शिमला: प्रदेश में हादसों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. अभी बंजार बस हादसे से हिमाचल उभरा भी नहीं था कि रविवार को पराशर सड़क हादसा और आज शिमला में स्कूल बस हादसा प्रशासन की यातायात व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर रहा है.
सोमवार सुबह शिमला के निजी स्कूल के बच्चों को स्कूल ले जा रही एचआरटीसी की बस हादसे का शिकार हो गई. बस हादसे में चालक और दो बच्चों की जान गई और चार की हालत गंभीर है. लगातार हो रहे इन हादसों से न तो सरकार सबक ले रही है और निजी स्कूल.
स्कूली बसों में नहीं है सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
आए दिन प्रदेश में मासूम इन हादसों में अपनी जान गंवा रहे है. शिमला में ज्यादातर निजी स्कूलों ने परिवहन निगम की बसें ले रखी है. इन बसों में बच्चों को स्कूल पहुंचाया जा रहा है, लेकिन यह बसें कितनी सुरक्षित हैं, इसकी किसी को जानकारी तक नहीं होती. निजी स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा को लेकर कोई खास इंतजाम नहीं है. हालांकि प्रशासन ने निजी स्कूलों को अपनी बसें खरीदने के फरमान जारी किए हैं. सरकार ने शिमला के कॉन्वेंट और निजी स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वो अपनी बसें खरीदकर बच्चों को स्कूल पहुंचाए और उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करें, लेकिन स्कूल इन आदेशों की पालना नहीं कर रहे हैं. कई स्कूलों ने अपनी बसें चला रखी है, लेकिन उनमें भी सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता नहीं है.
वहीं, सरकार और प्रशासन हर हादसे के बाद जांच के निर्देश जारी करती है, लेकिन यातायात व्यवस्था जस के तस बनी हुई है. हादसों में मासूम अपनी जान गंवा रहे हैं. स्कूल प्रशासन और सरकार कोई भी हादसों जिम्मेवारी नहीं लेना चाहता. ऐसे में सवाल ये है कि अगर हादसों के लिए जिम्मेवार कोई नहीं है तो हादसों का दौर कैसे थम पाएगा.