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रोहड़ू स्कूल यौन उत्पीड़न मामला: शिक्षक पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया पर भी सवाल - गुड़िया हेल्पलाइन पर शिकायत

रोहड़ू क्षेत्र में एक शिक्षक द्वारा छात्राओं के यौन उत्पीड़न मामले का खुलासा होने के बाद शिक्षक सम्मान चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठ गए हैं. आरोपी शिक्षक राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक सम्मान हासिल कर चुका है. मामला सामने आने के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं.

Sanjay Deshta
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Published : Oct 29, 2019, 11:11 PM IST

शिमला: ऊपरी शिमला के रोहड़ू क्षेत्र में एक शिक्षक द्वारा छात्राओं के यौन उत्पीड़न मामले का खुलासा होने के बाद शिक्षक सम्मान चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठ गए हैं. आरोपी शिक्षक राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक सम्मान हासिल कर चुका है.

मामला सामने आने के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. आरोपी इलाके में प्रभावशाली माना जाता है. यही कारण है कि आरंभ में उसके खिलाफ एक्शन में व्यवस्था की कार्रवाई सुस्त रफ्तार से चली. बताया जा रहा है कि यौन उत्पीड़न की शिकायत सीएम सेवा संकल्प हैल्पलाइन व गुड़िया हेल्पलाइन पर भी की गई थी.

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार दो दिन पहले ही गुड़िया हेल्पलाइन पर शिकायत की गई. स्थानीय जनता दबी जुबान में कह रही है कि यदि स्कूल की यौन उत्पीड़न कमेटी की रिपोर्ट निदेशालय तक न पहुंचती तो मामला रफा-दफा भी किया जा सकता था.

फिलहाल, मीडिया की सक्रियता के कारण मामला सामने आया है और अब आरोपी शिक्षक पर सख्त कार्रवाई तय है. इसी के साथ शिक्षक सम्मान के लिए चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठने लगे हैं. शिक्षा जगत में चर्चा हो रही है कि ये कैसी प्रक्रिया है, जिसमें एक शिक्षक राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो जाता है, लेकिन उसकी छवि दागदार है.

क्या शिक्षक सम्मान के लिए नाम की सिफारिश करते समय किसी ने भी शिक्षक के बारे में जानकारी जुटाने की जहमत नहीं उठाई? वहीं, सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में है. गुड़िया हेल्पलाइन पर दर्ज की गई शिकायत में कहा गया था कि पुलिस उचित कार्रवाई नहीं कर रही है.

रोहड़ू पुलिस की कार्यप्रणाली भी सवालों में है. रोहड़ू पुलिस ने मामला सामने आने के दस दिन बाद चौतरफा दबाव पड़ने पर अब प्राथमिकी दर्ज की. मीडिया में मामला सुर्खियां में आया तो पुलिस ने आरोपी शिक्षक संजय के खिलाफ आईपीसी की धारा 354-ए यानी महिला का शील भंग करना और पोक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत प्राथमिकी दर्ज की.

अब आरोपी शिक्षक गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हैं और पुलिस की टीम ने उसके गांव में दबिश दी है. सूत्रों के अनुसार शिक्षक संजय जमानत के लिए अदालत की शरण में जा सकता है. नियमों के मुताबिक पोक्सो एक्ट में शिकायत आने के 24 घंटे के बाद एफआइआर दर्ज करनी होती है. ये गैर जमानती अपराध है. छात्राओं ने अपनी शिकायत में बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं.

छात्राओं के आरोपों को देखें तो शिक्षक का आचरण बेहद शर्मनाक है. ऐसा नहीं है कि उसने सिर्फ एक ही बार अभद्र हरकत की. ये शिक्षक तरह-तरह के हथकंडे अपना कर छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें करता था. फिलहाल, शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने भी मामले में सख्त एक्शन की बात कही है. हिमाचल पुलिस के साउथ रेंज के डीआईजी आसिफ जलाल के अनुसार मामले की निष्पक्ष जांच कर दोष सिद्ध होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

शिमला: ऊपरी शिमला के रोहड़ू क्षेत्र में एक शिक्षक द्वारा छात्राओं के यौन उत्पीड़न मामले का खुलासा होने के बाद शिक्षक सम्मान चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठ गए हैं. आरोपी शिक्षक राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक सम्मान हासिल कर चुका है.

मामला सामने आने के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. आरोपी इलाके में प्रभावशाली माना जाता है. यही कारण है कि आरंभ में उसके खिलाफ एक्शन में व्यवस्था की कार्रवाई सुस्त रफ्तार से चली. बताया जा रहा है कि यौन उत्पीड़न की शिकायत सीएम सेवा संकल्प हैल्पलाइन व गुड़िया हेल्पलाइन पर भी की गई थी.

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार दो दिन पहले ही गुड़िया हेल्पलाइन पर शिकायत की गई. स्थानीय जनता दबी जुबान में कह रही है कि यदि स्कूल की यौन उत्पीड़न कमेटी की रिपोर्ट निदेशालय तक न पहुंचती तो मामला रफा-दफा भी किया जा सकता था.

फिलहाल, मीडिया की सक्रियता के कारण मामला सामने आया है और अब आरोपी शिक्षक पर सख्त कार्रवाई तय है. इसी के साथ शिक्षक सम्मान के लिए चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठने लगे हैं. शिक्षा जगत में चर्चा हो रही है कि ये कैसी प्रक्रिया है, जिसमें एक शिक्षक राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो जाता है, लेकिन उसकी छवि दागदार है.

क्या शिक्षक सम्मान के लिए नाम की सिफारिश करते समय किसी ने भी शिक्षक के बारे में जानकारी जुटाने की जहमत नहीं उठाई? वहीं, सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में है. गुड़िया हेल्पलाइन पर दर्ज की गई शिकायत में कहा गया था कि पुलिस उचित कार्रवाई नहीं कर रही है.

रोहड़ू पुलिस की कार्यप्रणाली भी सवालों में है. रोहड़ू पुलिस ने मामला सामने आने के दस दिन बाद चौतरफा दबाव पड़ने पर अब प्राथमिकी दर्ज की. मीडिया में मामला सुर्खियां में आया तो पुलिस ने आरोपी शिक्षक संजय के खिलाफ आईपीसी की धारा 354-ए यानी महिला का शील भंग करना और पोक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत प्राथमिकी दर्ज की.

अब आरोपी शिक्षक गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हैं और पुलिस की टीम ने उसके गांव में दबिश दी है. सूत्रों के अनुसार शिक्षक संजय जमानत के लिए अदालत की शरण में जा सकता है. नियमों के मुताबिक पोक्सो एक्ट में शिकायत आने के 24 घंटे के बाद एफआइआर दर्ज करनी होती है. ये गैर जमानती अपराध है. छात्राओं ने अपनी शिकायत में बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं.

छात्राओं के आरोपों को देखें तो शिक्षक का आचरण बेहद शर्मनाक है. ऐसा नहीं है कि उसने सिर्फ एक ही बार अभद्र हरकत की. ये शिक्षक तरह-तरह के हथकंडे अपना कर छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें करता था. फिलहाल, शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने भी मामले में सख्त एक्शन की बात कही है. हिमाचल पुलिस के साउथ रेंज के डीआईजी आसिफ जलाल के अनुसार मामले की निष्पक्ष जांच कर दोष सिद्ध होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

साइड स्टोरी
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रोहड़ू स्कूल यौन उत्पीडऩ मामला: शिक्षक पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया पर भी सवाल
शिमला। ऊपरी शिमला के रोहड़ू क्षेत्र में एक शिक्षक द्वारा छात्राओं के यौन उत्पीडऩ मामले का खुलासा होने के बाद शिक्षक सम्मान चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठ गए हैं। आरोपी शिक्षक राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक सम्मान हासिल कर चुका है। मामला सामने आने के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। आरोपी इलाके में प्रभावशाली माना जाता है। यही कारण है कि आरंभ में उसके खिलाफ एक्शन में व्यवस्था की कार्रवाई सुस्त रफ्तार से चली। बताया जा रहा है कि यौन उत्पीडऩ की शिकायत सीएम सेवा संकल्प हैल्पलाइन व गुडिय़ा हैल्पलाइन पर भी की गई थी। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार दो दिन पहले ही गुडिय़ा हैल्पलाइन पर शिकायत की गई। स्थानीय जनता दबी जुबान में कह रही है कि यदि स्कूल की यौन उत्पीडऩ कमेटी की रिपोर्ट निदेशालय तक न पहुंचती तो मामला रफा-दफा भी किया जा सकता था। फिलहाल, मीडिया की सक्रियता के कारण मामला सामने आया है और अब आरोपी शिक्षक पर सख्त कार्रवाई तय है। इसी के साथ शिक्षक सम्मान के लिए चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठने लगे हैं। शिक्षा जगत में चर्चा हो रही है कि ये कैसी प्रक्रिया है, जिसमें एक शिक्षक राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो जाता है, लेकिन उसकी छवि दागदार है। क्या शिक्षक सम्मान के लिए नाम की सिफारिश करते समय किसी ने भी शिक्षक के बारे में जानकारी जुटाने की जहमत नहीं उठाई? वहीं, सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में है। गुडिय़ा हैल्पलाइन पर दर्ज की गई शिकायत में कहा गया था कि पुलिस उचित कार्रवाई नहीं कर रही है। रोहड़ू पुलिस की कार्यप्रणाली भी सवालों में है। रोहड़ू पुलिस ने मामला सामने आने के दस दिन बाद चौतरफा दबाव पडऩे पर अब प्राथमिकी दर्ज की। मीडिया में मामला सुर्खियां में आया तो पुलिस ने आरोपी शिक्षक संजय के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 ए यानी महिला का शील भंग करना और पोक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत प्राथमिकी दर्ज की। अब आरोपी शिक्षक गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार है और पुलिस की टीम ने उसके गांव में दबिश दी है। सूत्रों के अनुसार शिक्षक संजय जमानत के लिए अदालत की शरण में जा सकता है। नियमों के मुताबिक पोक्सो एक्ट में शिकायत आने के 24 घंटे के बाद एफआइआर दर्ज करनी होती है। ये गैर जमानती अपराध है। छात्राओं ने अपनी शिकायत में बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। छात्राओं के आरोपों को देखें तो शिक्षक का आचरण बेहद शर्मनाक है। ऐसा नहीं है कि उसने सिर्फ एक ही बार अभद्र हरकत की। ये शिक्षक तरह-तरह के हथकंडे अपना कर छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें करता था। फिलहाल, शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने भी मामले में सख्त एक्शन की बात कही है। हिमाचल पुलिस के साउथ रेंज के डीआईजी आसिफ जलाल के अनुसार मामले की निष्पक्ष जांच कर दोष सिद्ध होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। 
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