शिमला: प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल व कॉलेज आइजीएमसी जहां प्रतिदिन सेंकड़ों मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन इस बड़ा अस्पताल में ऐसे मरीज भी आते हैं जिनका कोई नहीं होता. उन्हें या तो कोई गम्भीर हालत में छोड़ जाता है या फिर बीमारी से परेशान हो कर खुद इलाज करवाने आते हैं.
ऐसे में मरीजों को बड़ी परेशानी होती है कि वह अपना टेस्ट कैसे करवायें. इलाज के लिये अन्य प्रक्रिया कैसे करें. इसी को देखते हुए प्रशासन चिंतित हुआ और सरकार द्वारा 2 महीने पहले चलाई गई सम्मान योजना के तहत ऐसे मरीजों के इलाज का जिम्मा उठाया जो अनाथ या बेसहारा हैं. ऐसे मरीजों को कई बार पुलिस या फिर 108 एम्बुलेंस अस्पताल के अपातकाल में छोड़ कर चली जाती है.
आइजीएमसी प्रशासन ऐसे मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर निशुल्क इलाज करने के लिये आगे आया है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में आइजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि अस्पताल में बहुत से बेसहारा मरीज आते हैं. पहले आरकेएस के तहत सिर्फ 10,000 तक कि मदद कर सकता था, लेकिन अब 2 महीने पहले शुरू हुई सम्मान योजना के तहत प्रशासन मरीज का पूरा निशुल्क इलाज करता है.
उनका कहना था कि बीते दिनों हाटकोटी से पुलिस एक अज्ञात व्यक्ति को सड़क से उठा कर आइजीएमसी लाई थी जहां अस्पताल प्रशासन ने सम्मान योजना के तहत मरीज का पूरा खर्चा उठाने का जिम्मा लिया.
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