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Scrub Typhus: IGMC शिमला में स्क्रब टायफस के 13 मामले, डॉक्टरों ने किया अलर्ट, जानें लक्षण और बचाव - शिमला में स्क्रब टायफस के मामले

आईजीएमसी शिमला में स्क्रब टायफस के 13 मामले सामने आए हैं. सभी मरीजों को ईलाज किया जा रहा है. बरसात के सीजन में हरि घास, खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों में यह कीट पनपता है. स्क्रब टायफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है. (Scrub Typhus in Himachal) (Scrub typhus cases in IGMC Shimla)

Scrub Typhus
स्क्रब टायफस
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Published : Jul 16, 2023, 8:01 PM IST

Updated : Jul 16, 2023, 9:32 PM IST

IGMC शिमला में स्क्रब टायफस के 13 मामले

शिमला: हिमाचल में बरसात शुरू होते ही स्क्रब टायफस के मामले सामने आने लगे हैं. अस्पतालों में इसके मामले मरीजों की संख्या बढ़ने लगे हैं. स्क्रब टायफस के बढ़ते मामले को लेकर आईजीएमसी शिमला अस्पताल प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है. आईजीएमसी शिमला में स्क्रब टायफस के 13 मामले सामने आए हैं, जिनका ईलाज किया जा रहा है. IGMC मेडिसन विभाग के एचओडी डॉक्टर प्रोफेसर बलवीर वर्मा ने बताया स्क्रब टायफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है, जो खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टायफस बुखार बन जाता है.

छोटे कीड़ों के काटने से फैलता है: स्क्रब टायफस एक जीवाणु संक्रमण से होने वाली बीमारी है. स्क्रब टायफस विशिष्ट बैक्टीरिया रिकेट्सिया नामक समूह से संबंधित है. यह रोग पिस्सू, घुन, जूं जैसे छोटे कीड़ों के काटने से फैलता है. स्क्रब टायफस के मामले में संक्रमण छोटे लार्वा माइट्स के माध्यम से फैलता है. डॉक्टर बलवीर वर्मा ने बताया लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाड़ियों से दूर रहे. घास के बीच न जाए, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है.

किसानों-बागवानों को ज्यादा खतरा: उन्होंने कहा आगामी दिनों में खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टायफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है.स्क्रब टायफस होने से शुरू में कोई दर्द नहीं होता है. घास में जाने पर यदि कीट काट ले तो कुछ समय बाद वहां काले निशान पड़ने शुरू हो जाते हैं. ऐसे में लोगों को तुरंत अस्पताल जाकर जांच करवानी चाहिए.

स्क्रब टायफस के लक्षण: स्क्रब टायफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104°F से 105°F तक जा सकता है. जोड़ों में दर्द. कंपकपी ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐंठन और अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना, अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजूस कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना आदि इसके लक्षण है.

Scrub Typhus
स्क्रब टायफस के लक्षण

स्क्रब टायफस से बचाव: स्क्रब टायफस से बचने के लिए सफाई का विशेष ध्यान रखे. घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें. कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टायफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि कई बार मरीजों की मौत हो जाती है.

Scrub Typhus
स्क्रब टायफस से बचाव

स्क्रब टाइफस का इलाज: स्क्रब टाइफस का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं, विशेष रूप से डॉक्सीसाइक्लिन से होता है. यह किसी भी उम्र के रोगियों को दिया जा सकता है. जब तक कि अन्य चिकित्सीय स्थितियां इसके उपयोग को प्रतिबंधित न करें. हालांकि, इसमें शामिल प्रक्रियाओं के कारण निदान की पुष्टि में समय लग सकता है. जितनी जल्दी एंटीबायोटिक्स ली जाएंगी, दवा उतनी ही अधिक प्रभावी होगी और रिकवरी भी उतनी ही तेजी से होगी.

स्क्रब टायफस से मौत: स्क्रब टायफस से 2022 में 20 के लगभग मौत हुई है. जबकि 2000 टेस्ट करवाए गए थे, जिसमें 500 लोग पॉजिटिव पाए गए थे. 2020 और 21 में कोरोना संक्रमण के दौरान इसके टेस्ट नहीं हो पाए. जबकि 2019 में 12 लोगों की मौत हो हुई थी. उस समय भी 600 के करीब लोग स्क्रब टायफस पॉजीटिव पाए गए थे. डॉ. बलबीर वर्मा ने बताया कि बरसात के समय अन्य वायरल भी सक्रिय हो जाते हैं. इसलिए अस्पताल में आने वाले मरीजों के सभी टेस्ट किए जाते हैं और लगभग 2 से ढाई हजार मरीजों का हर साल स्क्रब टायफस के टेस्ट लिए जाते हैं.
ये भी पढ़ें: हिमाचल में स्क्रब टायफस से मरीज की मौत, अब तक 56 पॉजिटिव मामले

IGMC शिमला में स्क्रब टायफस के 13 मामले

शिमला: हिमाचल में बरसात शुरू होते ही स्क्रब टायफस के मामले सामने आने लगे हैं. अस्पतालों में इसके मामले मरीजों की संख्या बढ़ने लगे हैं. स्क्रब टायफस के बढ़ते मामले को लेकर आईजीएमसी शिमला अस्पताल प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है. आईजीएमसी शिमला में स्क्रब टायफस के 13 मामले सामने आए हैं, जिनका ईलाज किया जा रहा है. IGMC मेडिसन विभाग के एचओडी डॉक्टर प्रोफेसर बलवीर वर्मा ने बताया स्क्रब टायफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है, जो खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टायफस बुखार बन जाता है.

छोटे कीड़ों के काटने से फैलता है: स्क्रब टायफस एक जीवाणु संक्रमण से होने वाली बीमारी है. स्क्रब टायफस विशिष्ट बैक्टीरिया रिकेट्सिया नामक समूह से संबंधित है. यह रोग पिस्सू, घुन, जूं जैसे छोटे कीड़ों के काटने से फैलता है. स्क्रब टायफस के मामले में संक्रमण छोटे लार्वा माइट्स के माध्यम से फैलता है. डॉक्टर बलवीर वर्मा ने बताया लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाड़ियों से दूर रहे. घास के बीच न जाए, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है.

किसानों-बागवानों को ज्यादा खतरा: उन्होंने कहा आगामी दिनों में खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टायफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है.स्क्रब टायफस होने से शुरू में कोई दर्द नहीं होता है. घास में जाने पर यदि कीट काट ले तो कुछ समय बाद वहां काले निशान पड़ने शुरू हो जाते हैं. ऐसे में लोगों को तुरंत अस्पताल जाकर जांच करवानी चाहिए.

स्क्रब टायफस के लक्षण: स्क्रब टायफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104°F से 105°F तक जा सकता है. जोड़ों में दर्द. कंपकपी ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐंठन और अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना, अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजूस कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना आदि इसके लक्षण है.

Scrub Typhus
स्क्रब टायफस के लक्षण

स्क्रब टायफस से बचाव: स्क्रब टायफस से बचने के लिए सफाई का विशेष ध्यान रखे. घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें. कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टायफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि कई बार मरीजों की मौत हो जाती है.

Scrub Typhus
स्क्रब टायफस से बचाव

स्क्रब टाइफस का इलाज: स्क्रब टाइफस का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं, विशेष रूप से डॉक्सीसाइक्लिन से होता है. यह किसी भी उम्र के रोगियों को दिया जा सकता है. जब तक कि अन्य चिकित्सीय स्थितियां इसके उपयोग को प्रतिबंधित न करें. हालांकि, इसमें शामिल प्रक्रियाओं के कारण निदान की पुष्टि में समय लग सकता है. जितनी जल्दी एंटीबायोटिक्स ली जाएंगी, दवा उतनी ही अधिक प्रभावी होगी और रिकवरी भी उतनी ही तेजी से होगी.

स्क्रब टायफस से मौत: स्क्रब टायफस से 2022 में 20 के लगभग मौत हुई है. जबकि 2000 टेस्ट करवाए गए थे, जिसमें 500 लोग पॉजिटिव पाए गए थे. 2020 और 21 में कोरोना संक्रमण के दौरान इसके टेस्ट नहीं हो पाए. जबकि 2019 में 12 लोगों की मौत हो हुई थी. उस समय भी 600 के करीब लोग स्क्रब टायफस पॉजीटिव पाए गए थे. डॉ. बलबीर वर्मा ने बताया कि बरसात के समय अन्य वायरल भी सक्रिय हो जाते हैं. इसलिए अस्पताल में आने वाले मरीजों के सभी टेस्ट किए जाते हैं और लगभग 2 से ढाई हजार मरीजों का हर साल स्क्रब टायफस के टेस्ट लिए जाते हैं.
ये भी पढ़ें: हिमाचल में स्क्रब टायफस से मरीज की मौत, अब तक 56 पॉजिटिव मामले

Last Updated : Jul 16, 2023, 9:32 PM IST
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