शिमला: हिमाचल में चुनावी मौसम के बीच सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी पार्टी का प्रचार-प्रसार करने में जुटे हैं. रैलियों के माध्यम से जनता को लुभाया जा रहा है. वहीं, प्रदेश भर में पार्टियों और प्रत्याशियों के बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हैं. बात अगर शिमला शहर की करें तो यहां भी शहर भर में जगह-जगह उम्मीदवारों ने अपने होर्डिंग्स लगाए हैं. (HP Election 2022) (Shimla Peoples reaction on political hoarding)
जनता को पंसद नहीं आ रहे होर्डिंग: शहर में जगह-जगह लगे पार्टी उम्मीदवारों के होर्डिंग जनता को लुभाने के लिए लगाए गए हैं. लेकिन जनता को ही ये पसंद नहीं आ रहे. शहरवासियों का कहना है कि चुनावों के चलते विभिन्न पार्टियों ने बड़े-बड़े होर्डिंग तो लगा दिए लेकिन इनमें प्रत्याशियों और पार्टी नेताओं के चेहरे के सिवा और कुछ भी नहीं है. ऐसा लगता है कि मानो किसी पिक्चर के पोस्टर लगे हों. (Hoarding of BJP in Shimla) (Hoarding of Congress in Shimla)
पोस्टर नहीं जनता को चाहिए काम: शिमला शहर की जनता का कहना है कि पोस्टरों में कहीं भी पार्टी ने विकास कार्यों को दर्शाया नहीं है. पार्टियों को चाहिए था कि पोस्टर के जरिए वो अपनी योजनाओं को प्रदर्शित करतीं, लेकिन ऐसा नहीं है. पोस्टर लगाकर न तो विकास होगा और न ही जनता वोट देगी. ऐसे में इन पोस्टरों को लगाने का कोई मतलब ही नहीं रह जाता जब जनता ही इन्हें पसंद न करे. लोगों का कहना है कि पोस्टरों पर जिस तरह से खर्च किया जा रहा है वो सही नहीं है. बेहतर होता कि इस पैसे को किसी विकास कार्य पर खर्च किया जाता.
शिमला में लिफ्ट की पार्किंग में भाजपा और कांग्रेस के बड़े होडिंग लगे हैं. भाजपा के पोस्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोटो है. वहीं, कांग्रेस ने जो पोस्टर लगाया है उसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के फोटो लगे हैं. इसमें अलग से एक फोटो पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह का भी लगा है. हालांकि शिमला के लोग इन पोस्टर, बैनरों को लेकर सवाल कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि पोस्टर लगाने का कोई मतलब नहीं है, जनता परफॉर्मेंस चाहती है.
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