शिमला: करीब 31 साल बाद नगर निगम शिमला की सत्ता पर काबिज हुई भाजपा शासित नगर निगम शिमला के कार्यकाल का तीन साल पूरा हो गया है. भाजपा शासित नगर निगम शिमला भले ही शहर में विभिन्न विकासकार्यों के दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत ठीक इसके विपरीत है. भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) बीजेपी शासित नगर निगम शिमला के 3 वर्ष के कार्यकाल को पूरी तरह से विफल बताया है.
बीजेपी को नगर निगम शिमला में शहर की जनता ने पहली बार पूरा बहुमत दिया था, लेकिन केंद्र व राज्य में भी बीजेपी की सरकार होने के बावजूद कोई भी नई योजना इन तीन वर्षों में शिमला शहर के लिए नहीं ला पाई है और पूर्व नगर निगम की ओर से लाई व आरम्भ की गई योजनाओं को भी कार्यान्वयन करने में विफल रही है.
माकपा के जिला सचिव संजय चौहान ने बताया कि इन तीन वर्षों में बीजेपी बहुमत में होने के बावजूद भी एकताबद्ध तरीके से कार्य नहीं कर पाई है और इसके ही पार्षदों द्वारा कार्यों की गुणवत्ता व पार्किंग के कामों पर सवालिया निशान लगाए हैं. वर्ष 2018 में शिमला शहर में जिस प्रकार से नगर निगम व सरकार के पेयजल वितरण का कुप्रंबधन कर विकराल जल संकट खड़ा किया गया उससे शिमला की गरिमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ठेस पहुंचाई गई हैं. जोकि शिमला शहर के गौरवपूर्ण इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है.
पूर्व नगर निगम शिमला द्वारा लम्बे संघर्ष के बाद शिमला शहर के विकास के लिए जो योजनाएं जिसमें स्मार्ट सिटी परियोजना, विश्व बैंक से 125 मिलियन डॉलर की पेयजल व सीवरेज व्यवस्था सुधारने के लिए परियोजना, अम्रुत, टूटीकंडी रोपवे, पार्किंग, बहुउद्देश्यीय व सामुदायिक भवन, पार्क, साइकल ट्रैक, लेबर हॉस्टल, तहबाजारी को बसाने का कार्य, शहरी रोजगार योजना, आजीविका भवन, शहरी गरीब के लिए आवास योजना जो स्वीकृत व आरम्भ की गई थी वह बिल्कुल ठप पड़ी हुई है.
कोरोना के दौर में भाजपा शासित नगर निगम भले ही तीन साल का जश्न नहीं मना पाया है, लेकिन शहर में नाले, पार्क और पार्किंग के अलावा किसी बड़े प्रोजेक्ट को लेकर कार्य करने के दावे भी नहीं कर रहा है. नगर निगम मेयर सत्या कौंडल का कहना है कि भाजपा शासित नगर निगम ने शनिवार को अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे कर दिए हैं. इन तीन सालों में उन्होंने शहर के हर वार्ड का एक समान विकास किया है, जिसमें पार्क से लेकर पार्किंग तक की सुविधा मिली है. उन्होंने कहा कि निगम ने एकजुट होकर शहर का विकासकार्य किया है.
तीन साल में टेंडर तक जारी नहीं हुए
बता दें कि स्मार्ट सिटी बनने के तीन साल बाद भी नगर निगम शिमला होने वाले स्मार्ट कार्य करने के लिए टेंडर प्रकिया नहीं कर पाया है और न ही धरातल पर कोई कार्य दिखाई दे रहा है. इसके अलावा, तीन साल पहले गठित की गई शिमला जल प्रबंधन निगम भी पानी के बिल हर माह जारी नहीं कर पाया है.