कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में कई ट्रैक हैं जो ट्रैकर्स की पहली पसंद हैं. ये ट्रैक विहंगम दृश्यों के साथ ही लोगों के लिए धार्मिक आस्था का भी केंद्र है. ऐसा ही एक ट्रैक है कुल्लू जिले का खीरगंगा ट्रैक. ये ट्रैक बेहद खूबसूरत है और ट्रैक मणिकर्ण घाटी में स्थित है. ट्रैकिंग और एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं है, लेकिन इस ट्रैक की हालत काफी खराब है. इसकी खराब हालत के चलते कई सैलानी यहां अपनी जान से हाथ तक धो चुके हैं.
अब इस ट्रैक की हालत सुधारने के लिए वन विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है और इसे प्रशासन को सौंपा गया है, ताकि देश-विदेश के सैलानियों की पसंद खीर गंगा ट्रैक की राह सैलानियों के लिए आसान हो सके. इस ट्रैक की हालत को सुधारने के लिए वन विभाग ने प्रशासन से 30 लाख रुपए की राशि की मांग की है. जिला कुल्लू की मणिकर्ण घाटी में ट्रैक बरशेनी से शुरू होता है और यहां से इसकी लंबाई 13 किलोमीटर है.
![खीर गंगा कुंड](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/07-02-2025/23495572_ttt_aspera.jpg)
320 सैलानियों को एक दिन में ट्रैकिंग के लिए भेजा जाएगा
वन विभाग के अनुसार इस ट्रैक पर बरशेनी से नकथान तक जीप योग्य सड़क बनाई जाएगी. इसके आगे इस ट्रैक की हालत सुधारी जाएगी. इस ट्रैक पर अप्रैल से अक्टूबर माह तक ट्रैकिंग होती है. 6 माह के दौर में 2 लाख से अधिक सैलानी इस ट्रैक पर पहुंचते हैं, लेकिन ट्रैकिंग रूट का रास्ता खराब बेहद खराब बै. ट्रैक पर पांव फिसलने पर लोग लुढ़कर पार्वती नदीं में गिरते हैं. इसके कारण कई लोग अपनी जान से हाथ चुके हैं. ट्रैक की हालत सुधारने के बाद यहां पर सैलानियों की संख्या को भी कंट्रोल किया जाएगा और प्रतिदिन 320 सैलानियों को ट्रैकिंग के लिए भेजा जाएगा. इसके लिए यहां पर वन विभाग की एक चेक पोस्ट स्थापित की जाएगी, ताकि इस रूट पर आने जाने वाले सैलानियों का रिकॉर्ड रखा जाए. रिकॉर्ड रखने का एक फायदा ये होगा कि अगर सैलानी वापस नहीं आता है तो इस क्षेत्र में वन विभाग की टीम उसे तलाश करने के लिए रेस्क्यू कार्य भी समय पर शुरू कर देगी.
![खीर गंगा का दृश्य](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/07-02-2025/23495572_ldfj_aspera.jpg)
धार्मिक दृष्टि से भी है इसका महत्वा
यहां पर काफी संख्या में इजरायली पर्यटक आते हैं. वन विभाग यहां पर कैंप लगाने की भी अनुमति देता है, जिससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलता है. यहां एक गुफा भी है जिसे भगवान कार्तिकेय की गुफा माना जाता है. इस ट्रैक को धार्मिक दृष्टि से भी देखा जाता है.
शिव पार्वती से जुड़ा है इतिहास
माना जाता है कि भगवान शिव, माता पार्वती और ने अपने बेटे कार्तिक स्वामी के साथ यहां पर 1000 साल तक तपस्या की थी और यहां पर खीर का कुंड हमेशा बहता रहता था, लेकिन बाद में ये कुंड पानी में तब्दील हो गया. इस गर्म पानी के कुंड में आज भी मलाई जैसा पदार्थ निकलता है. जिसके चलते इसे खीर गंगा का नाम दिया गया है. यहां पर सैलानी गर्म पानी के कुंड में स्नान कर अपनी थकान को मिटाते हैं.
वन विभाग के पार्वती मंडल के वन अधिकारी प्रवीण ठाकुर ने बताया कि, 'प्रशासन को इस ट्रैक रूट की हालत सुधारने के लिए प्रारूप भेजा गया है और धन की भी मांग की गई है. बजट का प्रावधान होने पर इस दिशा में काम किया जाएगा. इस प्रारूप में ढाई किलोमीटर सड़क और उसके आगे के ट्रैक को ठीक करने की योजना है, ताकि सैलानियों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े.'