस-रजिस्टर्ड वाहन हैं. हिमाचल प्रदेश में सेब उद्योग का मूल्य 5,000 करोड़ रुपये से अधिक है, और पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में, लगभग 100 सेब से भरे ट्रक अपने गंतव्य के रास्ते में चोरी हो गए.
चोरी पर अंकुश लगाने के अलावा, शिमला जिले में पुलिस ने अपनी "एप्पल ऑन व्हील्स" पहल के तहत सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सजा पर नहीं बल्कि जागरूकता पर ध्यान केंद्रित किया और ड्राइवरों को मौके पर ही यातायात संबंधी सबक भी दिए. शिमला जिले में 2022 सीजन की तुलना में 2023 सेब सीज़न के दौरान जारी चालान की संख्या में 45 प्रतिशत की गिरावट आई है. पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, सड़क दुर्घटनाओं में भी 15 फीसदी की गिरावट आई है. 2023 में सेब सीजन के दौरान 83 दुर्घटनाओं में 33 लोग मारे गए और 132 घायल हुए, जबकि 2022 में 148 दुर्घटनाओं में 70 मौतें और 259 घायल हुए. पुलिस ने कहा कि दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की पहचान करने, ब्लैक स्पॉट पर साइनेज लगाने और नशे में गाड़ी चलाने पर नकेल कसने जैसे सुरक्षा उपाय भी किए गए.
(पीटीआई)
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