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पुनर्स्थापना समारोह में चीड़ फिजेंट को छोड़ेंगे सीएम जयराम, विलुप्त होती इस प्रजाति को बचाने में जुटा है वन विभाग - सीएम जयराम

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की सूची में दर्ज चीड़ फिजेंट एक ऐसा हिमालयी फिजेंट है, जिसका अस्तित्व संकट में है. ये पक्षी भारत और पाकिस्तान के हिमालयी क्षेत्र व पूर्व में नेपाल तक छोटे-छोटे खंडित क्षेत्रों में पाए जाते हैं.

चीड़ फिजेंट पक्षी
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Published : Oct 2, 2019, 9:16 PM IST

Updated : Oct 3, 2019, 9:33 AM IST

शिमला: विलुप्त होते चीड़ फिजेंट के संरक्षण व प्रजनन में प्रदेश का वन्य प्राणी प्रभाग, (वन विभाग) जुटा हुआ है, जिसके अंतर्गत विभाग की ओर से इस चैहड़ पक्षी का संरक्षण व प्रजनन चायल में खड़ियून पक्षी चिड़ियाघर में किया गया है. विलुप्त होते इस चीड़ फिजेंट को मुख्यमंत्री द्वारा सेरी गांव में 3 अक्तूबर, 2019 छोड़ा जाना है. चीड़ फिजेंट के पुनर्स्थापना समारोह की अध्यक्षता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे.

इस समारोह में वन, परिवहन, खेल एवं युवा सेवाएं मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर भी उपस्थित रहेंगे. यह पुनर्स्थापना समारोह शिमला के सेरी गांव में 12 बजे वन्य प्राणी प्रभाग, वन विभाग, हिमाचल प्रदेश के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है. इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) और प्रधान मुख्य अरण्यपाल भी शामिल रहेंगे.

Rehabilitation Ceremony on 3 October in shimla
चीड़ फिजेंट पक्षी

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की सूची में दर्ज चीड़ फिजेंट एक ऐसा हिमालयी फिजेंट है, जिसका अस्तित्व संकट में है. ये पक्षी भारत और पाकिस्तान के हिमालयी क्षेत्र व पूर्व में नेपाल तक छोटे-छोटे खंडित क्षेत्रों में पाए जाते हैं. वनों में बार-बार आग लगने की घटनाओं, अंधाधुंध शिकार होने के कारणों से चीड़ पक्षी के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस नेताओं ने जूते डाल कर दी बापू को पुष्पांजलि, गांधी के आदर्शों की दुहाई देने वाले भूले अनुशासन

शिमला: विलुप्त होते चीड़ फिजेंट के संरक्षण व प्रजनन में प्रदेश का वन्य प्राणी प्रभाग, (वन विभाग) जुटा हुआ है, जिसके अंतर्गत विभाग की ओर से इस चैहड़ पक्षी का संरक्षण व प्रजनन चायल में खड़ियून पक्षी चिड़ियाघर में किया गया है. विलुप्त होते इस चीड़ फिजेंट को मुख्यमंत्री द्वारा सेरी गांव में 3 अक्तूबर, 2019 छोड़ा जाना है. चीड़ फिजेंट के पुनर्स्थापना समारोह की अध्यक्षता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे.

इस समारोह में वन, परिवहन, खेल एवं युवा सेवाएं मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर भी उपस्थित रहेंगे. यह पुनर्स्थापना समारोह शिमला के सेरी गांव में 12 बजे वन्य प्राणी प्रभाग, वन विभाग, हिमाचल प्रदेश के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है. इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) और प्रधान मुख्य अरण्यपाल भी शामिल रहेंगे.

Rehabilitation Ceremony on 3 October in shimla
चीड़ फिजेंट पक्षी

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की सूची में दर्ज चीड़ फिजेंट एक ऐसा हिमालयी फिजेंट है, जिसका अस्तित्व संकट में है. ये पक्षी भारत और पाकिस्तान के हिमालयी क्षेत्र व पूर्व में नेपाल तक छोटे-छोटे खंडित क्षेत्रों में पाए जाते हैं. वनों में बार-बार आग लगने की घटनाओं, अंधाधुंध शिकार होने के कारणों से चीड़ पक्षी के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

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Intro:Body:प्रदेश में चैहड़ फिजेंट की पुनस्र्थापना

विलुप्त होते चैहड़ फिजेंट के संरक्षण व प्रजनन में प्रदेश का वन्य प्राणी प्रभाग, (वन विभाग) जुटा हुआ है, जिसके अंतर्गत विभाग की ओर से इस चैहड़ पक्षी का संरक्षण व प्रजनन चायल में खड़ियून पक्षी चिड़ियाघर में किया गया है। विलुप्त होते इस चैहड़ फिजेंट को मुख्यमंत्री द्वारा सेरी गांव में 3 अक्तूबर, 2019 छोड़ा जाना है। चैहड़ फिजेंट के पुनस्र्थापन समारोह की अध्यक्षता माननीय मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश, जय राम ठाकुर करेंगे। इस समारोह में वन, परिवहन, खेल एवं युवा सेवाएं मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर भी उपस्थित रहेंगे। यह पुनस्र्थापन समारोह शिमला के सेरी गांव में अपरान्ह 12 बजे वन्य प्राणी प्रभाग, वन विभाग, हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) तथा प्रधान मुख्य अरण्पाल (हाॅफ) भी शामिल रहेंगे।

इंटरनेशनल यूनियन फाॅर कन्जर्वेशन आॅफ नेचर (आईयूसीएन) की सूची में दर्ज चैहड़ फिजेंट एक ऐसा हिमालयी फिजेंट है, जिसका अस्तित्व संकट में है। यह अक्सर मानवीय आबादी के निकटवर्ती छोटे वृक्षों तथा घास वाले मध्यम ऊंचाई के ढलान वाले क्षेत्रों में रहते हैं। यह पक्षी भारत तथा पाकिस्तान के हिमालयी क्षेत्र तथा पूर्व में नेपाल तक छोटे-छोटे खंडित क्षेत्रों में पाए जाते हैं। क्षेत्र के खंडित होने, वनों में बार-बार आग लगने की घटनाओं, शिकार होने के कारणों से चैहड़ पक्षी अपने वास क्षेत्र में संकट में है।

इस पक्षी को उत्पन्न खतरों को भांपते हुए केंद्रीय चिड़िया घर प्राधिकरण नें वर्ष 2007 में चैहड. फिजेंट को संरक्षण प्रजनन के लिए एक प्रजाति के रुप में चिन्हित किया था, जिसका प्रमुख उद्देश्य एक स्वावलंबी तथा पर्याप्त संख्या वाली आबादी स्थापित किया जाना है ताकि इन पक्षियों की वन्य आबादी का पुनस्र्थापन किया जा सके। चैहड़ पक्षी के संरक्षण प्रजनन के लिए चायल में खड़ियून पक्षी शालाकांे एक समन्वय चिड़ियाघर के रुप में चिन्हित किया गया। संरक्षण प्रजनन का मुख्य उद्देश्य इस पक्षी की एक ऐसी आबादी तैयार करना है, जो कि पुनस्र्थापना के बाद जंगल में सफलतापूर्वक जीवित रहे। कुछ वर्षों के व्यवस्थित तथा वैज्ञानिक प्रबंधन से चैहड़ की 75 पक्षियों की स्वस्थ व सक्षम आबादी स्थापित की जा सकी है, जिनमें वर्ष 2019 के दौरान पैदा हुए 10 नवजात पक्षी भी शामिल हंै।

हिमाचल प्रदेश में प्राथमिक सर्वे के आधार पर सेरी गांव के निकट स्थित क्षेत्र को र्निगमन के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया है। इस क्षेत्र में रहने वाले प्राकृतिक पराभक्षियों के बारे में पता करने के लिए इस साईट में पराभक्षी अनुश्रवण व विश्लेषण किया गया। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि कैप्टिव ब्रिडिंग वाले पक्षी पराभक्षियों को पहचानने व उनसे बचाव करने में सक्षम नहीं होते। इसलिए यह भी जरुरी है कि ऐसे क्षेत्र में जहां ये पक्षी छोडे़ जा रहे हैं पराभक्षी कम या लगभग न के बराबर हो, यह र्निगमन प्रक्रियौवजि तमसमंेम कहलाती है। इसमें पक्षियों को कुछ हफ्तों तक पुर्नस्थापन क्षेत्र में ही अस्थायी बाड़ों में रखा जाता है। यदि आवश्यकता हो तो उन्हें भोजन भी दिया जाता है जब तक वे उपलब्ध प्राकृतिक भोजन स्वयं से खाना शुरु न कर सके। संरक्षण प्रजनन में महारत हासिल होने के बाद अगला तार्किक कदम पक्षियों का जंगल में छोड़ा जाना था। जिसकी योजना आईयूसीएन के दल के अन्तर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ से विचार विमर्श के बाद बनाई गई है। यह योजना 4 अगस्त, 2018 को अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) की अध्यक्षता में आयोजित हि.प्र. जू. कन्जर्वेशन व ब्रीडिंग सोसाइटी की 13वीं गर्वनिंग बोर्ड की बैठक में प्रस्तुत व अनुमोदित की गई।Conclusion:
Last Updated : Oct 3, 2019, 9:33 AM IST
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