शिमला: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जहां देश भर में धरने प्रदर्शन हो रहे हैं वहीं, इस कानून के परिणामों को लेकर गुरूवार को शिमला के कालीबाड़ी में जन एकता जन अधिकार आंदोलन के बैनर तले विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने बिल के परिणामों को लेकर मंथन किया.
कालीबाड़ी में आयोजित मंथन कार्यक्रम के दौरान मंच के पदाधिकारियों ने इसे संविधान की छाती पर पहली कील करार दिया. उन्होंने कहा कि अगर इसे लागू होने से न रोका गया तो एक दिन भाजपा आरएसएस का हिन्दुत्ववादी एजेण्डा ऐसी कई देश विरोधी फैसलों, नीतियों और कानूनों की कीलों से देश के संविधान को छलनी करके रख देगा.
जन एकता जन अधिकार आन्दोलन के राज्य संयोजक डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि आज केंद्र की मोदी सरकार विघटनकारी नीतियों के चलते जनता का ध्यान बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों से भटक रही है. भारत जैसे विशाल देश में भाजपा/आरएसएस का फांसीवादी एजेण्डा कभी भी कामयाब नहीं हो सकेगा. यहां न केवल भौगोलिक विविधताएं हैं बल्कि क्षेत्र के आधार पर एक ही धर्म में भी सांस्कृतिक विविधताएं हैं.
कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि जन एकता जन अधिकार आन्दोलन देश के विभिन्न जन संगठन, वर्गीय संगठन, सामाजिक संगठन, विभिन्न आन्दोलन एवं प्रगतिशील व्यक्ति जुड़े हैं और यह ऐसे 200 से ज्यादा संगठनों का एक साझा राष्ट्रीय मंच है. इस मंच की ओर से 26 जनवरी को संविधान बचाओ दिवस और 30 जनवरी शहीदी दिवस को साम्प्रदायिक सद्भाव दिवस के तौर पर मनाया जाएगा.
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