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वाहनों के फिटनेस प्रमाणपत्र नवीनीकरण में देरी पर अतिरिक्त फीस लेने पर रोक, HC ने दिए आदेश

प्रदेश उच्च न्यायालय ने वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट के रिन्यूअल में हुई देरी को लेकर हर रोज के हिसाब से अतिरिक्त शुल्क वसूलने के आदेशों पर स्थगन आदेश पारित किया है.

prohibition on additional fees
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Published : Sep 1, 2019, 12:48 PM IST

शिमलाः मुख्य न्यायाधीश वी रामासुब्रामनियन और न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने मांगल लैंड लूजरज कोऑपरेटिव सोसायटी द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश पारित किए. याचिका में प्रार्थी समिति का आरोप है कि सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स के तहत गाड़ियों की फिटनेस की रिन्यूअल में हुई देरी के लिए अतिरिक्त फीस रुपये 50 प्रतिदिन के हिसाब से देने का जो प्रावधान बनाया गया है वो कानूनी तौर पर गलत है.

जबकि गाड़ी की रिन्यूअल फीस 200 रुपये रखी गई है. हालांकि प्रार्थी समिति को 200 रुपये अदा करने पर कोई एतराज नहीं है. लेकिन फिटनेस सर्टिफिकेट को लेने में हुई देरी के लिए अतिरिक्त फीस 50 रुपये हर दिन के हिसाब से वसूलने पर उन्होंने आपत्ति जताई थी.

प्रार्थी समिति की ओर से मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय का हवाला देते हुए स्थगन आदेश पारित करने की गुहार लगाई गई थी. हालांकि मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की ओर से मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय पर कोई स्थगन आदेश पारित नहीं किया गया है.
न्यायालय ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय के दृष्टिगत रिन्यूअल में हुई देरी के लिए 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से वसूलने के निर्णय पर स्थगन आदेश पारित किया है.

शिमलाः मुख्य न्यायाधीश वी रामासुब्रामनियन और न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने मांगल लैंड लूजरज कोऑपरेटिव सोसायटी द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश पारित किए. याचिका में प्रार्थी समिति का आरोप है कि सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स के तहत गाड़ियों की फिटनेस की रिन्यूअल में हुई देरी के लिए अतिरिक्त फीस रुपये 50 प्रतिदिन के हिसाब से देने का जो प्रावधान बनाया गया है वो कानूनी तौर पर गलत है.

जबकि गाड़ी की रिन्यूअल फीस 200 रुपये रखी गई है. हालांकि प्रार्थी समिति को 200 रुपये अदा करने पर कोई एतराज नहीं है. लेकिन फिटनेस सर्टिफिकेट को लेने में हुई देरी के लिए अतिरिक्त फीस 50 रुपये हर दिन के हिसाब से वसूलने पर उन्होंने आपत्ति जताई थी.

प्रार्थी समिति की ओर से मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय का हवाला देते हुए स्थगन आदेश पारित करने की गुहार लगाई गई थी. हालांकि मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की ओर से मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय पर कोई स्थगन आदेश पारित नहीं किया गया है.
न्यायालय ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय के दृष्टिगत रिन्यूअल में हुई देरी के लिए 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से वसूलने के निर्णय पर स्थगन आदेश पारित किया है.

फिटनेस सर्टिफिकेट रिन्यूअल डिले फी पर लगाई हाइकोर्ट ने रोक।

शिमला

प्रदेश उच्च न्यायालय ने गाड़ियों के फिटनेस सर्टिफिकेट के रिन्यूअल में हुई देरी के लिए प्रतिदिन के हिसाब सेअतिरिक्त शुल्क वसूलने के आदेशो पर स्थगन आदेश पारित कर दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश वी रामासुब्रामनियन  न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने मांगल लैंड लूजरज कोऑपरेटिव सोसायटी द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश पारित किए। याचिका में प्रार्थि समिति का आरोप है कि सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स के तहत गाड़ियों की फिटनेस की रिन्यूअल में हुई देरी के लिए अतिरिक्त फीस रुपये 50 प्रतिदिन के हिसाब से देने का जो प्रावधान बनाया गया है वह कानूनी तौर पर गलत है। जबकि गाड़ी की रिन्यूअल फीस 200 रुपये रखी गयी है। हालांकि प्रार्थी समिति को 200 रुपये अदा करने पर कोई एतराज नहीं है। मगर फिटनेस सर्टिफिकेट को लेने में हुई देरी के लिए अतिरिक्त फीस 50 रुपये हर दिन के हिसाब से वसूलने पर उन्होंने आपत्ति जताई थी। प्रार्थी समिति की ओर से मद्रास हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय का हवाला देते हुए स्थगन आदेश पारित करने की गुहार लगाई गई थी। हालांकि मद्रास हाई कोर्ट द्वारा पारित निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दे दी गई है मगर सर्वोच्च न्यायालय की ओर से मद्रास हाई कोर्ट द्वारा पारित निर्णय पर कोई स्थगन आदेश नहीं पारित किया है। न्यायालय ने मद्रास हाई कोर्ट द्वारा पारित निर्णय के दृष्टिगत रिन्यूअल में हुई देरी के लिए 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से वसूलने के निर्णय पर स्थगन आदेश पारित कर दिए 

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प्रदेश उच्च न्यायालय ने रसायन शास्त्र प्रवक्ता के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री के डी  नोट के आधार पर जारी ट्रांसफर आदेशों को रद्द कर दिया। न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी  न्यायाधीश ज्योत्स्ना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने यह पाया कि स्थानांतरण आदेश ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री द्वारा जारी डीओ नोट के आधार पर किया गया है जबकि हाई कोर्ट द्वारा विभिन्न मामलों में पारित निर्णयों के दृष्टिगत डीओ नोट के आधार पर जारी स्थानांतरण आदेश कानूनन मान्य नहीं है। याचिका में दिये तथ्यों के अनुसार प्रार्थी सुरेंद्र कुमार को ऊना जिला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला अरलू से वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला जोआर के लिए स्थानांतरित किया गया था। न्यायालय ने मामले के रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात यह पाया कि इस स्थानांतरण के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री द्वारा दो डी  नोट क्रमशः 24   25 जून 2019 को जारी किए थे। शिक्षा मंत्री को भेजने के पश्चात यह डी  नोट निदेशक हायर एजुकेशन को भेजे गए थे। मुख्यमंत्री की स्वीकृति लेने के पश्चात ट्रांसफर आर्डर पारित किए गए। न्यायालय ने यह भी पाया कि स्थानांतरण आदेश में यह जताने की कोशिश की गई थी कि स्थानांतरण आदेश प्रार्थी के खुद कहने पर किए गए हैं क्योंकि स्थानांतरण आदेश बिना जॉइनिंग समय  स्थानान्तरण यात्रा भत्ते के किये गए थे। न्यायालय ने यह पाया कि स्थानांतरण आदेश पूरी तरह से राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते किये गए हैं और हाई कोर्ट द्वारा पारित निर्णय के मुताबिक इस तरह के स्थानांतरण आदेशों को कानूनी तौर पर कोई मान्यता नहीं है। न्यायालय ने स्थानांतरण आदेशों को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया।

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