शिमला: हिमाचल प्रदेश में बारिश, लैंडस्लाइड और बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है. इसी तरह राजधानी शिमला में भी मानसून ने जमकर कहर बरपाया है. शिमला में खासकर लैंडस्लाइड की घटनाएं सबसे ज्यादा सामने आई हैं. जिससे शहर में भारी क्षति हुई है. वहीं, पेड़ गिरने के कारण भी राजधानी में तबाही के मामले सामने आए हैं. जिसके बाद नगर निगम शिमला द्वारा शहर में असुरक्षित और बहुत पुराने हो चुके पेड़ों के कटान का अभियान चलाया गया. जिसके अंतर्गत शिमला शहर में बहुत से पेड़ों को काटा जा रहा है. वहीं, अब इसे लेकर नगर निगम शिमला पर सवाल उठने भी शुरू हो गए हैं.
टिकेंद्र पंवर के आरोप: शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर नगर निगम द्वारा पेड़ काटे जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं. टिकेंद्र पंवर ने आरोप लगाए हैं कि शिमला में असुरक्षित पेड़ों के साथ-साथ कई पेड़ों को गैर-जरूरी रूप से भी काटा जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसी सूचनाएं मिलीं हैं की बहुत से इलाकों में उन पेड़ों का भी कटान किया जा रहा है, जो की पूरी तरह सुरक्षित हैं और जिनसे किसी तरह का कोई खतरा नहीं है.
पेड़ों के कटान पर उठाए सवाल: पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने कहा कि शिमला शहर के पेड़ों का यहां के वातावरण पर खास प्रभाव है. यहां बड़ी संख्या पेड़ हैं जो कि शिमला में वातावरण को ठंडा बनाए रखने में मददगार सिद्ध होते हैं. उन्होंने कहा कि राजधानी में भारी बरसात के बाद हुई तबाही के चलते नगर निगम शिमला शहर में असुरक्षित पेड़ों का कटान करवा रही है. इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. जो कि शहर में असुरक्षित पेड़ों का चुनाव करती है और उन्हें काटने के लिए अभियान चलाया जा रहा है.
सुरक्षित पेड़ों के कटान का आरोप: पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने कहा कि प्रदेश में आपदा घोषित होने के बाद शिमला में भी सभी काम जिला प्रशासन के तहत किए जा रहे हैं. ऐसे में ये देखने को आया है कि शहर के कई हिस्सों में उन पेड़ों की भी कटाई की जा रही है, जिनके कटान की बिल्कुल कोई जरूरत नहीं है. टिकेंद्र ने जिला प्रशासन और नगर निगम से मांग करते हुए कहा कि शिमला शहर में पूरी जागरूकता के साथ पेड़ों का कटान होना चाहिए और सिर्फ असुरक्षित पेड़ों का ही कटान होना चाहिए.
1 पेड़ के बदले 5 पेड़ लगाएं: वहीं, टिकेंद्र पंवर ने पेड़ों के कटान के बदले नए पेड़-पौधे लगाने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि अगर शहर में एक पेड़ काटा जाता है तो इसके बदले कम से कम 5 पेड़ लगाए जाने चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि नगर निगम को यह तय करना चाहिए की जिन इलाकों में पेड़ का कटान हुआ है, उन इलाकों में किसी भी तरह का कोई निर्माण न किया जाए, बल्कि वहां फिर से पौधारोपण शुरू किया जाए. टिकेंद्र ने कहा कि शिमला शहर को बेतहाशा कंस्ट्रक्शन से बचाया जाना चाहिए.