शिमला: पहाड़ी प्रदेश हिमाचल धीरे-धीरे सड़क हादसों का प्रदेश बनता जा रहा है. हिमाचल में हर साल एक हजार से ज्यादा लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं. वहीं कुछ जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो जाते हैं. हिमाचल में हर साल करीब तीन हजार से ज्यादा सड़क हादसे हो रहे हैं. ये हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं और ना ही इन हादसों में होने वाली मौतें.
हर साल सड़क दुर्घटनाओं में औसतन 1100 लोग मौत के शिकार हो जाते हैं. वहीं करीब पांच हजार से अधिक लोग जख्मी हो जाते हैं. ये हादसे मरने वाले लोगों के परिवार के लिए जिंदगी भर का जख्म छोड़ जाते हैं. हादसे में एक व्यक्ति की मौत के बाद उसका पूरा परिवार टूट जाता है. इस तरह सड़क हादसों का असर लाखों लोगों पर पड़ता है.
2016 से 30 नवंबर 2019 तक सड़क हादसों का आंकड़ा
आंकड़ा चौंकाने वाला है कि पिछले 10 सालों में हिमाचल प्रदेश में करीब 30 हजार 993 सड़क हादसे हुए हैं. इन हादसों में 11 हजार 561 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. बता दें कि वर्ष 2009 से 2018 के बीच यह सड़क हादसे हुए हैं.
आंकड़ों के अनुसार 2016 में प्रदेश में कुल 3 हजार 156 हादसे हुए, जिसमें 1 हजार 163 लोगों ने अपनी जान से हाथ धो दिया, तो वहीं 5 हजार 587 लोग घायल हो गए. साल 2017 में 3 हजार 119 हादसे प्रदेश की सड़कों पर दर्ज किए गए, जिसमें 1 हजार 176 लोगों की मौत हो गई, तो 5 हजार 338 लोग घायल हो गए. साल 2018 में 3 हजार 119 हादसे प्रदेश की सड़कों पर हुए. 2018 में सड़क हादसों में 1 हजार 168 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 5 हजार 444 लोग घायल हो गए थे.अगर हम 2019 की बात करें तो इस साल 30 नवंबर तक 2 हजार 658 हादसे हुए, जिसमें 1 हजार 13 लोगों ने अपनी जान से हाथ धो दिया. इन हादसों में 4 हजार 416 लोग घायल हो गए.
क्या कहते हैं परिवहन मंत्री?
परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि दुर्घटनाओं के प्रतिशत में कमी हो रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सड़क हादसों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए तेजी से काम किया. इस जागरूकता अभियान के कारण 12% सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों कमी आई है.
परिवहन मंत्री ने कहा कि सेफ्टी ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर ऊना में शुरु किया है. जो सीएसआर के माध्यम से होंडा वाले कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इसे धर्मशाला और दूसरी जगहों पर शुरू किये जायेगा. साथ ही और कई कदम उठाए जा रहे हैं ताकि दुर्घटनाओं को कम किया जा सके.
प्रदेश में 2019 में हुए बड़े हादसे
साल 2019 की शुरूआत में ही सिरमौर के श्री रेणुका जी के पास स्कूल बस के खाई में गिरने से ड्राइवर समेत 7 बच्चों की मौत हो गई थी. ये हादसा इतना खौफनाक था कि घटनास्थल पर बच्चों की चीख पुकार सुनकर लोगों ने पुलिस की मदद से घायल बच्चों को निकाला और ददाहू अस्पताल में भर्ती कराया.
वहीं, कुल्लू में 20 जून को हुआ बंजार हादसा भुलाए नहीं भुलता. इस हादसे में निजी बस खाई में गिरने से 46 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि 39 लोग घायल हुए थे. बंजार हादसे का प्रमुख कारण भी ओवरलोडिंग ही बताया गया है. ये हादसा प्रदेश में 2019 का सबसे बड़ा हादसा था.
बंजार हादसे के 12 दिन बाद राजधानी शिमला में छात्राओं को लेकर जा रही एचआरटीसी की स्कूल बस झंझीड़ी के पास खाई में गिर गई हादसे में 2 छात्राओं समेत बस ड्राइवर की भी मौत हो गई थी. हादसे के बाद लोगों ने घटनास्थल के आस-पास मौजूद वाहनों में तोड़ फोड़ की.
इसके अलावा अप्रैल 2019 में पठानकोट से डलहौजी आ रही बस के 200 फीट गहरी खाई में गिरने से 12 यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि 28 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
बता दें कि हिमाचल में हर साल लगभग 3 हजार हादसे होते हैं, जिनमें करीब एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत जाती है जबकि 5 हजार से ज्यादा लोग घायल हो जाते हैं. सड़क हादसों को रोकने के लिए सरकार भी अपने स्तर पर समय समय पर अभियान चलाती रहती है
हिमाचल की सड़कों पर 516 ब्लैक स्पोट्स हैं. इनके कारण प्रदेश में हर साल 1 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है. हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर 516 ब्लैक स्पॉट्स हैं.
क्या हैं ब्लैक स्पॉटस
नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे या अन्य किसी सड़क के 500 मीटर के दायरे में तीन सालों में कम से कम जो एक्सीडेंट हुए हों और जिसमें 10 से अधिक लोगों को मौत हुई हों, उन्हें ब्लैक स्पॉट बोला जाता है. हिमाचल में बलैक स्पॉट्स के कारण हादसों का खतरा लागातार बना हुआ है. लोक निर्माण विभाग ने अपने स्तर पर जो पड़ताल की है, उसके मुताबिक हिमाचल में 516 ब्लैक स्पोट्स हैं. जीवीके कंपनी ने सर्वें में इन सर्वे की संख्या 697 बताई है. नेशनल हाईवे पर भी करीब 90 ब्लैक स्पॉट्स हैं.
सड़क हादसों का एक कारण बहुत आम है और वो है यातायात नियमों की अनदेखी करना जैसे सीट बेल्ट न पहनना, तेज गति से गाड़ी चलाना, गाड़ी चलाते हुए फोन पर बात करना. ये अनदेखी अक्सर जानलेवा बन जाती है. एक रिपोर्ट के अनुसार ओवर स्पीड को कम कर इन जानलेवा दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है. वहीं, सड़क हादसों को रोकने के लिए व्यक्तिगत तौर पर भी प्रयास किया जा सकता है. अगर जिंदगी से प्यार हैं, तो यातायात नियमों का पालन करें और सड़क दुर्घटनाओं से बचें.