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रिज टैंक में बढ़ रहीं दरारें, ठीक करने के लिए एक्सपर्ट की मदद ले रहा शिमला जल प्रंबंधन

शिमला में रिज टैंक की दरारों की री-स्टोर करने के लिए पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है. कंपनी का दावा है कि रिज टैंक की दरारों का समय रहते री-स्टोरेशन वर्क पूरा कर लिया जाएगा.

रिज टैंक
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Published : Aug 29, 2019, 9:24 PM IST

Updated : Aug 29, 2019, 9:36 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला में ऐतिहासिक रिज मैदान का भार उठा रहे पेयजल टैंक में दिनों-दिन दरारें बढ़ रही हैं. टैंक को बचाने के लिए शिमला जल प्रंबंधन कंपनी पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट की मदद लेने जा रही है . इसी के चलते वीरवार को महापौर समेत नगर निगम के अधिकारियों ने टेंक का जायजा लिया.

नगर निगम ने रिज मैदान के नीचे बने पानी के टैंक को बचाने की कवायद शुरू की है. इसके लिए टैंक के री-स्टोरेशन वर्क के लिए पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट की मदद लेने का फैसला किया गया है.

ऐतिहासिक रिज मैदान के नीचे पूरे शिमला शहर को जलापूर्ति करने वाला ब्रिटिशकालीन वाटर स्टोरेज टैंक है. इस टैके में 45 लाख लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है. ऐसे में रिज पर बढ़ती दरारों से वाटर टैंक को भी खतरा हो सकता है. अब शिमला जल प्रंबंधन कंपनी टैंक को बचाने की कवायद में जुट गई है ताकि समय रहते इसकी दरारों को बढ़ने से रोका जा सके. हांलाकि कंपनी का दावा है कि रिज टैंक की दरारों का समय रहते री-स्टोरेशन वर्क पूरा कर लिया जाएगा.

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शिमला: राजधानी शिमला में ऐतिहासिक रिज मैदान का भार उठा रहे पेयजल टैंक में दिनों-दिन दरारें बढ़ रही हैं. टैंक को बचाने के लिए शिमला जल प्रंबंधन कंपनी पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट की मदद लेने जा रही है . इसी के चलते वीरवार को महापौर समेत नगर निगम के अधिकारियों ने टेंक का जायजा लिया.

नगर निगम ने रिज मैदान के नीचे बने पानी के टैंक को बचाने की कवायद शुरू की है. इसके लिए टैंक के री-स्टोरेशन वर्क के लिए पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट की मदद लेने का फैसला किया गया है.

ऐतिहासिक रिज मैदान के नीचे पूरे शिमला शहर को जलापूर्ति करने वाला ब्रिटिशकालीन वाटर स्टोरेज टैंक है. इस टैके में 45 लाख लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है. ऐसे में रिज पर बढ़ती दरारों से वाटर टैंक को भी खतरा हो सकता है. अब शिमला जल प्रंबंधन कंपनी टैंक को बचाने की कवायद में जुट गई है ताकि समय रहते इसकी दरारों को बढ़ने से रोका जा सके. हांलाकि कंपनी का दावा है कि रिज टैंक की दरारों का समय रहते री-स्टोरेशन वर्क पूरा कर लिया जाएगा.

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Intro:
कई दशकों से आधे से ज्यादा रिज मैदान का भार उठा रहे पेयजल टैंक में दरारें पड़ गईं हैं। ये दरारें दिनों दिन बढ़ रही है ! रिज वाटर टैंक के वजूद को बचाने के लिए शिमला जल प्रंबंधन कंपनी पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट की मदद लेने जा रही है। इसके लिए कॉलेज एक्सपर्ट ने हामी भर दी है। नगर निगम की टीम कालेज में एक्पसर्टके साथ मिल कर आई है और रिज के री-स्टोरेशन वर्क को और बेहतर करने के लिए राय ली जा रही है ! वीरवार को टेंक की सफाई करते हुए महापौर सहित नगर निगम के अधिकारीयों ने टेंक का जायजा लिया ! हालंकि अभी इन दरारों से टेंक को खतरा नही है लेकिन समय रहते हुए आईएम दरुस्त नही किया गया तो आने वाले समय में शहर को खतरा हो सकता है !
Body:नगर निगम ने इस टेंक को बचने की कवायद शुरू की है और कम्पनियों से निविदाएं मांगी गई थी जिसमे रिज टैंक के री-स्टोरेशन वर्क के लिए दिल्ली की 2 नामी कंपनियों ने आवेदन भी किया था ! दिल्ली की उक्त कंपनियों ने टैंक को पहले अंदर से देखने की मांग की थी ताकि टैंडर प्रक्रिया में भाग लेने से पहले टैंक की दरारों को स्टडी किया जा सके, ऐसे में टैंक को खाली किया गया था। रिज टैंक के री-स्टोरेशन वर्क के लिए पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है।

Conclusion:45 लाख लीटर पानी को स्टोर करने की क्षमता

ऐतिहासिक रिज मैदान पर पूरे शिमला शहर को जलापूर्ति करने वाला ब्रिटिशकालीन वाटर स्टोरेज टैंक है, जिसमें करीबन 45 लाख लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है, ऐसे में रिज पर बढ़ती दरारों से वाटर टैंक को भी खतरा हो सकता है। बता दे कि रिज टैंक में दरारें बढऩे से इसके अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है, ऐसे में कंपनी रिज टैंक को बचाने की कवायद में जुट गई है ताकि समय रहते इसकी दरारों को बढऩे से रोका जा सके। हांलाकि कंपनी का दावा है कि रिज टैंक की दरारें ज्यों की त्यों ही हैं लेकिन समय रहते इसके री-स्टोरेशन वर्क को पूरा कर लिया जाएगा।
Last Updated : Aug 29, 2019, 9:36 PM IST
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