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हिमाचल में बरसात के नुकसान से बचाएगा डॉप्लर राडार, भारी बारिश और बादल फटने का मिलेगा पूर्वानुमान

डॉप्लर राडार से हिमाचल के प्रभवित क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर वहां रहने वाले लोगों को सतर्क किया जा सकेगा और प्रशासन की तरफ से पर्याप्त प्रबंध भी किए जा सकेंगे. हिमाचल प्रदेश में हर साल बरसात के मौसम में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाएं होती हैं, जिनमें सैकड़ों लोग अकारण ही काल का ग्रास बन जाते हैं.

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Published : Aug 13, 2019, 8:05 PM IST

doppler radar

शिमला: प्रदेश में बारिश के दौरान होने वाले नुकसान को कम करने के लिए अब नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को इसके लिए प्रस्ताव भेजा है. प्रदेश के तीन जिलों में डॉप्लर राडार लगाने की योजना बनाई गई है.


बता दें कि भारी बारिश और बादल फटने जैसी घटनाओं के कारण प्रदेश में नुकसान होता है और इनका समय पर पूर्वानुमान न होने के कारण नुकसान और भी बढ़ जाता है. अगर हिमाचल में तीन जिलों शिमला, चम्बा और कुल्लू में डॉप्लर राडार लगाने की कवायत सिरे चढ़ती है तो इन स्थानों पर बारिश से होने वाले जानी नुकसान को बचाया जा सकता है.

जानकारी देते डीसी राणा


बता दें कि डॉप्लर राडार से भारी बारिश और बादल फटने जैसी घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, जिससे आपदा प्रबंधन विभाग पहले ही अलर्ट जारी कर लोगों को सावधान कर सकता है.


अगर केंद्र हिमाचल की मांग पूरी करता है तो अमरनाथ यात्रा के बाद हिमाचल में डॉप्लर राडार लगाए जाएंगे. अगर यह तकनीक हिमाचल में सफलता से कार्य करती है तो भारी बारिश का पूर्वानुमान सटीक और समय रहते लगाया जा सकेगा.


इससे प्रभवित क्षेत्र में अलर्ट जारी कर वहां रहने वाले लोगों को सतर्क किया जा सकेगा और प्रशासन की तरफ से पर्याप्त प्रबंध भी किए जा सकेंगे. हिमाचल प्रदेश में हर साल बरसात के मौसम में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाएं होती हैं, जिनमें सैकड़ों लोग अकारण ही काल का ग्रास बन जाते हैं.


वर्तमान में प्रदेश सरकार आईआईटी की तकनीक के सहारे ही काम चला रही है. इस तकनीक में भूस्खलन वाले स्थानों पर रेड लाइट लगाई जाती है और जैसे ही पहाड़ी में हलचल होती है सिग्नल रेड हो जाता है जिससे सड़क पर गुजरने वाले वाहन चालक सावधान हो जाते हैं.

शिमला: प्रदेश में बारिश के दौरान होने वाले नुकसान को कम करने के लिए अब नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को इसके लिए प्रस्ताव भेजा है. प्रदेश के तीन जिलों में डॉप्लर राडार लगाने की योजना बनाई गई है.


बता दें कि भारी बारिश और बादल फटने जैसी घटनाओं के कारण प्रदेश में नुकसान होता है और इनका समय पर पूर्वानुमान न होने के कारण नुकसान और भी बढ़ जाता है. अगर हिमाचल में तीन जिलों शिमला, चम्बा और कुल्लू में डॉप्लर राडार लगाने की कवायत सिरे चढ़ती है तो इन स्थानों पर बारिश से होने वाले जानी नुकसान को बचाया जा सकता है.

जानकारी देते डीसी राणा


बता दें कि डॉप्लर राडार से भारी बारिश और बादल फटने जैसी घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, जिससे आपदा प्रबंधन विभाग पहले ही अलर्ट जारी कर लोगों को सावधान कर सकता है.


अगर केंद्र हिमाचल की मांग पूरी करता है तो अमरनाथ यात्रा के बाद हिमाचल में डॉप्लर राडार लगाए जाएंगे. अगर यह तकनीक हिमाचल में सफलता से कार्य करती है तो भारी बारिश का पूर्वानुमान सटीक और समय रहते लगाया जा सकेगा.


इससे प्रभवित क्षेत्र में अलर्ट जारी कर वहां रहने वाले लोगों को सतर्क किया जा सकेगा और प्रशासन की तरफ से पर्याप्त प्रबंध भी किए जा सकेंगे. हिमाचल प्रदेश में हर साल बरसात के मौसम में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाएं होती हैं, जिनमें सैकड़ों लोग अकारण ही काल का ग्रास बन जाते हैं.


वर्तमान में प्रदेश सरकार आईआईटी की तकनीक के सहारे ही काम चला रही है. इस तकनीक में भूस्खलन वाले स्थानों पर रेड लाइट लगाई जाती है और जैसे ही पहाड़ी में हलचल होती है सिग्नल रेड हो जाता है जिससे सड़क पर गुजरने वाले वाहन चालक सावधान हो जाते हैं.

इस तकनीक से भारी बारिश और बदल फटने का लगेगा सटीक पूर्व अनुमान

शिमला। अगर हिमाचल में तीन जिलों शिमला, चम्बा और कुल्लू में डॉप्लर राडार लगाने की कवायत सिरे चढ़ती है तो इन स्थानों पर बारिश से होने वाले जानी नुकसान को बचाया जा सकता है। डॉप्लर राडार से भारी बारिश और बादल फटने जैसी घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। जिससे आपदा प्रबंधन विभाग पहले ही अलर्ट जारी कर लोगों को सावधान कर सकता है।

अगर केंद्र हिमाचल की मांग पूरी करता है तो अमरनाथ यात्रा के बाद हिमाचल में डॉप्लर राडार लगाए जाएंगे। अगर यह तकनीक हिमाचल में सफलता से कार्य करती है तो भारी बारिश का पूर्वानुमान सटीक और समय रहते लगाया जा सकेगा। इससे प्रभवित क्षेत्र में अलर्ट जारी कर वहां रहने वाले लोगों को सतर्क किया जा सकेगा और प्रशासन की तरफ से पर्याप्त प्रबंध भी किए जा सकेंगे। हिमाचल प्रदेश में हर साल बरसात के मौसम में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाऐं होती हैं। जिनमें सैकड़ों लोग अकारण ही काल का ग्रास बन जाते हैं।

वर्तमान में प्रदेश सरकार आईआईटी की तकनीक के सहारे ही काम चला रही है। इस तकनीक में भू स्खलन वाले स्थानों पर रेड लाइट लगाई जाती है और जैसे ही पहाड़ी में हलचल होती है सिग्नल रेड हो जाता है जिससे सड़क पर गुजरने वाले वाहन चालक सावधान हो जाते हैं ।
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