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Himachal Monsoon Session: हिमाचल विधानसभा में राष्ट्रीय आपदा से जुड़ा संकल्प प्रस्ताव पारित, विपक्ष रहा तटस्थ

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 20, 2023, 9:34 PM IST

Updated : Sep 20, 2023, 10:13 PM IST

हिमाचल विधानसभा में तीन दिनों के पर चर्चा के बाद प्रदेश की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का संकल्प प्रस्ताव पारित कर दिया गया है. दरअसल, सदन में वायस वोटिंग के माध्यम से इसको पास किया गया. वहीं, विपक्ष इस प्रस्ताव पर तटस्थ रहा. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी. पढ़ें पूरी खबर.. (Himachal Monsoon Session)

Sankalp prastav passed in Himachal Vidhansabha
हिमाचल विधानसभा में संकल्प प्रस्ताव पारित

शिमला: हिमाचल विधानसभा ने हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का संकल्प प्रस्ताव पारित कर दिया. इसमें केंद्र से 12000 करोड़ का पैकेज मांग की गई है. इससे पहले संकल्प प्रस्ताव को लेकर सदन में गहमागहमी हुई. संकल्प प्रस्ताव सोमवार को सरकार की ओर से नियम 102 के तहत लाया गया था, जबकि विपक्ष इस पर नियम 67 के तहत काम रोको प्रस्ताव लाया था. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने सरकार की ओर से पहले लाए गए प्रस्ताव को मानते हुए इस पर चर्चा करवाई और विपक्ष के प्रस्ताव को इसमें अटैच कर दिया गया. इसके बाद सोमवार,मंगलवार और आज बुधवार को तीन दिन इस पर चर्चा की गई.

दरअसल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज विधानसभा में चर्चा पूरी होने के बाद सरकार के संकल्प प्रस्ताव के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष से सहयोग देने की अपील की. इसके बाद सदन में वायस वोटिंग के माध्यम से इसको पास कर दिया गया. विपक्ष इस प्रस्ताव पर तटस्थ रहा. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने बाद में कहा कि हमने सदन में प्रस्ताव का विरोध नहीं किया है. हम तटस्थ रहे हैं. हमारा मानना था कि इस प्रस्ताव को इस तरह पेश किया जा सकता था कि राष्ट्रीय आपदा की जगह केंद्र से और वित्तीय सहायता मिले.

आपदा में 441 लोगों ने गंवाई जान: इससे पहले सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सभी सदस्यों की चर्चा में हिस्सा लेने के बाद इसका जवाब दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल बीते दो माह से प्रदेश आपदा से गुजर रहा है. इस तरह की आपदा का मंजर सभी सदस्यों ने अपने जीवन काल में पहले कभी नहीं देखा होगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रयास किया है किसी न किसी रूप में हिमाचल के लोगों की सहायता की जाए. पहला काम जिंदगी का नुकसान कम करने का था, लेकिन फिर भी 441 लोगों ने जान गंवाई और 39 लोग लापता हो गए. उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान प्रदेश में कहीं से भी हाहाकार और अराजकता का माहौल नहीं था. हिमाचल के लोगों ने आपदा को सहा और कहीं भी लूट पाट नहीं देखी गई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 7 जुलाई को जब भारी बारिश हुई तब सरकार का दायित्व था कि हिमाचल आए मेहमानों की जीवन की रक्षा की जाए. प्रदेश में कई जगह से सूचनाएं आ रही थी कि लोग फंस गए हैं और इनको वहां से निकालिए. हमने रेस्क्यू कर सभी को निकाला, हिमाचल में किसी भी एक सैलानी की मौत नहीं हुई. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल आपदा के लिए अति संवेदनशील है. यहां बरसात के समय आपदा की घटनाएं बढ़ जाती हैं, पिछले कुछ सालों में बाढ़, भूस्खलन आदि से जानमान के साथ साथ सरकारी व निजी संपत्तियों का नुकसान होता आया है. लेकिन इस बार यह नुकसान बहुत ज्यादा था.

सरकार ने मानसून की तैयारियों की थी समीक्षा: मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने मानसून के बारिश को लेकर हर बार की तरह तैयारियां की और इनकी समीक्षा भी की. हिमाचल सरकार ने 8 जून मानसून से एनडीएमए को शामिल करते हुए मॉक ड्रिल की, जिसमें मानसून की तैयारियों का अभ्यास करवाया गया. इसके बाद 21 जून को प्रधान सचिव राजस्व ने सभी विभागों जिलों के साथ मानसून की तैयारियों की समीक्षा की, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों ने भी भाग लिया. इसके अलावा बांधों को लेकर भी अधिकारियों के साथ बैठक की. 9 जुलाई को एक संचार मॉक ड्रिल का संचालन भी किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि मानसून के मौसम को एक बटालियन एनडीआरएफ की तैनात की गई. विपक्ष बोल रहे हैं कि सरकार ने कोई तैयारियां नहीं की. यह हमेशा होता है और इस बार भी किया.

इस बार सामान्य से बहुत ज्यादा हुई बारिश: मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार प्री मानसून मार्च से मई तक बारिश सामान्य से 19 फीसदी से अधिक हुई है. मानसून शुरू होने पर मिट्टी पहले से ही सैचुरेटेड थी. हिमाचल में 24 को मानसून शुरू हुआ. इस दौरान 1 जून से 24 जून 78 मिमी बारिश हुई जो कि सामान्य से 10 फीसदी अधिक है. इसके बाद 7 से 10 जुलाई अति मानसून की सक्रिय स्थिति बनी रही. इस दौरान अधिकतर जगह बहुत भारी से अत्यधिक भारी बारिश हुई. प्रदेश में 1971 से 2020 तक औसत 734 मिमी बारिश थी लेकिन इस बार 7 से 11 जुलाई तक ही 233 मिमी बारिश हुई जो कि सामान्य से 436 फीसदी अधिक है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि किन्नौर और लाहौल स्पिति में औसतन 43 और 33 प्रतिशत अधिक बारिश हुई. पूरे प्रदेश में 24 से 14 जुलाई तक औसत 147 फीसदी अधिक बारिश हुई. इसी तरह 11 से 14 अगस्त, केवल चार दिनों में सामान्य बारिश 41.7 मिमी के मुकाबले 107.2 मिमी बारिश हुई. कांगड़ा कुल्लू,मंडी बिलासपुर शिमला में सबसे ज्यादा बारिश हुई और एक ही दिन में करीब 51 मौतें हुईं. प्रदेश में बादल फटने, बाढ़ आने, भूस्खलन और जमीन धंसने की घटनाएं हुई हैं. बादल फटने की घटनाएं अत्यधिक दर्ज हुई हैं जिससे कई जिलों में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई है.

प्रदेश में कुल 441 लोगों की गई जानें: बरसात में अब तक 275 जानें गईं. इसी आपदा के दौरान सड़क दुर्घटना में 166 लोगों की मौत हुई कुल 441, 1568 पशु धन की मौत हुई है. प्रदेश में 2621 घर पूरी तरह से नष्ट और 12000 से अधिक मकान आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त हुए हैं.

प्रदेश में करीब 12000 करोड़ का नुकसान: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि बरसात में 12000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है. इसके अलावा आजीविका को बड़ा नुकसान हुआ है. इससे सबसे ज्यादा पर्यटन को नुकसान हुआ है. होटल से जीएसटी, और शराब के ठेके आदि से राजस्व का सरकार को नुकसान हुआ है. मानसून में जल शक्ति विभाग की 11056 पानी की परियोजनाएं क्षतिग्रस्त हुई है और विभाग को करीब 2100 करोड़ का नुकसान हुआ है, लेकिन विभाग ने सभी पेयजल परियोजनाओं को सुचारू कर दिया है. इस दौरान लोक निर्माण विभाग में हिमाचल में 97 पुल क्षतिग्रस्त और 19 पुल और विभाग को करीब 3000 करोड़ का नुकसान हुआ. इस दौरान लारजी परियोजना को 657 करोड़ का नुकसान हुआ है. इस दौरान करीब 1740.16 करोड़ का नुकसान बिजली विभाग को हुआ है. प्रदेश में भूमि धंसने के कारण मंडी, सोलन, कांगड़ा और शिमला में गांव बुरी तरह से बर्बाद हो गए. प्रदेश में करीब 200 से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं.

पहली आपदा में 6746 करोड़: मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को हिमाचल में 10 अगस्त तक आपदा से हुए 6746 करोड़ के नुकसान का ज्ञापन केंद्र सरकार को दिया. इसके बाद 22 अगस्त को एनडीआरएफ की 200 करोड़ जारी किए. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से 500 करोड़ की राशि जारी की है.

दो महीने में 1000 करोड़ रुपये का सरकार को नुकसान: मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आई आपदा के बाद सरकारी राजस्व को भी नुकसान हुआ है. प्रदेश में बीते दो माह में ही जीएसटी से करीब 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में भारी नुकसान का जायजा लेने के एक कार्यबल का गठन किया है, जो कि विस्तृत जायजा लेगा. सीएम ने कहा कि जिन बांध प्रबंधकों ने अर्ली वार्निंग सिस्टम नहीं लगाया और बांध सुरक्षा अधिनियम का पालन नहीं किया है. पंडोह, पौंग और पार्वती-2 से बिना पूर्व सूचना के पानी छोड़ने को लेकर भी कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्यावरण और अन्य नुकसान को कम करने के लिए सरकार 800 करोड़ की योजना सरकार बना रही है. प्रदेश के प्रमुख संस्थानों से प्रदेश में भूस्खलन की जांच करेगी. कुल्लू में बादल फटने के कारणों का आईआईटी से जांच कर रही है. भूकंप और भूस्खलन से नुकसान को कम करने के लिए केंद्र सरकार से सहायता मांगी है.

सर्वसम्मति से सरकार के प्रस्ताव को पारित किया जाए: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस संकल्प के पक्ष में सदन में कहा कि सभी केंद्र सरकार से सिफारिश करते हुए 12000 करोड़ के पैकेज केंद्र सरकार से सिफारिश करते हुए इसे केंद्र सरकार से मांग की जाए. इसके बाद सदन में इस प्रस्ताव को वायस वोटिंग से पास किया गया. इस दौरान विपक्ष तटस्थ रहा. जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार को केंद्र सरकार से मिली सहायता के लिए धन्यवाद करना चाहिए, लेकिन मुख्यमंत्री ऐसा नहीं कर रहे. उन्होंने कहा कि सरकार हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रही है इसकी जगह प्रदेश में हुई क्षति के लिए और मदद की मांग की जा सकती थी, लेकिन सरकार राष्ट्रीय आपदा के शब्द पर अटक गई. उन्होंने कहा कि विपक्ष प्रस्ताव के विरोध में नहीं है, लेकिन सरकार को केंद्र अभी तक मिली मदद के लिए केंद्र का आभार जताना चाहिए.

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शिमला: हिमाचल विधानसभा ने हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का संकल्प प्रस्ताव पारित कर दिया. इसमें केंद्र से 12000 करोड़ का पैकेज मांग की गई है. इससे पहले संकल्प प्रस्ताव को लेकर सदन में गहमागहमी हुई. संकल्प प्रस्ताव सोमवार को सरकार की ओर से नियम 102 के तहत लाया गया था, जबकि विपक्ष इस पर नियम 67 के तहत काम रोको प्रस्ताव लाया था. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने सरकार की ओर से पहले लाए गए प्रस्ताव को मानते हुए इस पर चर्चा करवाई और विपक्ष के प्रस्ताव को इसमें अटैच कर दिया गया. इसके बाद सोमवार,मंगलवार और आज बुधवार को तीन दिन इस पर चर्चा की गई.

दरअसल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज विधानसभा में चर्चा पूरी होने के बाद सरकार के संकल्प प्रस्ताव के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष से सहयोग देने की अपील की. इसके बाद सदन में वायस वोटिंग के माध्यम से इसको पास कर दिया गया. विपक्ष इस प्रस्ताव पर तटस्थ रहा. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने बाद में कहा कि हमने सदन में प्रस्ताव का विरोध नहीं किया है. हम तटस्थ रहे हैं. हमारा मानना था कि इस प्रस्ताव को इस तरह पेश किया जा सकता था कि राष्ट्रीय आपदा की जगह केंद्र से और वित्तीय सहायता मिले.

आपदा में 441 लोगों ने गंवाई जान: इससे पहले सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सभी सदस्यों की चर्चा में हिस्सा लेने के बाद इसका जवाब दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल बीते दो माह से प्रदेश आपदा से गुजर रहा है. इस तरह की आपदा का मंजर सभी सदस्यों ने अपने जीवन काल में पहले कभी नहीं देखा होगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रयास किया है किसी न किसी रूप में हिमाचल के लोगों की सहायता की जाए. पहला काम जिंदगी का नुकसान कम करने का था, लेकिन फिर भी 441 लोगों ने जान गंवाई और 39 लोग लापता हो गए. उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान प्रदेश में कहीं से भी हाहाकार और अराजकता का माहौल नहीं था. हिमाचल के लोगों ने आपदा को सहा और कहीं भी लूट पाट नहीं देखी गई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 7 जुलाई को जब भारी बारिश हुई तब सरकार का दायित्व था कि हिमाचल आए मेहमानों की जीवन की रक्षा की जाए. प्रदेश में कई जगह से सूचनाएं आ रही थी कि लोग फंस गए हैं और इनको वहां से निकालिए. हमने रेस्क्यू कर सभी को निकाला, हिमाचल में किसी भी एक सैलानी की मौत नहीं हुई. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल आपदा के लिए अति संवेदनशील है. यहां बरसात के समय आपदा की घटनाएं बढ़ जाती हैं, पिछले कुछ सालों में बाढ़, भूस्खलन आदि से जानमान के साथ साथ सरकारी व निजी संपत्तियों का नुकसान होता आया है. लेकिन इस बार यह नुकसान बहुत ज्यादा था.

सरकार ने मानसून की तैयारियों की थी समीक्षा: मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने मानसून के बारिश को लेकर हर बार की तरह तैयारियां की और इनकी समीक्षा भी की. हिमाचल सरकार ने 8 जून मानसून से एनडीएमए को शामिल करते हुए मॉक ड्रिल की, जिसमें मानसून की तैयारियों का अभ्यास करवाया गया. इसके बाद 21 जून को प्रधान सचिव राजस्व ने सभी विभागों जिलों के साथ मानसून की तैयारियों की समीक्षा की, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों ने भी भाग लिया. इसके अलावा बांधों को लेकर भी अधिकारियों के साथ बैठक की. 9 जुलाई को एक संचार मॉक ड्रिल का संचालन भी किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि मानसून के मौसम को एक बटालियन एनडीआरएफ की तैनात की गई. विपक्ष बोल रहे हैं कि सरकार ने कोई तैयारियां नहीं की. यह हमेशा होता है और इस बार भी किया.

इस बार सामान्य से बहुत ज्यादा हुई बारिश: मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार प्री मानसून मार्च से मई तक बारिश सामान्य से 19 फीसदी से अधिक हुई है. मानसून शुरू होने पर मिट्टी पहले से ही सैचुरेटेड थी. हिमाचल में 24 को मानसून शुरू हुआ. इस दौरान 1 जून से 24 जून 78 मिमी बारिश हुई जो कि सामान्य से 10 फीसदी अधिक है. इसके बाद 7 से 10 जुलाई अति मानसून की सक्रिय स्थिति बनी रही. इस दौरान अधिकतर जगह बहुत भारी से अत्यधिक भारी बारिश हुई. प्रदेश में 1971 से 2020 तक औसत 734 मिमी बारिश थी लेकिन इस बार 7 से 11 जुलाई तक ही 233 मिमी बारिश हुई जो कि सामान्य से 436 फीसदी अधिक है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि किन्नौर और लाहौल स्पिति में औसतन 43 और 33 प्रतिशत अधिक बारिश हुई. पूरे प्रदेश में 24 से 14 जुलाई तक औसत 147 फीसदी अधिक बारिश हुई. इसी तरह 11 से 14 अगस्त, केवल चार दिनों में सामान्य बारिश 41.7 मिमी के मुकाबले 107.2 मिमी बारिश हुई. कांगड़ा कुल्लू,मंडी बिलासपुर शिमला में सबसे ज्यादा बारिश हुई और एक ही दिन में करीब 51 मौतें हुईं. प्रदेश में बादल फटने, बाढ़ आने, भूस्खलन और जमीन धंसने की घटनाएं हुई हैं. बादल फटने की घटनाएं अत्यधिक दर्ज हुई हैं जिससे कई जिलों में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई है.

प्रदेश में कुल 441 लोगों की गई जानें: बरसात में अब तक 275 जानें गईं. इसी आपदा के दौरान सड़क दुर्घटना में 166 लोगों की मौत हुई कुल 441, 1568 पशु धन की मौत हुई है. प्रदेश में 2621 घर पूरी तरह से नष्ट और 12000 से अधिक मकान आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त हुए हैं.

प्रदेश में करीब 12000 करोड़ का नुकसान: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि बरसात में 12000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है. इसके अलावा आजीविका को बड़ा नुकसान हुआ है. इससे सबसे ज्यादा पर्यटन को नुकसान हुआ है. होटल से जीएसटी, और शराब के ठेके आदि से राजस्व का सरकार को नुकसान हुआ है. मानसून में जल शक्ति विभाग की 11056 पानी की परियोजनाएं क्षतिग्रस्त हुई है और विभाग को करीब 2100 करोड़ का नुकसान हुआ है, लेकिन विभाग ने सभी पेयजल परियोजनाओं को सुचारू कर दिया है. इस दौरान लोक निर्माण विभाग में हिमाचल में 97 पुल क्षतिग्रस्त और 19 पुल और विभाग को करीब 3000 करोड़ का नुकसान हुआ. इस दौरान लारजी परियोजना को 657 करोड़ का नुकसान हुआ है. इस दौरान करीब 1740.16 करोड़ का नुकसान बिजली विभाग को हुआ है. प्रदेश में भूमि धंसने के कारण मंडी, सोलन, कांगड़ा और शिमला में गांव बुरी तरह से बर्बाद हो गए. प्रदेश में करीब 200 से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं.

पहली आपदा में 6746 करोड़: मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को हिमाचल में 10 अगस्त तक आपदा से हुए 6746 करोड़ के नुकसान का ज्ञापन केंद्र सरकार को दिया. इसके बाद 22 अगस्त को एनडीआरएफ की 200 करोड़ जारी किए. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से 500 करोड़ की राशि जारी की है.

दो महीने में 1000 करोड़ रुपये का सरकार को नुकसान: मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आई आपदा के बाद सरकारी राजस्व को भी नुकसान हुआ है. प्रदेश में बीते दो माह में ही जीएसटी से करीब 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में भारी नुकसान का जायजा लेने के एक कार्यबल का गठन किया है, जो कि विस्तृत जायजा लेगा. सीएम ने कहा कि जिन बांध प्रबंधकों ने अर्ली वार्निंग सिस्टम नहीं लगाया और बांध सुरक्षा अधिनियम का पालन नहीं किया है. पंडोह, पौंग और पार्वती-2 से बिना पूर्व सूचना के पानी छोड़ने को लेकर भी कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्यावरण और अन्य नुकसान को कम करने के लिए सरकार 800 करोड़ की योजना सरकार बना रही है. प्रदेश के प्रमुख संस्थानों से प्रदेश में भूस्खलन की जांच करेगी. कुल्लू में बादल फटने के कारणों का आईआईटी से जांच कर रही है. भूकंप और भूस्खलन से नुकसान को कम करने के लिए केंद्र सरकार से सहायता मांगी है.

सर्वसम्मति से सरकार के प्रस्ताव को पारित किया जाए: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस संकल्प के पक्ष में सदन में कहा कि सभी केंद्र सरकार से सिफारिश करते हुए 12000 करोड़ के पैकेज केंद्र सरकार से सिफारिश करते हुए इसे केंद्र सरकार से मांग की जाए. इसके बाद सदन में इस प्रस्ताव को वायस वोटिंग से पास किया गया. इस दौरान विपक्ष तटस्थ रहा. जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार को केंद्र सरकार से मिली सहायता के लिए धन्यवाद करना चाहिए, लेकिन मुख्यमंत्री ऐसा नहीं कर रहे. उन्होंने कहा कि सरकार हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रही है इसकी जगह प्रदेश में हुई क्षति के लिए और मदद की मांग की जा सकती थी, लेकिन सरकार राष्ट्रीय आपदा के शब्द पर अटक गई. उन्होंने कहा कि विपक्ष प्रस्ताव के विरोध में नहीं है, लेकिन सरकार को केंद्र अभी तक मिली मदद के लिए केंद्र का आभार जताना चाहिए.

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Last Updated : Sep 20, 2023, 10:13 PM IST
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