शिमला: हिमाचल प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधारने के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने राजीव गांधी राजकीय मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूलों की स्थापना की घोषणा की है. यह स्कूल राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में खोले जायेंगे. इन स्कूलों में प्री-प्राइमरी से 12वीं कक्षा तक लगभग 900 से 1000 छात्र पढ़ सकेंगे. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ये स्कूल ग्रामीण इलाकों में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा कि इन स्कूलों में हाई-टेक स्मार्ट क्लासरूम, खेल के मैदान, इंडोर स्टेडियम, स्विमिंग पूल, म्यूजिक रूम सहित अनेक सुविधाएं उपलब्ध होंगी.
2023 बजट भाषण में किया था स्कूल खोलने का ऐलान: दरअसल, सरकार ने वर्ष 2023-24 के बजट भाषण में राज्य में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए राजीव गांधी राजकीय मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल खोलने का ऐलान किया था. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इन स्कूलों को उदेश्य छात्रों बेहत शिक्षा प्रदान करने के साथ ही उनके व्यक्तित्व विकास को बढ़ावा देना और उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने के लिए आत्मविश्वास पैदा करना है.
स्कूलों में आधुनिक सुविधाएं कराई जाएगी उपलब्ध: उन्होंने कहा कि इन स्कूलों का निर्माण चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा. शुरुआती चरण में प्री-नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक के ब्लॉक बनाए जाएंगे, जिन्हें 18 माह में तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इन सभी स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम का अनुपालन किया जाएगा. प्रत्येक राजीव गांधी राजकीय मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल का निर्माण 100 कनाल से अधिक भूमि पर किया जाएगा, जिसमें शैक्षणिक गतिविधियों के लिए पर्याप्त स्थान के साथ-साथ अन्य गतिविधियों के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध होगा. इन स्कूलों में छात्रों के समग्र विकास के लिए गुणात्मक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी.
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में निर्णायक कदम: मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पहल के तहत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 100 कनाल से अधिक की भूमि जिला, उपमंडल, या तहसील मुख्यालय के 5 किलोमीटर के दायरे में शिक्षा विभाग को हस्तांतरित की जाएगी. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी राजकीय मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूलों की स्थापना प्रदेश के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी व निर्णायक कदम है. सरकार का दृष्टिकोण एक ऐसा शैक्षणिक वातावरण तैयार करना है, जो छात्रों के समावेशी विकास की आवश्यकताओं को पोषित करने के साथ-साथ भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए उनमें आवश्यक कौशल क्षमता का निर्माण करेगा. इससे राज्य के शैक्षणिक परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है, जो युवा विद्यार्थियों के लिए एक उज्ज्वल भविष्य की राह प्रशस्त करेगा.