शिमला: हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार शहरी क्षेत्रों में पानी के साथ-साथ बेहतर सीवेरज सिस्टम उपलब्ध करवाने के लिए कदम उठा रही है. इसी कड़ी में सरकार ने प्रदेश के पांच शहरों में सीवरेज सिस्टम में विस्तार के साथ इनमें सुधार करने का फैसला लिया है. यही नहीं इन शहरों में पुरानी पानी की लाइनों को भी बदला जाएगा. इसके लिए प्रदेश सरकार ने फ्रेंच डवेलेपमेंट एजेंसी, फ्रैकेइस डे डेवलपमेंट (एएफडी) के साथ 817.12 करोड़ के एक प्रोजेक्ट लिए करार किया है. इसके माध्यम से इन शहरों की पानी व सीवरेज सिस्टम को दुरूस्त किया जाएगा.
प्रदेश सरकार ने राज्य के पांच शहरों में सीवरेज सिस्टम सुधारने के लिए बड़ी पहल की है. मनाली, बिलासपुर, पालमपुर, नाहन और करसोग में सीवरेज सिस्टम में सुधार लाया जाएगा. इसके साथ ही मनाली और पालमपुर में पानी की सप्लाई को भी सुधारा जाएगा. यहां पानी की पुरानी लाइनों को बदला जाएगा और पानी स्टोरेज के नए टैंक बनाए जाएंगे. जिन घरों में पानी नहीं है, उनको पानी के कनेक्शन की सुविधा भी दी जाएगी. इसके लिए सरकार ने हाल ही में फ्रेंच डवेलेपमेंट एजेंसी, फ्रैकेइस डे डेवलपमेंट (एएफडी) के साथ 817.12 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को लेकर एमओयू साइन किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत एएफडी द्वारा 612 करोड़ रुपये जबकि प्रदेश सरकार द्वारा 204.85 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाए जाएंगे.
प्रोजेक्ट के पहले चरण में कुल 485.85 करोड़ रुपये से एएफडी द्वारा 340 करोड़ रुपये की फंडिंग की जाएगी. वहीं प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में इसकी कुल लागत 371 करोड़ रुपये में से एएफडी 272 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाए जाएंगे. इस प्रोजेक्ट को आगामी तीन वर्षों में कार्यान्वित किया जाएगा और इसका दूसरा चरण पहले चरण के 18 महीने के बाद शुरू हो जाएगा.
राज्य सरकार इन पांच शहरों में लोगों को सीवरेज के घरेलू सुविधा कनेक्शन देगी. इसके साथ ही यहां पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किए जाएंगे. इन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले वेस्ट का इस्तेमाल स्थानीय लोग कृषि और औद्योगिक इकाइयों में भी कर सकेंगे. इस तरह एक ओर जहां इससे शहरों में बेहतर सीवरेज सिस्टम तैयार किया जाएगा, वहीं इससे निकलने वाले वेस्ट का इस्तेमाल भी किया जा सकेगा.
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य जल स्रोतों में सुधार करना, जल जनित रोगों को कम करना, स्थानीय नियमों व अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार गुणवत्तापूर्ण स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध करवाना है. इसके माध्यम से शुद्ध पीने के पानी एवं स्वच्छता को सुनिश्चित किया जाएगा.
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