शिमला: हिमाचल प्रदेश में साइबर अपराध तेजी से बढ़ता जा रहा है. साइबर अपराध को रोकने के लिए साइबर सेल पूरी तरह से अलर्ट पर है और गंभीरता से इसकी जांच कर रहा है. अब विभाग द्वारा की गई जांच में ये सामने आया है कि पिछले कुछ समय से जितने में अपराध इस श्रेणी में हुए हैं उसमें रिश्तेदारों, कर्मचारी और नौकरों की संलिप्तता पाई गई है.
इस बात का खुलासा राज्य साइबर थाना शिमला ने वर्ष 2019-20 में सामने आई शिकायतों के विश्लेषण के दौरान किया. ऐसे में साइबर क्राइम सेल ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक साइबर थाना शिमला नरवीर सिंह राठौर ने कहा कि हाल ही में सुनीता भारद्वाज (81) निवासी शिमला ने एक शिकायत साइबर थाना में दी थी. इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि इनके खाते से 3 लाख 50 हजार रुपये किसी अज्ञात व्यक्ति ने नेट बैंकिंग के माध्यम से निकाल लिए.
जांच में पाया गया कि यह ठगी शिकायतकर्ता के घर में नौकरी करने वाले युवक ने की है. यह युवक पैसे निकालने के लिए इंटरनेट के माध्यम से अपने निजी फोन व शिकायतकर्ता के मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता था.
इस युवक ने ज्यादातर राशि ऑनलाइन गेमिंग और तीन पत्ती में खर्च की है. इसके बाद इस आरोपी युवक दीप राम निवासी सुन्नी पर मुकदमा दर्ज कर 3 जून 2020 को गिरफ्तार किया गया है.
इसी तरह जेकेआर मोटर्स कंपनी जिला कांगड़ा के निष्कासित कर्मचारी ने कंपनी का डाटा इंटररनेट के माध्यम से एक्सेस करके डिलीट कर दिया था, जिससे कंपनी को काफी नुकसान हुआ. जांच में पाया गया कि इस कंपनी के निष्कासित कर्मचारी संजीव कुमार ने यह डाटा डिलीट किया था.
इसके अलावा सूरत राम निवासी रामपुर ने अपने खाते से 3 लाख 50 हजार रुपये अज्ञात व्यक्ति के निकाले जाने के बारे में साइबर थाना में मुकदमा दर्ज करवाया था. इस मामले की जांच में पाया गया कि यह राशि इंटरनेट के माध्यम से शिकायतकर्ता के मोबाइल का इस्तेमाल कर उसके भाई के बेटे ललित ने निकाली है.
साइबर थाना शिमला में साइबर अपराधों से संबधित 1,638 शिकायतें वर्ष 2019 में और वर्ष 2020 में अब तक कुल 1,264 शिकायतें मिल चुकी हैं, जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए साइबर थाना ने अब तक लगभग 25 लाख रुपये शिकायतकर्ताओं के खातों में रिफंड करवाए हैं.
एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने कहा कि सभी जनसाधारण अपने मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर व अन्य उपकरण जिसके माध्यम से इंटरनेट का इस्तेमाल करके ठगी की जा सकती है, इन उपकरणों पर हमेशा सुरक्षित पासवर्ड लगा कर रखें.
साथ ही अपनी निजी सुरक्षा में रखें. निजी नौकर व कर्मचारी के निष्कासन व स्थानातरण पर तुरंत अपने उपकरणों के पासवर्ड व सिक्यूरिटी फीचर बदल दें, ताकि वे इंटरनेट के माध्यम से इसका गलत इस्तेमाल न कर सकें.
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