शिमला: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तैयार ड्राफ्ट में स्कूलों में समेस्टर सिस्टम लाने की बात की गई है. ड्राफ्ट में नौंवी से 12वी कक्षा तक के आठ समेस्टर शामिल किए गए हैं. प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए स्कूलों में समेस्टर सिस्टम लागू करने पर सवाल उठ रहे हैं.
प्रदेश उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो.सुनील गुप्ता ने प्रदेश के स्कूलों में सेमेस्टर प्रणाली को लागू करने को लेकर कहा कि हिमाचल के परिदृश्य में स्कूलों में समेस्टर सिस्टम लागू हो नहीं सकता है. प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां अलग है और यहां अभी स्कूलों में वार्षिक सिस्टम के तहत ही परीक्षाएं करवाई जाती हैं जो यहां के मौसम को देखते हुए किया गया है.
स्कूलों में सेमेस्टर सिस्टम लागू करने की योजना पर उठे सवाल, इस कारण हो सकती है स्टूडेंट्स को परेशानी - hp school
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में स्कूलों में समेस्टर सिस्टम लाने की बात, प्रदेश में उठे सवाल कहा स्टूडेंट्स को सकती है परेशानी
शिमला: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तैयार ड्राफ्ट में स्कूलों में समेस्टर सिस्टम लाने की बात की गई है. ड्राफ्ट में नौंवी से 12वी कक्षा तक के आठ समेस्टर शामिल किए गए हैं. प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए स्कूलों में समेस्टर सिस्टम लागू करने पर सवाल उठ रहे हैं.
प्रदेश उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो.सुनील गुप्ता ने प्रदेश के स्कूलों में सेमेस्टर प्रणाली को लागू करने को लेकर कहा कि हिमाचल के परिदृश्य में स्कूलों में समेस्टर सिस्टम लागू हो नहीं सकता है. प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां अलग है और यहां अभी स्कूलों में वार्षिक सिस्टम के तहत ही परीक्षाएं करवाई जाती हैं जो यहां के मौसम को देखते हुए किया गया है.
Body:प्रदेश उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो.सुनील गुप्ता ने प्रदेश के स्कूलों में समेस्टर प्रणाली को लागू करने को लेकर कहा कि हिमाचल के परिदृश्य में स्कूलों में समेस्टर सिस्टम लागू हो नहीं सकता है। प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां अलग है। यहां अभी स्कूलों में वार्षिक सिस्टम के तहत ही परीक्षाएं करवाई जाती है जो यहां के मौसम को देखते हुए किया गया है। अब अगर समेस्टर सिस्टम लागू होता है तो इसके तहत दो बार परीक्षाएं छात्रों की स्कूलों में करवानी होंगी जिससे पहले तो खराब ओर सर्द मौसम में इन परीक्षाओं को करवाने में दिक्कतें आएंगी ओर इसके साथ ही छात्रों का समेस्टर परीक्षाओं का परिणाम भी समय और घोषित नहीं हो पायेगा। परिणाम समय पर घोषित ना होने से छात्रों को अगली कक्षाओं में प्रवेश नहीं मिल पाएगा।
Conclusion:प्रो.सुनील गुप्ता ने कहा कि अगर प्रदेश के स्कूलों में समेस्टर प्रणाली को लागू किया जाता है तो इसका परिणाम भी प्रदेश के कॉलेजों में वर्ष 2013 में लागू की गई समेस्टर प्रणाली की तरह होगा जिसे बिना तैयारियों के कॉलेजों में लागू कर दिया गया था। इस समेस्टर प्रणाली का खामियाजा आज भी छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में ही स्कूलों के छात्रों को भी समेस्टर प्रणाली लागू होने से परेशानियों का सामना करना पड़ेगा ऐसे में प्रदेश में स्कूलों में समेस्टर प्रणाली को लागू नहीं किया जाना चाहिए। बता दे की नई शिक्षा नीति को लेकर जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है उसमें स्कूली शिक्षा को भी कॉलेज और विश्वविद्यालय के स्तर पर ही समेस्टर के तहत लाने का प्लान तैयार किया गया है। ड्राफ्ट में स्कूल में कक्षा नौंवी से लेकर 12वी तक के छात्रों को समेस्टर सिस्टम के तहत पढ़ाई करवाने को कहा गया है। इस ड्राफ्ट में नौंवी से 12वी कक्षा तक के आठ समेस्टर शामिल किए गए है।