शिमला: सिरमौर जिले के गिरी पार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा दिए जाने को लेकर लोग दो धड़ों में बंट गए हैं. जहां एक ओर गिरी पार के लोग हाटि समुदाय को जनजाती दर्जा न दिए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गिरी पार के ही अनुसूचित जाति के लोग गिरी पार को जनजातीय का दर्जा (Tribal status to Hati community) दिए जाने का विरोध कर रहे हैं. इसी मुद्दे को लेकर अनुसूचित जाति गिरी पार मंच के संयोजक और एडवोकेट अनिल कुमार मंगेट वीरवार को शिमला में प्रेस वार्ता भी की.
इस दौरा उन्होंने कहा कि गिरी पार इलाके को राजनीति के कारण जनजातीय दर्जा देने की मांग की जा रही है, जबकि इसी इलाके में एट्रोसिटी एक्ट के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें तब दुख होता है जब शादी या किसी समारोह में अनुसूचित जाति के लोगों को अलग से बैठाया जाता है. उन्होंने कहा कि इस इलाके में महा खुमली का आयोजन होता है, जिसमें कहा जाता कि किसी के साथ कोई भेद भाव नहीं किया जएगा. लेकिन आज तक अनुसूचित जाति के साथ भेद भाव को खत्म करने का कोई प्रयास नहीं किया गया.
उन्होंने कहा कि हजारों मामले ऐसे हैं जिसमें अनुसूचित जाति के साथ मंदिर जाने से लेकर शादी समारोह में अत्याचार हुए हैं. जिसमें आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि पहले अनुसूचित जाति के साथ भेदभाव को बंद किया जाए, उसके बाद जनजातीय दर्जा देनें की बात की जाए. उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई, तो आने वाले समय में वे सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेंगे. अनिल ने कहा कि गिरी पार का इलाका जनजातीय घोषित होते ही एससी एसटी एक्ट (SC ST Act in Himachal) खत्म हो जाएगा, जो 150 पंचायतों में रहने वाले अनुसूचित जाति के लोगों के साथ अन्याय होगा.