शिमला: जिले के माल रोड पर स्थित बालजीज रेस्तरां अब इतिहास बन कर लोगों को याद रहेगा. आज यानि 10 जुलाई को इस रेस्तरां का अंतिम वर्किंग डे है. आज इसे बंद कर दिया जाएगा और यहां की फेमस मिठाई लोगों को खाने को नहीं मिल पाएगी.
बता दें कि इस रेस्तरां के बंद होने के पहले आज लोग यहां की मिठाई का स्वाद चखने के लिए पहुंचे. रेस्तरां के मिठाई काउंटर पर आकर लोगों ने यहां के फेमस गुलाबजामुन का स्वाद चखने के साथ ही अपनी पसंदीदा मिठाइयां भी खाई ओर पैक करवाई. कई लोग जो पहले से ही इस रेस्टोरेंट में आते रहे हैं, वे आज अंतिम बार भी इस रेस्तरां में बैठे ताकि इस रेस्तरां के बंद होने से पहले वो इसकी अंतिम याद को संजो कर रख सकें.
64 साल के सफर के बाद इस रेस्तरां को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर बंद किया जा रहा है. अब न तो माल रोड पर ये रेस्तरां रहेगा और न ही इसके वो खास गुलाबजामुन, जिनके स्वाद के पीएम मोदी समेत प्रदेश के सभी मुख्यमंत्री और राजनेता और कई अभिनेता भी हैं.
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रेस्तरां को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 15 जुलाई को इस पॉपर्टी के मालिकों को इसे खाली सौंपना है, जिसकी वजह से इसे बंद किया जा रहा है.
कब हुई थी बालजीज रेस्तरां की शुरूआत
वर्ष 1954 को माल रोड पर इस रेस्तरां को चंद्र बालजीज ने शुरू किया था, जो वर्तमान समय में देश-दुनिया में नाम कमा चुका है. इस रेस्तरां ने एक नहीं अनेक स्वाद लोगों को चखाए जिनका जायका अब चखने को तो नहीं मिलेगा, लेकिन याद जरूर आएगा.
शिमला में इसी रेस्तरां में चॉकलेट की खालिस टॉफी को पहली बार लांच किया गया था, जो आज भी डिमांड में है. इसके साथ ही बालजीज ने ही बेकरी शिमला में शुरू कर यहां के लोगों को ब्रेड का स्वाद भी चखाया था. बालजीज की ब्रेड का स्वाद लोगों को इतना पसंद आया था कि आज भी लोग इसे खरीद रहे हैं.
इस रेस्तरां को चला रही रेणु बालजीज का कहना है कि इस रेस्तरां की शुरुआत उनके ससुर ने की थी. जिसके बाद उनके पति इस होटल को संभाल रहे था.1996 में उनके पति की मृत्यु के बाद उन्होंने खुद इस रेस्तरां को चलाया. उन्होंने कहा कि इस प्रोपर्टी को लेकर एक बार उन्होंने केस जीत भी लिया था, लेकिन प्रॉपर्टी के मालिक ने फिर से केस शुरू किया. जिसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने इसे बंद करने के आदेश दे दिए. उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत सबसे पहले इंडियन खाने से थाली सिस्टम से की गई थी और उसके बाद लोगों की डिमांड पर अलग-अलग तरह के खाने यहां बनने लगे.
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वहीं, इस रेस्तरां में 30-40 साल से काम करने वाले वेटरों को कहना है कि उन्होंने इस रेस्तरां से ही अपने काम की शुरुआत की और यहां से ही अपनी शादी के बाद अपने बच्चों को पढ़ाने के बाद उनकी भी शादियां की. अब जब उनकी सेवाएं समाप्त होने की कगार पर थी तो ये रेस्तरां बंद होने जा रहा है, जिससे उन्हें ये लग रहा है कि वो अपने परिवार को छोड़ कर जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यहां काम करते हुए उन्हें एक अलग पहचान मिली.
कर्मचारी ने बताया कि कई मुख्यमंत्री, राजनेताओं, अभिनेताओं समेत बड़े अधिकारियों व हिमाचल भाजपा के प्रबंधक रहे पीएम मोदी भी यहां के गुलाबजामुन के दिवाने हैं. उन्होंने बताया कि इस रेस्तरां के बंद होने से पहले यहां आने वाले स्थानीय लोग भी इसके बंद होने से पहले यहां आखिरी बार बैठने आए और यहां अपनी पंसदीदा डिश खाई. कोई गुलाबजामुन तो कोई चाय तो कोई वड़ा सांभर खाने के लिए बालजीज पहुंचे.
स्थानीय लोगों का कहना है कि उनका पसंदीदा रेस्तरां बालजीज फेसिनेशन था जो अब बंद होने जा रहा है. वो यहां 30 सालों से अधिक समय से आ रहे हैं और यहां के स्टॉफ के साथ भी उनकी अच्छी पहचान है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इस रेस्तरां को लेकर केस चला था. संपत्ति मालिक ज्यादा किराए की मांग कर रहे थे, जो 25 लाख के करीब है जबकि वतर्मान में किराया 1 लाख 75 हजार के करीब है. ऐसे में इतना कियारा न देने पर अब इसे बंद किया जा रहा है.
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