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सोमवार से 10वीं व 12वीं के छात्रों के लिए खोले जा रहे हैं स्कूल, इन नियमों का करना होगा पालन

हिमाचल प्रदेश में सोमवार से बोर्ड की कक्षाओं के लिए स्कूल खोले जा रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए और केंद्र सरकार की ओर से जारी एसओपी का पालन करते हुए छात्रों की नियमित कक्षाएं स्कूलों में लगाई जाएंगी.

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Published : Oct 18, 2020, 9:55 PM IST

बोर्ड के छात्रों के लिए खोले जा रहे हैं स्कूल.
बोर्ड के छात्रों के लिए खोले जा रहे हैं स्कूल.

शिमला: प्रदेश के स्कूलों सोमवार से बोर्ड की कक्षाओं के लिए स्कूल खोल दिए जाएंगे. यानी दसवीं और बारहवीं के छात्रों की नियमित कक्षाएं स्कूलों में लगेंगी. इस संबंध में सरकार की ओर से आदेश सभी स्कूल प्रधानाचार्य को जारी कर दिए गए हैं.

वहीं सरकार ने यह भी तय किया है कि छात्र अपनी अभिभावकों की अनुमति से ही स्कूल में नियमित कक्षाएं लगाने के लिए आ सकेंगे. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए और केंद्र सरकार की ओर से जारी एसओपी का पालन करते हुए छात्रों की नियमित कक्षाएं स्कूलों में लगाई जाएंगी. सरकार की ओर से बोर्ड की कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने का फैसला अभिभावकों के रुझान को देखते हुए लिया गया है.

अभिभावकों ने बोर्ड कक्षाओं को नियमित रूप से लगाने को लेकर सहमति जताई थी. इसी को देखते हुए सरकार ने अब यह फैसला लिया था कि 19 अक्टूबर से दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्र नियमित रूप से स्कूलों में अपनी कक्षाएं लगाने के लिए आ सकेंगे. हालांकि यह फैसला सरकार ने अभी भी अभिभावकों पर छोड़ा है अगर अभिभावकों की सहमति नहीं है और वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं तो बच्चे ऑनलाइन माध्यम से ही घर बैठे भी अपनी पढ़ाई को जारी रख सकते है.

ऑनलाइन कक्षाओं को भी सरकार लगातार छात्रों के लिए जारी रखेगी.सरकार ने छात्रों के लिए स्कूल तो खोल दिए हैं लेकिन अगर कोई छात्र कोरोना पॉजिटिव होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की ओर से अभिभावकों पर छोड़ दी गई है. सरकार की ओर से अभिभावकों की सहमति के लिए जो पत्र जारी किया गया है उसमें यह स्पष्ट लिखा गया है कि स्कूल में यदि किसी बच्चे को कोरोना होता है तो उसके लिए अभिभावक और स्कूल जिम्मेदार होगा.

अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल आने की अनुमति देते हैं और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करते हैं तो इसके बाद छात्र के कोरोना पॉजिटिव आने पर सरकार की उसमें कोई जिम्मेदारी नहीं होगी और ना ही माता पिता स्कूल को जिम्मेदार नहीं ठहरा पाएंगे. ऐसे में अब अभिभावकों को ही सोच विचार कर अपने बच्चों को स्कूल भेजने का फैसला लेना होगा. अभी मात्र बोर्ड कक्षाओं के छात्रों के लिए ही नियमित रूप से कक्षाएं लगाने का फैसला सरकार ने लिया है जबकि पहली से नौंवी कक्षा ओर ग्यारहवीं कक्षा की नियमित कक्षाएं लगाने का फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया जाएगा.

ये भी पढ़ें: त्योहारी सीजन में सराफा कारोबारियों की चांदी, बढ़ी हुई कीमतों के बाद भी लोग कर रहे खरीददारी

शिमला: प्रदेश के स्कूलों सोमवार से बोर्ड की कक्षाओं के लिए स्कूल खोल दिए जाएंगे. यानी दसवीं और बारहवीं के छात्रों की नियमित कक्षाएं स्कूलों में लगेंगी. इस संबंध में सरकार की ओर से आदेश सभी स्कूल प्रधानाचार्य को जारी कर दिए गए हैं.

वहीं सरकार ने यह भी तय किया है कि छात्र अपनी अभिभावकों की अनुमति से ही स्कूल में नियमित कक्षाएं लगाने के लिए आ सकेंगे. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए और केंद्र सरकार की ओर से जारी एसओपी का पालन करते हुए छात्रों की नियमित कक्षाएं स्कूलों में लगाई जाएंगी. सरकार की ओर से बोर्ड की कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने का फैसला अभिभावकों के रुझान को देखते हुए लिया गया है.

अभिभावकों ने बोर्ड कक्षाओं को नियमित रूप से लगाने को लेकर सहमति जताई थी. इसी को देखते हुए सरकार ने अब यह फैसला लिया था कि 19 अक्टूबर से दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्र नियमित रूप से स्कूलों में अपनी कक्षाएं लगाने के लिए आ सकेंगे. हालांकि यह फैसला सरकार ने अभी भी अभिभावकों पर छोड़ा है अगर अभिभावकों की सहमति नहीं है और वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं तो बच्चे ऑनलाइन माध्यम से ही घर बैठे भी अपनी पढ़ाई को जारी रख सकते है.

ऑनलाइन कक्षाओं को भी सरकार लगातार छात्रों के लिए जारी रखेगी.सरकार ने छात्रों के लिए स्कूल तो खोल दिए हैं लेकिन अगर कोई छात्र कोरोना पॉजिटिव होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की ओर से अभिभावकों पर छोड़ दी गई है. सरकार की ओर से अभिभावकों की सहमति के लिए जो पत्र जारी किया गया है उसमें यह स्पष्ट लिखा गया है कि स्कूल में यदि किसी बच्चे को कोरोना होता है तो उसके लिए अभिभावक और स्कूल जिम्मेदार होगा.

अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल आने की अनुमति देते हैं और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करते हैं तो इसके बाद छात्र के कोरोना पॉजिटिव आने पर सरकार की उसमें कोई जिम्मेदारी नहीं होगी और ना ही माता पिता स्कूल को जिम्मेदार नहीं ठहरा पाएंगे. ऐसे में अब अभिभावकों को ही सोच विचार कर अपने बच्चों को स्कूल भेजने का फैसला लेना होगा. अभी मात्र बोर्ड कक्षाओं के छात्रों के लिए ही नियमित रूप से कक्षाएं लगाने का फैसला सरकार ने लिया है जबकि पहली से नौंवी कक्षा ओर ग्यारहवीं कक्षा की नियमित कक्षाएं लगाने का फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया जाएगा.

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